अब बीमारियों में मिलेगा लाभ: मंत्र-मुद्रा-मेडिटेशन के साथ! (The Power Of Mantra, Mudra And Meditation)
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क्या कभी आपके ज़ेहन में यह बात आई है कि मंत्रों का क्या और कितना महत्व है? मंत्रों की शक्ति और उनके हेल्थ बेनीफिट्स के बारे में अक्सर हम सुनते रहते हैं, लेकिन शायद कभी भी हमने हेल्थ और मंत्र के साइंटिफिक कनेक्शन को जानने की कोशिश की हो. अगर हम मंत्रों के हेल्थ कनेक्शन को जान जाएंगे, तो ज़ाहिर है उन्हें बेहतर तरी़के से अपने जीवन में अपनाकर हेल्दी और बेहतर ज़िंदगी जी सकेंगे.
धर्म या अंधविश्वास नहीं, ये है विज्ञान
* अक्सर लोग आज भी इसी ग़लतफ़हमी में हैं कि मंत्रों का संबंध किसी विशेष धर्म से है, जबकि तमाम साइंटिफिक रिसर्च और शोधों से यह साफ़ हो चुका है कि मंत्रों का आधार विज्ञान है. धर्म से इनका कोई संबंध नहीं, इसीलिए हर धर्म, समुदाय के लोग इनका प्रयोग करके स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं.
* मंत्र का यदि गूढ़ अर्थ जानें, तो मन का मतलब है- माइंड और त्र का अर्थ है तरंग या कंपन. मंत्रों के जप से जो कंपन होता है, वह न स़िर्फ हमारे मस्तिष्क को प्रभावित करता है, बल्कि मंत्रोच्चारण के समय श्वास-प्रश्वास की क्रिया व रिदम हमारे ग्लांड्स पर असर डालते हैं, जिसका सीधा प्रभाव हमारी हेल्थ पर होता है.
https://www.youtube.com/watch?v=WSsDN4VF8do&t=97s
साउंड इज़ पावर
* मंत्र दरअसल साउंड यानी ध्वनि होते हैं, जिनकी एक निश्चित फ्रिक्वेंसी होती है और विज्ञान कहता है, ध्वनि ऊर्जा के सिवा कुछ नहीं है यानी मंत्र का सीधा-सीधा मतलब है- एनर्जी.
* मंत्र जप करने का अर्थ है शक्ति के अलग-अलग स्तर को महसूस करना.
* मंत्र किस तरह से हमारे जीवन व हेल्थ को प्रभावित करते हैं, इसका वर्णन वेदों में हज़ारों वर्ष पूर्व ही किया गया है. लेकिन इसके वैज्ञानिक आधार की खोज अब तक जारी थी. मंत्र और साइंस में बहुत ही गहरा कनेक्शन है.
* मंत्रों के नियमित जाप से हमारे शरीर के नर्वस सिस्टम में एक रिदम में दबाव यानी प्रेशर पैदा होता है, जिससे हमारे चक्र जाग जाते हैं और शरीर एवं मस्तिष्क में एनर्जी पैदा होती है.
* ओहायो यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक भी यह साबित हुआ है कि ध्यान यानी डीप मेडिटेशन से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफ़ी बढ़ जाती है. यही नहीं, जो लोग रोज़ाना ध्यान करते हैं, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा भी कम हो जाता है, साथ ही मांसपेशियों के दर्द से भी राहत मिलती है.
* साउंड व मंत्रों पर किए गए रिसर्च से यह पता चलता है कि निश्चित साउंड फ्रिक्वेंसी हमारे माइंड को विशेष प्रकार की आरामदायक परिस्थिति में पहुंचा देती हैं, जिसे वैज्ञानिक भाषा में अल्फा स्टेट कहा जाता है.
* मंत्रों के जप से शरीर रिलैक्स होता है और तनाव दूर होता है. मंत्र जप के व़क्त हम ध्यानावस्था में पहुंच जाते हैं और हमारा मस्तिष्क अल्फा स्टेट में, जिससे नर्वस सिस्टम बैलेंस होता है और तनाव दूर होता है.
* मंत्रों के नियमित जप से इम्यूनिटी बढ़ती है, क्योंकि इनका प्रभाव मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम पर इस तरह से होता है, जिससे हमारे हार्मोंस प्रभावित होते हैं. सेरोटोनिन और डोपामाइन को हैप्पीनेस हार्मोंस कहा जाता है, मंत्रों के सकारात्मक प्रभाव से हैप्पी हार्मोंस रिलीज़ होकर मस्तिष्क को सुखद अवस्था में पहुंचाते हैं. स़िर्फ इतना ही नहीं, हमारे मूड से लेकर भूख और नींद तक से जुड़े मस्तिष्क के केंद्रों को यह प्रभावित करके हार्मोंस के स्तर को बैलेंस करते हैं, जिससे हमारी इम्यूनिटी बेहतर होती है.
मुद्रा विज्ञान
मंत्र और साइंस में बहुत ही गहरा कनेक्शन है. मंत्रों के उच्चारण के साथ उनके जाप के समय आप किस मुद्रा में बैठे हैं, यह भी बहुत मायने रखता है. जिस तरह से मंत्रों का वैज्ञानिक आधार है, ठीक उसी तरह मुद्राओं का भी वैज्ञानिक आधार है.
मुद्राओं को यदि सिंपल तरी़के से समझें, तो यह हाथों का योगा है. हमारे हाथों और उंगलियों में जो ऊर्जा है, उसमें संतुलन बनाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं.
आयुर्वेद के मूल सिद्धांत पर ही आधारित है योग मुद्रा. आयुर्वेद की मानें, तो वात, पित्त और कफ़- इन तीनों तत्वों के संतुलन से ही शरीर स्वस्थ रहता है. इनमें असंतुलन का अर्थ है शरीर में रोग या अस्वस्थता का पनपना. जिस तरह से योग हमारे शरीर में ऊर्जा उत्पन्न करके तीनों तत्वों को संतुलित करता है, ठीक इसी तरह योग मुद्राएं भी काम करती हैं. हाथों में जो मैग्नेटिक वेव्स होती हैं, उनका प्रयोग करके हम वात, पित्त और कफ़ को संतुलित कर सकते हैं.
हम सभी जानते हैं कि हमारा शरीर 5 तत्वों से बना है- अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी और ईथर. हमारे हाथों की उंगलियां इन तत्वों का प्रतीक हैं. इन तत्वों में असंतुलन से वात, पित्त और कफ़ भी असंतुलित हो जाते हैं और वही हमारी बीमारी व अस्वस्थ होने की वजह बनते हैं, क्योंकि इनमें असंतुलन होने पर हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाती है. इन तत्वों को संतुलित रखने का सबसे कारगर तरीक़ा है योग मुद्रा!
जो उंगली, जिस तत्व का प्रतिनिधित्व करती है, उसे जब अंगूठे के संपर्क में लाया जाता है, तो वो तत्व संतुलन में आ जाता है. दरअसल मुद्रा शरीर में चुंबकीय तरंगें (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स) निर्मित करती है, जिससे शरीर में संबंधित तत्व संतुलित होता है.
https://www.youtube.com/watch?v=j6ANWwupo2A
मेडिटेशन: ध्यान की संपूर्ण अवस्था
हमारे मन में बहुत-सी शक्तियां छिपी होती हैं, लेकिन हम उन्हें पहचानते ही नहीं या फिर कभी प्रयास ही नहीं करते उनसे एकाकार होने का और मन में उतरकर उन शक्तियों को जागृत करने का. अपने मन को जानने या उससे एकाकार होने की प्रक्रिया ही है मेडिटेशन यानी ध्यान!
* यह शरीर के चक्रों को जागृत करके ऊर्जा प्रदान करता है.
* दरअसल हमारे शरीर का हर अंग किसी न किसी चक्र से संबंध रखता है. यदि किसी अंग में कोई समस्या आ जाए, तो संबंधित चक्र को एक्टिवेट करके उस अंग को संतुलित किया जा सकता है और उससे संबंधित बीमारी को ठीक किया जा सकता है.
* ध्यान की अवस्था में शरीर में हैप्पी हार्मोंस का रिसाव होता है.
* मेडिटेशन कई तरह के शारीरिक कष्टों का भी निवारण करता है.
* मेडिटेशन से इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होती है.
* हाई बीपी, अनिद्रा, मांसपेशियों के दर्द, हार्ट डिसीज़, डायबिटीज़, ओबेसिटी और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारी को भी बेहतर तरी़के से मैनेज किया जा सकता है.
मस्तिष्क में रक्तसंचार बढ़ाता है और इम्यूनिटी बढ़ाता है मेडिटेशन...
कई तरह के शोधों से पता चला है कि मेडिटेशन से स्ट्रेस से संबंध रखनेवाले हार्मोन कार्टिसॉल का स्तर घटता है, पैरासिम्पथेटिक नर्वस सिस्टम सुकून की अवस्था का निर्माण करता है, जिससे मस्तिष्क के उस हिस्से में क्रियाशीलता बढ़ जाती है, जो हैप्पी हार्मोंस रिलीज़ करता है. हार्ट रेट संतुलित होती है, मस्तिष्क में रक्तसंचार बढ़ता है, स्टैमिना बढ़ता है, शरीर ऑक्सीजन का इस्तेमाल बेहतर ढंग से कर पाता है, सेल्स का निर्माण बेहतर होता है.
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