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कहानी- याद न जाए… 3 (Story Series- Yaad Na Jaye… 3)

बढ़ती उम्र के साथ, बढ़ता वज़न, उसके शरीर को बेडौल बना दिया था. नवीन पर नज़र पड़ते ही वह बड़े ही रूखे आवाज़ में बोली, "कौन हैं आप? कहां घुसे चले आ रहे हैं? जानी पहचानी-सी आवाज़ सुन, अतीत को टटोलता उसका मन कुछ स्मरण कर बुरी तरह चौंक उठा था. उसकी आंखें फैली की फैली रह गई थी. सौंदर्य का अवशेष मात्र रह गई वह औरत कोई और नहीं नलिनी ही थी. 

    ... एक दिन अखिलेशजी देर तक आॅफिस में बैठे थे. उदास और परेशान. नवीन ने ज़रा-सा कुरेदा, तो जैसे वह इसी इंतज़ार में बैठे थे. एकदम से दिल खोल कर रख दिए, &quot;एक बात मेरी समझ में नहीं आती है नवीन कि ये कवि और लेखक लोग, नारी को अबला, प्रेम की मूर्ति, ममता का सागर वैगरह वैगरह कैसे लिख देते हैं. अगर कोई उन्हें मेरी पत्नी के पास सिर्फ़ 24 घंटे के लिए छोड़ दे, फिर तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वह पूरे सात जन्मों तक ऐसी; उपमा देने की हिमाकत नहीं करेंगे. वह मुस्कुराता हुआ चुपचाप बैठा रहा. वह फिर थोड़ा रूक कर बोलें, ‘‘कभी मेरी पत्नी के स्मार्टलुक और रूप को देखकर मेरी मां इसे ब्याह लाई थीं, पर उन्हें क्या पता था, वह बहू नहीं अपना घर तेाड़ने का संसाधन ले आई थीं, जो अपनी कुटिल चालों से कुछ ही दिनों में उनके भोले निष्कपट दिल को छलनी कर उन्हें अपने बेटे से ही अलग कर देगी. सिर्फ़ मां से ही नहीं उसने मुझे मेरे सारे क़रीबी रिश्तेदारों से अलग कर दिया. अब जो भी रिश्ते बचे हैं, सब उसके मायके के रिश्ते हैं, जिससे मैं घर में बहुत अकेला हो गया हूं. बच्चे पहले किसी भी चीज़ के लिए आग्रह करते थे, पर समय के साथ, मां के दिखाए रास्ते पर चल कर अब उनका लहज़ा आदेशात्मक होते जा रहा है.<br> अब तुम ही बताओ मुझे चिढ़ होगी कि नहीं? हर फ़ैसला वह ख़ुद लेती है. कुछ भी बोलो, तो घर में अलग से तांडव शुरू हो जाता है. इन सब से छुटकारा पाऊं भी तो कैसे? बच्चों के भविष्य दांव पर लग जाएंगे. वैसे भी सोचो तो नवीन... ग़लती तो मेरी भी है. दशरथ के विवश हो घुटने टेकने पर ही कैकई मनमानी कर पाई थी.’’   यह भी पढ़ें: पार्टनर से बहस या विवाद को ऐसे करें हैंडल: आज़माए ये 5 स्मार्ट टिप्स… (5 Smart Ways To End) देर तक वह इसी तरह का प्रलाप करते रहें. जब दोनों आॅफिस से निकले, तो उनकी मानसिक स्थिति को देखते हुए वह उन्हें अपनी कार से घर तक छोड़ने चला गया. जब वह घर के अंदर चले गए, उसकी नज़र उनके फाइल पर पड़ी, जो कार के सीट पर ही रह गया था. वह फाइल उठाए उनके पीछे-पीछे गेट खोलकर अंदर तक चला आया. <br> सामने ही घर के खुले दरवाज़े पर एक लंबी मोटी-सी औरत खड़ी थी, जो निसंदेह कभी सर्वोतम नक्शा रही होगी, पर अब समय की मार झेलता उसका सौंदर्य श्रीहीन हो गया था. बढ़ती उम्र के साथ, बढ़ता वज़न, उसके शरीर को बेडौल बना दिया था. नवीन पर नज़र पड़ते ही वह बड़े ही रूखे आवाज़ में बोली, &quot;कौन हैं आप? कहां घुसे चले आ रहे हैं? जानी पहचानी-सी आवाज़ सुन, अतीत को टटोलता उसका मन कुछ स्मरण कर बुरी तरह चौंक उठा था. उसकी आंखें फैली की फैली रह गई थी. सौंदर्य का अवशेष मात्र रह गई वह औरत कोई और नहीं नलिनी ही थी. वह किंकतर्व्यविमूढ़ खड़ा अपने यौवन काल के प्यार को निहारता रह गया था. इससे बड़ी विडंबना उसके लिए और क्या हो सकती थी कि उसके जीवन की प्रेरणा उसका अधूरा प्यार, जिसे याद कर वह अब तक जी रहा था और जिसकी तुलना सरला से कर उसकी उपेक्षा करता आ रहा था. उसे भागते समय ने क्या से क्या बना दिया था. आज उसके प्यार का महल खंडित हो उसके सामने बिखरा पड़ा था. तभी पत्नी की आवाज़ सुनकर अखिलेशजी बाहर आ गए. आते ही बात संभाल ली, &quot;अरे नलिनी, ये कोई और नहीं मेरे जूनियर नवीनजी हैं.’’<br> तब तक वह भी फाइल थामें पास आ गया था. वह अखिलेशजी को फाइल थमाकर मुड़ा, तो उसका नाम सुन और उसे पास से देखकर नलिनी भी चौंक पड़ी थी, ‘‘नवीन तुम... तो क्या तुम भी इसी डिर्पाटमेंट में काम करते हो?’’ बोलते हुए उसके चेहरे पर आश्चर्य था, पर जल्द ही उसने अपने को संभाल लिया था और उसका चेहरा पूरी तरह भावशून्य नज़र आने लगा था, जिस पर न उससे मिलने की&nbsp; कोई ख़ुशी नज़र आ रही थी, न उसे खो देने का ग़म.अब चौंकने की बारी अखिलेशजी की थी, ‘‘क्या तुम इसे जानती हो?’’... अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें...   Rita kumari रीता कुमारी      यह भी पढ़ें: प्यार में क्या चाहते हैं स्री-पुरुष? (Love Life: What Men Desire, What Women Desire)       अधिक शॉर्ट स्टोरीज के लिए यहाँ क्लिक करें – SHORT STORIES

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