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कहानी- स्पर्श की भाषा… ३ (Story Series- Sparsh Ki Bhasha… 3)

 

अकेली बैठी मिष्टी कब सो जाती उसे पता ही नहीं चलता था. आज उसे बहुत अच्छा लग रहा था. लगा इस स्पर्श, इस ममतामयी निकटता की आवश्यकता सिर्फ़ मिष्टी को ही नहीं स्वयं उसे भी तो थी. इतने वर्षों से इस सुख को अपने से व्यर्थ ही दूर रखा. मिष्टी को थपकियां देते हुए वह भी गहरी नींद में सो गई.

          ... मिष्टी चहक-चहककर स्कूल की बातें बता रही थी. ध्यान से उसकी बातें सुनते हुए रेवती को लग रहा था आज खाने का स्वाद दोगुना हो गया है. खाना खाने के बाद उसने मिष्टी का मनपसंद कार्टून लगा दिया और दोनों मां-बेटी सोफे पर बैठ टीवी देखने लगी. रोज़ वह टीवी लगाकर अपने काम में लग जाती थी और मिष्टी कार्टून देखते हुए सोफे पर ही सो जाती थी. आज मां को अपने पास बैठा देख उसने रेवती का दुपट्टा थाम लिया मानो मां को पकड़ कर रखना चाहती हो. रेवती ने उसके कंधे पर हाथ रख उसे पास खींच लिया. मिष्टी आनंद से उससे सट गई और थोड़ी देर बाद पसरकर उसकी गोद में लेट गई. वह अभी भी उसका दुपट्टा थामे थी. रेवती उसका सिर थपथपाने लगी. जल्दी ही मिष्टी सो गई. रेवती उसका निश्चिंत भोला चेहरा देखती रही. अभी भी दुपट्टे का छोर उसके हाथ में था. रोज़ तो वह टीवी चला कर निश्चिंत हो जाती थी कि बच्चे को बस यही तो चाहिए.   यह भी पढ़ें: दोस्ती में बदलता मां-बेटी का रिश्ता (Growing Friendship Between Mother-Daughter)     अकेली बैठी मिष्टी कब सो जाती उसे पता ही नहीं चलता था. आज उसे बहुत अच्छा लग रहा था. लगा इस स्पर्श, इस ममतामयी निकटता की आवश्यकता सिर्फ़ मिष्टी को ही नहीं स्वयं उसे भी तो थी. इतने वर्षों से इस सुख को अपने से व्यर्थ ही दूर रखा. मिष्टी को थपकियां देते हुए वह भी गहरी नींद में सो गई. दरवाज़े पर नॉक करने की आवाज़ सुनकर रेवती की नींद खुली. उसने मिष्टी का सिर धीरे से तकिए पर रखा और दरवाज़ा खोला. सामने अंकित खड़े थे. "आज आप बड़ी जल्दी आ गए." रेवती ने कहा. "कहां ध्यान है मेमसाहब! आज तो आधा घंटा देर से आया हूं. पांच बज चुके हैं." किताबें टेबल पर रखते हुए अंकित ने जवाब दिया. "मुझे तो ऐसी नींद लगी मिष्टी को सुलाते हुए कि बैठे-बैठे ही सो गई. आपको आज देर क्यों हो गई?" रेवती ने कहा. "एक्ज़ाम्स आनेवाले हैं ना, तो स्टूडेंट डिफिकल्टीज़ लेकर आए थे. वही सॉल्व करवा रहा था. अब रोज़ ही परीक्षाएं ख़त्म होने तक देर हो जाया करेगी. उस पर इस साल सिलेबस भी चेंज हो गया है, तो और अधिक कंफ्यूज़न है छात्रों में." अंकित ने बताया.   यह भी पढ़ें: हेल्दी रिलेशनशिप के लिए छोड़ें भावनाओं की ‘कंजूसी’ (Express Yourself For A Healthy Relationship)     "आप हाथ-मुंह धोकर आइए मैं चाय बनाती हूं." कहकर वह चाय बनाने चली गई. जब तक वह चाय-बिस्किट लेकर आई, तब तक अंकित भी आ गए. दोनों सोफे पर बैठ कर चाय पीने लगे. बातों ही बातों में रेवती ने उन्हें मां के फोन के बारे में बताया.

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें

Dr. Vinita Rahurikar डॉ. विनीता राहुरीकर       अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES         डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट.

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