Close

कहानी- परिवर्तन 1 (Story Series- Parivartan 1)

‘‘तुम्हारी मानूं तो एक यही कायदे का परिवार बचा रह गया है. नेट मैरिज में चीटिंग होती है.’’ ‘‘रिजेक्शन, चीटिंग, फेलियर अरेंज्ड मैरिज में भी होता है. समाज के डर से एक-दूसरे को ढोते जाने को तुम सफल शादी कहना चाहती हो तो कह लो.’’ प्रसंग पर सोहनी हतप्रभ है. ये महज़ बातें नहीं हैं. दशकों से हो रहे बदलाव की सूचनाएं हैं.

          चार भाई-बहनों में सबसे छोटी मोहिनी चौंकानेवाले भाव से मोबाइल पर बोल रही है, "सोहनी, नवंबर में संजू की शादी है.’’ सोहनी को चौंकना ही था, ‘‘मोहिनी, यह तो चमत्कार हो गया. रोहिणी कितना अफ़सोस करती थी संजू सताइस की हो गई. शादी नहीं जम रही है." रोहिणी फिर सोहनी, फिर रोहन व मोहिनी. तर-ऊपर के भाई-बहन एक-दूसरे को नाम से पुकारते हैं. ‘‘इंटरनेट पर चमत्कार हो जाते हैं.’’ ‘‘नेट मैरिज?’’ ‘‘एक तरह से यह शादी संजू ने तय की है. प्रारब्ध जैसा होनहार लड़का मिल गया." ‘‘संजू ने तय की है?’’ ‘‘अच्छा है न. मेरे दो बेटे हैं. बेटी होती, तो मैं साफ़ कहती लड़कों पर नज़र रखो. पसंद आ जाए मुझे बता देना.’’ ‘‘ठीक रहा जो तुम्हारे बेटी न हुई. तुम उसे भ्रष्ट कर डालती. लड़कों पर नज़र बेहया लड़कियां रखती हैं.’’ ‘‘बेहया... हा... हा... हा...’’ ‘‘बेटी नहीं है, इसलिए निश्चिन्त रहो और बात-बेबात हंसो." मोहिनी ने हंसना ज़ारी रख, "निश्चिंत नहीं हूं. दामाद की सास बनना रोमांचकारी है. बहू की सास बनना मतलब जान आफ़त में डालना. सुनती हूं छोटी-छोटी बात पर बहुएं हमारे अरमानों से पाले गए बेटों को लेकर अलग जा बसती है.’’   यह भी पढ़ें: सास-बहू के रिश्तों को मिल रही है नई परिभाषा… (Daughter-In-Law And Mother-In-Law: Then Vs Now…)   ‘‘तुम्हें सास बनने में एक युग है. संजू का हाल कहो.’’ ‘‘संजू ने अपना प्रोफाइल मैट्रीमोनियल साइट पर डाला था. प्रारब्ध ने साइट की विज़िट की. वह एमबीए है. चंडीगढ़ में अच्छा जॉब कर रही है. प्रारब्ध ने संजू को मेल किया. मोबाइल नंबर लिया. अपने पिताजी से बात की. पिताजी ने जीजाजी को कॉल किया. बात बन गई. हमारे निष्काम योगी जीजाजी प्रारब्ध जैसा लड़का न ढूंढ़ पाते." मोहिनी अपनी चपलता में सीमित-संयमित आचरणवाले जीजाजी को निष्काम योगी कहती है. ‘‘नेट मैरिज विश्वसनीय नहीं होती." ‘‘यह काम आंख बंद कर नहीं हो रहा है. दोनों पक्ष एक-दूसरे का घर-बार देख लिए हैं. अच्छा परिवार है. बस, दो भाई हैं. प्रारब्ध बड़ा है. छोटा मेडिकल कर रहा है. पिताजी जबलपुर में फिजिक्स के प्रोफेसर हैं. अच्छा मकान है. जीजाजी ने कह दिया है बहुत नहीं दे सकते. प्रारब्ध की मां बोलीं, "इतनी अच्छी लड़की मिल रही है और क्या चाहिए.’’ ‘‘तुम्हारी मानूं तो एक यही कायदे का परिवार बचा रह गया है. नेट मैरिज में चीटिंग होती है.’’ ‘‘रिजेक्शन, चीटिंग, फेलियर अरेंज्ड मैरिज में भी होता है. समाज के डर से एक-दूसरे को ढोते जाने को तुम सफल शादी कहना चाहती हो तो कह लो.’’ प्रसंग पर सोहनी हतप्रभ है. ये महज़ बातें नहीं हैं. दशकों से हो रहे बदलाव की सूचनाएं हैं. संजू के विवाह के रूप में बदलाव उसके कस्बे, बल्कि उसके घर में दस्तक देने आ पहुंचा है. आधुनिक मोहिनी अलग पद्धति से तय हुए विवाह को लोक सम्मत मानती है, पर परंपरापोषक रोहिणी ने निश्चित रूप से इसे सहज भाव में नहीं लिया होगा. वह परंपराभंजक लोगों, तरीक़ों, नतीज़ों से शत्रुता रखती है. रोहिणी को फोन कॉल पर प्रसंग को समुचित जान-समझ लेने की सोहनी की चाह है, पर रोहिणी यदि क्रंदन करे, "सोहनी, आजकल की लड़कियां मुक्त हो गई हैं. अपनी शादी तय कर रही हैं तो अभिव्यक्ति देना कठिन होगा, पर जिज्ञासा ने कॉल करने के लिए प्रेरित कर ही दिया.   यह भी पढ़ें: ससुराल के लिए खुद की ऐसे करें मानसिक रूप से तैयार… ताकि रिश्तों में बढ़े प्यार और न हो कोई तकरार (Adapting in A New Home After Marriage: Tips & Smart Ways To Adjust With In-Laws)   आवाज़ सुनते ही रोहिणी करतल ध्वनि में बताने लगी, ‘‘सोहनी, कहां-कहां भटके. देखो आसानी से बात बन गई."

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें

सुषमा मुनीन्द्र       अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

Share this article