संगमरमरी काया, बड़ी बड़ी आंखें... बला की हसीन थी यह एक्ट्रेस. जो भी एक बार देखता बस देखता रह जाता... बी आर चोपड़ा ने जब इन्हें पहली बार देखा तो अपनी फ़िल्म की लीड एक्ट्रेस बनाने का फ़ैसला कर लिया. जी हां हम बात कर रहे हैं विम्मी की. विम्मी पंजाबसे थीं और उनको पहली बार कोलकाता की एक पार्टी में मयूज़िक डायरेक्टर रवि ने देखा था. विम्मी को उन्होंने मुंबई आने को कहा. विम्मी उस वक़्त शादीशुदा थीं लेकिन यह बात उनके आड़े नहीं आई.
मुंबई में रवि ने उनकी मुलाक़ात बी आर चोपड़ा से कराई और उन्हें फ़िल्म हमराज़ में सुनिल दत्त की हीरोईन चुन लिया गया. इस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया और विम्मी रातों रात स्टार बन गई. इसके गाने भी ज़बर्दस्त हिट थे... किसी पत्थर की मूरत से मोहब्बत का इरादा है... नीले गगन के तले... तू हुस्न है मैं इश्क़ हूं... ऐसे गाने और सुनिल दत्त, मुमताज़ व राजकुमार जैसे कलाकारों के साथ पहली ही फ़िल्म में काम करना वो भी लीड रोल किसी किसी को ही नसीब होता है.
विम्मी के बंगले के बाहर प्रोड्यूसर्स की लाइन लगी रहती. हर कोई उन्हें अपनी हीरोईन बनाने को आतुर था.
विम्मी बहुत बड़े व्यापारी ख़ानदान की बहू थी, एक तरफ़ जहां विम्मी को अच्छी फ़िल्में मिल रही थीं वहीं उनकी निजी ज़िंदगी भी काफ़ी शानो शौक़त भरी थी. विम्मी ने जितेंद्र से लेकर शशि कपूर तक के साथ काम किया लेकिन उनकी निजी ज़िंदगी में समस्या आने लगी. ससुराल से तो पहले ही अनबन थी क्योंकि वो विम्मी के फ़िल्मों में आने के ख़िलाफ़ था. विम्मी और उनके पति साथ थे लेकिन अब पति से भी अनबन होने लगी थी. घरेलू हिंसा से लेकर बिज़नेस में घाटे तक की समस्याओं ने विम्मी के फ़िल्मी करियर तक पर असर डाला.
विम्मी को फ़िल्में मिलनी कम हो गई और उनकी जो फ़िल्म रिलीज़ होती वो भी ज़्यादा कुछ नहीं कर पाती. सिर्फ़ ख़ूबसूरती से क्या होता है क्योंकि एक्टिंग में विम्मी थोड़ी कच्ची थीं. उसके अलावा उनके पति का उनके करियर में हस्तक्षेप भी उन्हें नुक़सान पहुँचा रहा था.
इन तमाम करणों से विम्मी को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा. उन्होंने अंग प्रदर्शन का भी सहारा लेना शुरू कर दिया लेकिन काम ना आया. पति को छोड़ किसी और के साथ रहने चली गईं, बंगला बिक गया और वो सड़क पर आ गईं. जिसके साथ गई थीं उसने भी साथ छोड़ दिया. विम्मी को नशे की लत लग गई और पैसों के लिए वो वेश्यावृत्ति में भी चली गई. इन सबका असर उनकी सेहत पर पड़ने लगा.
आख़िरी दिनों में वो नानावटी अस्पताल में थीं लेकिन इलाज के लिए पैसे नहीं थे. वो गुमनामी के अंधेरों में इतना खो गई थीं कि उनकी सुधबुध लेनेवाला कोई नहीं था.
अंत में शरीर ने भी उनका साथ छोड़ दिया और उनकी माली हालत इतनी ख़राब थी कि 3-4 अनजान लोगों द्वारा उनके शव को ठेले पर डालकर ले जाना पड़ा.
एक चमकते सितारे का महज़ दस साल में ऐसा अंत काफ़ी दर्दनाक है लेकिन वक़्त की मार से कौन बच सका है.