Close

कहानी- प्यार जैसा कुछ नहीं, लेकिन… 4 (Story Series- Pyar Jaisa Kuch Bhi Nahi, Lekin… 4)

 

“जी. तुम्हारे बारे में जानकारी लेने के लिए जनाब मेरे घर के चक्कर लगाने लगे थे. एक दिन मम्मी ने पकड़ लिया. हीरो ने तत्काल मुझे बहन बना लिया. कहां तो मैं तुम्हारी उदासीनता देखकर, इसकी राधा बनने के सपने देख रही थी और कहां इसने मुझे अपनी सुभद्रा बना लिया. और तो और मिश्राजी की मम्मी और हमारी मम्मी, बचपन की दोस्त निकलीं. अब तो मिश्राजी ऑफिशियली हमारे भाई बन गए है. बकायदा राखी बांधते हैं भई.” गरिमा ने आंख मारकर कहा, तो मैं सकते में आ गई.

        ... वैसे मुझे इस खोज से जो मिला, उसे मैंने आदत का नाम दिया, प्रेम का नहीं. क्योंकि प्रेम जैसी किसी भावना के लिए मेरे मन में प्रवेश वर्जित था. अपने सरल लक्ष्यों पढ़ाई, टॉप रैंक, बढ़िया नौकरी, आर्थिक आज़ादी के बीच मुझे किसी उलझन को नहीं लाना था. वैसे भी ऐसे मूर्ख और बेतुके लड़के से मुझ जैसी लड़की को प्यार हो ही नहीं सकता. मैं और मेरे भीतर की लड़ाई बस समाप्त होने को ही थी कि एक दिन अचानक गली का वह पुराना साथी लौट आया. वैसे इस बार उसके दाहिने हाथ पर प्लास्टर चढ़ा हुआ था. मैं ख़ुश तो नहीं, हां पर, मेरी पलकें भीग ज़रूर गई थीं. क्यों, तब भी नहीं समझी और आज भी नहीं जानती. “लगता है जनाब दिल के साथ हाथ भी तुड़वा बैठे हैं.” गरिमा ने धीरे से मेरे कान में फुसफुसाया, तो मैंने उसे घूरकर देखा और बोली, “क्या बकवास कर रही है. किसी ऐरे-गैरे के बारे में कुछ भी मत बोल.” मेरी इस बात पर गरिमा अपनी गर्दन हिलाते हुए बोली, “तेरे इस ऐरे-गैरे को मेरी मां ने गोद ले लिया है.” “क्या?” मैं उछल पड़ी थी. आसमान कुछ अधिक ऊंचा है, वर्ना उस दिन मारे दहशत के मैं उसे छू ही लेती.   यह भी पढ़ें: इन 10 तरीक़ों से महिलाएं करती हैं फ्लर्ट (10 Smart Techniques Of Women Flirting)     “जी. तुम्हारे बारे में जानकारी लेने के लिए जनाब मेरे घर के चक्कर लगाने लगे थे. एक दिन मम्मी ने पकड़ लिया. हीरो ने तत्काल मुझे बहन बना लिया. कहां तो मैं तुम्हारी उदासीनता देखकर, इसकी राधा बनने के सपने देख रही थी और कहां इसने मुझे अपनी सुभद्रा बना लिया. और तो और मिश्राजी की मम्मी और हमारी मम्मी, बचपन की दोस्त निकलीं. अब तो मिश्राजी ऑफिशियली हमारे भाई बन गए है. बकायदा राखी बांधते हैं भई.” गरिमा ने आंख मारकर कहा, तो मैं सकते में आ गई. “तुमने आंटी को कुछ बताया तो नहीं.” मैंने तुरंत पूछ लिया. छोटे शहरों में बात का बतगड़ बनते देर नहीं लगती, इसलिए मेरा डरना सामान्य था. “कुछ बताने लायक ही नहीं है, तो क्या बताती. वैसे कुछ बताने लायक होने की उम्मीद है क्या तुझे?” गरिमा ने कंधे उचकाकर पूछा, तो मैंने ज़ोर से ना में सिर हिला दिया. “तो बेचारा मुफ़्त में ही हाथ तुड़वा बैठा.” गरिमा ने कहा और मेरे रोकने के बावजूद शोभित को पास आने का इशारा कर दिया. उसके पास पंख नहीं थे, लेकिन वह जैसे आया उसे चलकर आना भी नहीं कहेंगे.   यह भी पढ़ें: इन 9 आदतोंवाली लड़कियों से दूर भागते हैं लड़क (9 Habits Of Women That Turn Men Off)     गरिमा ने उसके टूटे हाथ की तरफ़ इशारा करते हुए पूछा, “भाईसाहब, यह क्या हाल बना रखा है.” गरिमा ने भाईसाहब पर थोड़ा अधिक ज़ोर दिया था.

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें

पल्लवी पुंडीर       अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES         डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट.

Share this article