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क्या आपके हाथ में आता है ज़्यादा पसीना ? (Sweating ? Your Health Is Not Good)

Sweating, Treatment, Causes अमूमन पीठ, पेट, अंडरआर्म समेत शरीर के कई अंगों में ज़्यादा पसीना आता है, लेकिन हथेली और तलवों में सामान्यतया किसी को पसीना नहीं आता. ऐसे में अगर किसी भी हथेली और तलवों में पसीना हो रहा है, तो इसे असामान्य घटना मान सकते हैं. वैसे सामान्य तापमान पर भी हथेली और तलवों में पसीना आना बिल्कुल सामान्य प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह किसी सेहत संबंधी समस्या का सूचक भी हो सकता है. ज्यादा पसीना हानिकर पैरों के तलवे और हथेलियों में पसीना होने से रोका जा सकता है. पसीना आना भले ही शरीर से अवांछित तत्वों को बाहर निकालने की प्रक्रिया है जो त्वचा और शरीर की आंतरिक सफ़ाई का हिस्सा है, लेकिन दूसरी ओर अधिक पसीना स्वास्थ्य को बिगाड़ भी सकता है. ज़्यादा पसीना नमी पैदा करता है, लिहाज़ा, इसमें पनपने वाले बैक्टीरिया आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और कई बीमारियों को पैदा करने में अहम् क़िरदार निभाते हैं. इतना पसीना क्योें? सबसे पहले यह जानना ज़रूरी है कि हथेलियों में इतना पसीना आता क्यों है? बहुत ज़्यादा पसीना होने के कई कारण हैं, मसलन- हाइपरहाइड्रोसिस, लो ब्लडप्रेशर और तनाव. सामान्य या कम तापमान पर पसीना आना, ख़ासतौर से हथेली एवं तलवे में, तो ये हाइपरहाइड्रोसिस नामक बीमारी भी हो सकती है. हालांकि कभी कभार ऐसा होना सामान्य भी हो सकता है, लेकिन अक्सर इस तरह से पसीना आना हाइपरहाइड्रोसिस की ओर इशारा करता है. केवल हथेली या तलवे ही नहीं, पूरे शरीर में अत्यधिक पसीना आना भी इस बीमारी को दर्शाता है. हाइपरहाइड्रोसिस हाइपरहाइड्रोसिस से ग्रस्त लोगों में पसीने की ग्रंथि बहुत अधिक सक्रिय होती है. यह दो तरह का होता हैं. पहला प्राइमरी या फोकल हाइपरहाइड्रोसिस और दूसरा सेकेंड्री हाइपरहाइड्रोसिस. ज़्यादा पसीने से हाथ, पैर और अंडरआर्म तर होने की अवस्था को प्राइमरी हाइपरहाइड्रोसिस कहते हैं. इससे 2-3 फ़ीसदी आबादी प्रभावित होती है, लेकिन इससे पीड़ित 40 फ़ीसदी से भी कम व्यक्ति ही डॉक्टरी सलाह लेते हैं. इसके ज़्यादातर मामलों में किसी कारण का पता नहीं चल पाता. हो सकता है कि यह समस्या परिवार में पहले से चली आ रही हो. सेकेंड्री हाइपरहाइड्रोसिस बहुत ज़्यादा ख़तरनाक माना जाता है. इसमें पसीना निकलने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं. इनमें कोई गंभीर बीमारी भी हो सकती है. मसलन- डायबिटीज़, मेनोपॉज़, लो ग्लूकोज़ या हाइपरथायराइडिज़्म. लिहाज़ा, जिन लोगों को इस तरह की समस्या है, उन्हें बहुत ज़्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है. पसीना पूरे शरीर से भी निकल सकता है या फिर यह किसी ख़ास जगह से भी आ सकता है. मरीज़ को मौसम ठंडा रहने या आराम करने के दौरान भी पसीना आ सकता है. Sweating, Treatment, Causes हाइपरहाइड्रोसिस का इलाज सामान्यत: स्वेद ग्रंथि के ऑपरेशन से होता है, लेकिन बहुत ज़्यादा पसीने की परेशानी कुछ हद तक कम की जा सकती है. इसके लिए ऐसे कपड़ों का चुनाव करना चाहिए, जो पसीने को आसानी से सोख लें और त्वचा सांस ले सके. हथेली और पैर के तलवों में आने वाले पसीने से बचने के लिए उन्हें खुला रखना ज़रूरी है. दिनभर अगर ऑफिस में या बाहर पैर मोजे व जूतों से पैक रहते हैं, तो घर पर पूरी तरह से खुला रखें. जब भी संभव हो, पैरों से जूते और मोजे निकाल दें. इससे पसीना कम आएगा और बैक्टीरिया भी नहीं पनपेंगे. हाथों के लिए भी खुलापन बहुत ज़रूरी है, इसलिए हाथ खुला ही रखने की कोशिश करें. इससे हाथ को लगातार हवा लगती रहे. हाथों को हमेशा साफ़ भी रखें और शरीर की सफ़ाई का भी ख़ास ध्यान रखें. रोज़ाना स्नान करें. बाद में डिओ या इस तरह के दूसरे परफ्यूम का प्रयोग करें. हो सके तो नहाने के पानी में एंटी बैक्टीरियल लिक्विड की कुछ  बूंदें डाल लें. लक्षण जिस इंसान को हाइपरहाइड्रोसिस बीमारी हो जाती है, उसे बिना किसी तनाव या घबराहट के भी बहुत ज़्यादा पसीना निकलता है. गर्मी न हो तब भी ऐसा महसूस होता है कि बहुत गर्मी लग रही है, जिससे ख़ूब पसीना निकल रहा है. मरीज़ को इतना ज़्यादा पसीना आने लगता है कि उसके कपड़े तर होकर गीले दिखाई देने लगते हैं. इस बीमारी में सबसे ज़्यादा पसीना अंडरआर्म, माथा, हथेलियां, पांव और प्राइवेट पार्ट से निकलता है. उपचार हथेली और तलवे में पसीने की समस्या से छुटकारा पाने के लिए सर्जरी बेहतर और कारगर विकल्प है. कई डॉक्टर भी हथेली और तलवे में पसीने से निजात दिलाने के लिए सर्जरी की सलाह देते हैं. सर्जरी में पसीने की ग्रंथि को नियंत्रित करने वाले चेन को या तो काट दिया जाता है या फिर उसमें क्लैरप लगा दिया जाता है. स्ट्रेस में या बेचैन रहने पर ज़्यादा पसीना निकलता है. लिहाज़ा, योग और ध्यान से स्ट्रेस लेवल कम कर पसीना रोक सकते हैं. पसीना रोकने के लिए डायट में सुधार भी करना ज़रूरी है. इसके अलावा लहसुन, प्याज़ और अन्य मसालों को खाने से पसीना ज़्यादा बहता है, इसलिए इनका सेवन संयम से करें. टमाटर का रस भी रोज़ाना पीने से इससे राहत मिलती है, क्योंकि टमाटर शरीर को ठंडा रखता है.

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