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सेहत पर भारी पड़ता वर्कलोड… (The Effects Of Workload On Your Health)

Effects Of Workload
सेहत पर भारी पड़ता वर्कलोड... (The Effects Of Workload On Your Health)
कैसे हैंडल करें वर्कप्रेशर (Work Pressure) का स्ट्रेस (Stress)? अक्सर हम लोगों के मुंह से यह सुनते हैं कि बहुत बिज़ी हूं, वर्कलोड बहुत ज़्यादा है... यही हाल हमारा ख़ुद का भी है. न नींद पूरी होती है, न समय पर खाना... प्रोफेशनल लाइफ में बढ़ता कॉम्पटीशन, सबसे बेहतर करने का दबाव इस कदर बढ़ता जा रहा है कि हमारी सेहत बिगड़ रही है. -   कम उम्र में ही हाई ब्लड प्रेशर. -    बढ़ती हार्ट डिसीज़. -   टाइप 2 डायबिटीज़. -   ओबेसिटी यानी मोटापा. -   सिरदर्द, कमरदर्द, गर्दन में अकड़न. -    तनाव, डिप्रेशन, अवसाद. -    अल्कोहल, स्मोकिंग की लत. -   मन व शरीर में भारीपन आदि... ये तमाम शिकायतें हमारे बढ़ते वर्कलोड की देन हैं. ज़ाहिर है पैसे कमाना ज़रूरी है. ऑफिस में अपने काम को ईमानदारी से करना भी अच्छी बात है, लेकिन काम का प्रेशर इतना भी न बढ़ जाए कि आप ज़िंदगी जीना ही भूल जाएं.
क्या आप पर भी है वर्कलोड?
यह जानने के लिए इन लक्षणों पर ध्यान दें... रिलैक्सेशन के लिए आप अल्कोहल की शरण में ज़्यादा जाने लगे हैं: रिसर्च बताते हैं कि हफ़्ते में 40 घंटे से अधिक काम करने पर आपके शराब के सेवन की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. आप इतने थक जाते हैं कि रिस्की अमाउंट में अल्कोहल का सेवन करने लगते हैं. वीकेंड में आप बहुत ज़्यादा शराब पी लेते हैं या जिस दिन आपका मूड ख़राब होता है, तो भी आप शराब की शरण में जाते हैं. यह ट्राई करें: घर लौटते समय लैपटॉप, कंप्यूटर या फोन को न देखें, बल्कि अपने फेवरेट गाने सुनें या ऑडियो बुक भी अच्छा आइडिया है. आपके काम की क्वालिटी व प्रोडक्टिविटी कम हो रही है: अगर आपका काम समय पर नहीं हो पा रहा, तो इसका मतलब है कि आपकी प्रोडक्टिविटी कम हो रही है. आपने काम करने के घंटे बढ़ा दिए हैं, पर इसका यह अर्थ नहीं कि आप ज़्यादा काम कर रहे हैं. स्टैनफोर्ड रिसर्च पेपर में पाया गया है कि जो लोग 70 घंटे प्रति हफ़्ता काम करते हैं, वो अपने उन साथियों के मुक़ाबले अधिक काम नहीं कर रहे होते, जो 56 घंटे प्रति हफ़्ता काम करते हैं, क्योंकि हम हर रोज़, हर मिनट काम नहीं कर सकते. यह प्रकृति के ख़िलाफ़ है और असंभव भी है. यह ट्राई करें: टु डू लिस्ट तैयार करें और मल्टी टास्किंग अवॉइड करें. बेहतर होगा कि काम में भी प्राथमिकताएं तय करें. जो काम सबसे ज़रूरी है, वह पहले करें. टाइम मैनेजमेंट करें, टाइम टेबल बनाएं. इससे आप व्यवस्थित रहेंगे और कम प्रेशर महसूस करेंगे. यह भी पढ़ें: पथरी (स्टोन) से छुटकारा पाने के 5 रामबाण घरेलू उपचार (5 Home Remedies To Prevent And Dissolve Kidney Stones) आपकी नींद पूरी नहीं हो रही और दिन में थकान महसूस होती है: काम के बढ़ते बोझ के चलते नींद डिस्टर्ब होने लगती है. मन-मस्तिष्क शांत नहीं रहता, जिससे नींद न आने की समस्या व मानसिक तनाव बढ़ता जाता है. नींद पूरी न होने से अगले दिन ऑफिस में भी थकान महसूस होती है और आप काम पर भी फोकस नहीं कर पाते. इन तमाम वजहों से आपको टाइप 2 डायबिटीज़ व हार्ट डिसीज़ होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. यह ट्राई करें: ख़ुद को ब्रेक दें. काम के बीच-बीच में उठकर वॉक पर जाएं. थोड़ा स्ट्रेचिंग करें. इससे नींद व थकान दूर होगी और स्ट्रेस नहीं होगा. डिप्रेशन महसूस होने लगा है: ज़्यादा काम करने से आपकी मेंटल हेल्थ ख़राब हो सकती है. एक स्टडी में पाया गया है कि जो लोग रोज़ाना 11 घंटे काम करते हैं, वो डिप्रेशन से अधिक जूझ रहे होते हैं, बजाय उन लोगों के जो 7-8 घंटे काम करते हैं. यह ट्राई करें: आप मेडिटेशन ट्राई करें. यह मानसिक तनाव को दूर करके रिफ्रेश करता है. आप ही नहीं, आपका दिल भी अधिक काम कर रहा होता है: वर्कलोड स़िर्फ आप पर ही असर नहीं डालता, बल्कि आपके अंगों को भी प्रभावित करता है. आप भले ही यह नोटिस नहीं कर पाते, लेकिन वर्क स्ट्रेस कॉर्टिसोल नाम का हार्मोन रिलीज़ करता है, जो हृदय पर असर डालता है. यह स्ट्रोक, कोरोनरी आर्टरी डिसीज़, टाइप 2 डायबिटीज़ और कैंसर तक को जन्म दे सकता है. यह ट्राई करें: ज़्यादा देर तक बैठे रहने की बजाय स्टैंड अप मीटिंग्स करें, कॉफी ब्रेक में, लंच में भी डेस्क की बजाय साथियों के साथ खड़े होकर खाना खाएं. टी ब्रेक लें और फोन पर भी खड़े-खड़े या घूमते हुए बात करें. आपकी गर्दन व कमर में दर्द रहने लगा है: ऑक्यूपेशनल एंड एनवायर्नमेंटल मेडिसिन जरनल ने अपनी स्टडी में यह पाया है कि लोग जितना अधिक काम करते हैं, उनकी कमर में दर्द होने का रिस्क उतना ही बढ़ जाता है. महिलाओं में यह दर्द गर्दन में अधिक होता है, जबकि पुरुषों में लोअर बैक पेन होता है. यह स्ट्रेस का लक्षण है, जो मसल टेंशन की वजह से होता है. यह ट्राई करें: बेहतर होगा आप थेरेपिस्ट की मदद लें, अपनी तकलीफ़ों व स्ट्रेस के बारे में बात करके आप बेहतर महसूस करेंगे. आपके रिश्ते प्रभावित हो रहे हैं: अगर आपके पास रिश्तों के लिए समय होता भी है, तो स्ट्रेस और थकान के कारण आप में वो ऊर्जा नहीं होती कि कुछ बेहतर समय अपनों के साथ बिता सकें. आप डिप्रेशन में या चिढ़े हुए रहते हैं. यह ट्राई करें: अपने काम के बीच में ही नॉन वर्क एक्टिविटीज़ के लिए भी समय निकालें. टाइम टेबल बनाएं- फ्रेंड्स के साथ गेट-टुगेदर रखें, मूवी जाएं, म्यूज़िक सुनें, एक्सरसाइज़, लॉन्ग ड्राइव या जो भी आपको अच्छा लगे, उसके लिए टाइम निकालें.

- गीता शर्मा

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