हम सभी हमेशा जवां रहना चाहते हैं, लेकिन आजकल की दौड़भाग भरी तनाव की ज़िंदगी में कम उम्र में ही हमारी बॉडी शिकायत करने लगती है और हमारे शरीर पर भी बढ़ती उम्र के संकेत तेज़ी से दिखाई देने लगते हैं. लेकिन आप अपने बॉडी क्लॉक को रोककर उसे उल्टा घुमा सकते हैं और अपनी उम्र से 10 साल छोटे नज़र आ सकते हैं.
फिटनेस
फिटनेस के लिए हर किसी को, हर उम्र में मेहनत करनी ही चाहिए. यदि आप फिट नहीं हैं, तो आपको कई शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं. आप कितने फिट हैं और फिट रहने के लिए आपको क्या करना चाहिए, आइए हम आपको बताते हैं.
30 से 50 की उम्र
- सामान्य
यदि आप आसानी से 3 मंजिल तक सीढ़ियां चढ़ जाते हैं और आपकी सांस हल्की-सी फूलने या तेज़ चलने लगती है, तो यह एकदम सामान्य बात है. ऐसा अक्सर हम सबके साथ होता है. सांसों का फूलना हमारे वजन और लाइफ स्टाइल पर निर्भर होता है. - असामान्य
यदि 3 मंजिल तक सीढ़ियां चढ़ने में आपको एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है, सांस लेने में परेशानी हो रही है, सिरदर्द हो रहा है तो यह चिंता की बात है. इसी तरह आपको यदि 2 मंजिल तक सीढ़ियां उतरने में भी मुश्किल हो रही है, तो यह भी चिंता की बात है. - ऐसे टर्न करें बॉडी क्लॉक
30 की उम्र में कार्डियोवास्कुलर एक्सरसाइज़ करना बहुत फायदेमंद होता है. इससे मेटाबॉलिक रेट बढ़ता है जो उम्र बढ़ने की क्रिया को धीमा कर देती है. 40 की उम्र में रेजीस्टेंस एक्सरसाइज़ करना शुरू कर देना चाहिए. इसके साथ-साथ स्केवट्स और प्रेसअप भी करें. इससे हड्डियां मजबूत होती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव होता है.
50 से 70 की उम्र
- सामान्य
इस उम्र में जोड़ों में जकड़न होने लगती है. जिससे पहले की तरह तेज़ी से उठना-बैठना, चलना-फिरना नहीं हो पाता जो कि एक सामान्य लक्षण है. - असामान्य
यदि आपको व्यायाम करने या मेहनत के काम करने के बाद चक्कर आने लगते हैं तो यह चिंता की बात है. - ऐसे टर्न करें बॉडी क्लॉक
रोजाना वॉक करने जाएं. इससे सेहत ठीक रहती है, क्योंकि ताजी हवा आपकी सांसों में जाती है. इसके अलावा टहलने से जोड़ों में लचीलापन बना रहता है और पेट की चर्बी कम होती है. साथ ही ऑस्टियोआर्थराइटिस (जोड़ों का दर्द, जकड़न) से बचाव होता है. यदि आप ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं तो वॉक करने से इसकी तीव्रता कम होती है.
जोड़ों का दर्द
जोड़ों का दर्द एक आम समस्या है और ये तकलीफ अब कम उम्र के लोगों को भी होने लगी है. जोड़ों का दर्द से बचने और इससे छुटकारा पाने के लिए आपको अपना बॉडी क्लॉक इस तरह टर्न करना चाहिए.
30 से 50 की उम्र
- सामान्य
इस उम्र में ज़्यादातर लोगों को जोड़ों में लगातार दर्द रहता है या रह रहकर दर्द होता है, साथ ही ज़्यादा काम करने या एक्टिविटी करने से ये दर्द बढ़ जाता है. - असामान्य
आराम करने पर भी दर्द होता है और चलने-फिरने या हिलने-डुलने से भी दर्द होता है. सारी शारीरिक क्रियाएं बंद करने के बाद भी दर्द होता ही रहता है. - ऐसे टर्न करें बॉडी क्लॉक
अपने वजन को कंट्रोल में रखें. उसे बढ़ने ना दें. याद रखें आपका 1 किलो बढ़ा हुआ वजन जोड़ों पर 4 गुना भार बढ़ा देता है. बैठे रहने की बजाय रोज़ के कामकाज और शारीरिक गतिविधियां करते रहें. एक ही दिन घंटों जिम में पसीना बहाने की बजाय रोजाना थोड़ी-थोड़ी नियमित एक्सरसाइज़ करें या हप्ते में 4-5 दिन जिम जाएं. यदि जोड़ों में बहुत दर्द है, तो डॉक्टर से संपर्क करें.
50 से 70 की उम्र
- सामान्य
जोड़ों में पीड़ा या दर्द होना, जोड़ों से आवाज़ आना सामान्य बात है. - असामान्य
जोड़ों में तेज़ दर्द, लंबे समय तक दर्द, चेतनाशून्यता या पिन चुभोने जैसा दर्द होता है. कई बार दर्द इतना बढ़ जाता है कि इसे दूर करने के लिए अक्सर पेनकिलर लेना पड़ता है. - टर्न करें बॉडी क्लॉक
जोड़ों के लिए वजन कम करना बहुत फायदेमंद है. वजन कम होने से जोड़ों को ज़्यादा भार नहीं उठाना पड़ता. ऐसी डायट फॉलो करें जिससे वजन कम हो सके. बढ़ती उम्र में लंबे समय तक एक्सरसाइज़ करना ठीक नहीं, इसलिए रोजाना लगातार 30 मिनट एक्सरसाइज़ करने की बजाय 30 मिनट के समय को 3-4 भागों में बांट लें, यानी दिन में 3 बार 10-10 मिनट एक्सरसाइज़ करें.
याददाश्त
उम्र के साथ कई लोगों की याददाश्त तेज़ी से कम होने लगती है, कई लोगों को अल्ज़ाइमर जैसी समस्या भी हो जाती है. उम्र के साथ याददाश्त कम होना कब सामान्य है और कब नहीं, आइए जानते हैं.
30 से 50 की उम्र
- सामान्य
हम सबकी भूलने की आदत होती है, जैसे बाज़ार जाने पर किसी चीज़ को खरीदना भूल जाना, फोन नंबर्स का भूलना, बातचीत करते समय जगह या व्यक्ति का नाम भूलना आदि. यदि आप काफी व्यस्त रहते हैं तो यह समस्या और भी बढ़ जाती है. - असामान्य
अपना पता भूलना, चीज़ों को भूलना, ख़ुद को भी भूल जाना चिंता का विषय है. - ऐसे टर्न करें बॉडी क्लॉक
अपने स्ट्रेस/तनाव को कम करने की कोशिश करें. ऐसे लोगों के साथ रहें जो खुश रहते हैं और आपको भी उनके साथ रहने से ख़ुशी मिलती है. नियमित रूप से योग, ध्यान और एक्सरसाइज़ करें.
50 से 70 की उम्र
- सामान्य
हम देखते हैं कि बुजुर्गों को रोज़मर्रा की चीज़ें भी याद रखना मुश्किल हो जाता है. 70 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते बातचीत करते समय चीज़ों, व्यक्तियों या जगहों के नाम ज़ुबान पर नहीं आते. इन्हें याद करने के लिए ख़ुद को बहुत एकाग्र (कान्सन्ट्रेट) करना पड़ता है. - असामान्य
बुजुर्ग कई बार अपने आपको भूल जाते हैं. अपना नाम, कहां रह रहे हैं? उन्हें कुछ भी याद नहीं रहता. कई बार रिश्तेदारों को भी पहचान नहीं पाते. - ऐसे टर्न करें बॉडी क्लॉक
खुद को मन और दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए हेल्दी डायट लें. मानसिक रूप से सक्रिय रहें. आसान व्यायाम, योग और ध्यान करें. यदि भूलने की बीमारी ज्यादा बढ़ गई है, तो डॉक्टर से संपर्क करें.
सुनने की क्षमता
बढ़ती उम्र के साथ-साथ सुनने की क्षमता भी कम होने लगती है. कई बार ये समस्या इतनी बढ़ जाती है कि इसका ट्रीटमेंट जरूरी हो जाता है. आप अपनी सुनने की क्षमता को ऐसे बढ़ा सकते हैं.
30 से 50 की उम्र
- सामान्य
सुनने में कोई प्रॉब्लम नहीं होती. अलग से कोई लक्षण भी नहीं दिखाई देते. - असामान्य
इसमें कई लक्षण दिखाई देते हैं. कानों में अक्सर भिनभिनाने की आवाज़ या घंटियों की आवाज़ सुनाई देती है. ये लोग दोस्तों या परिवार के सदस्यों से बात करने की अपेक्षा टीवी या रेडियो का वॉल्युम बढ़ा कर सुनते हैं. इन्हें एक बार में लोगों द्वारा कही गई बातें ठीक से सुनाई नहीं देतीं, इसलिए ये उन्हें अपनी बात फिर से कहने के लिए कहते हैं. इन लक्षणों से ज़ाहिर होता है कि सुनने की क्षमता का धीरे-धीरे कम हो रही है. - ऐसे टर्न करें बॉडी क्लॉक
सुनने की क्षमता को बचाए रखने के लिए शोरगुल वाले स्थानों पर न जाएं. आई पॉड, मोबाइल या साउंड सिस्टम का वॉल्युम ज़्यादा ना बढ़ाएं, ये कानों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है. सुनने की क्षमता बहुत कम हो गई है, तो डॉक्टर को दिखाएं.
50 से 70 की उम्र
- सामान्य
उम्र बढ़ने के साथ-साथ सुनने की क्षमता कम होती जाती है. बैकग्राउंड म्यूजिक वाली जगहों पर, जैसे पब्स, रेस्टोरेंट या किसी कार्यक्रम में आपसी बातचीत ठीक से सुनाई नहीं देती. - असामान्य
अच्छी तरह न सुन पाने का जीवन और लाइफ स्टाइल पर गहरा प्रभाव पड़ता है. इससे व्यक्ति सोशल फंक्शन्स में जाने से कतराने लगता है. - ऐसे टर्न करें बॉडी क्लॉक
यदि सुनने में बहुत ज़्यादा अड़चन आ रही है, तो हियरिंग टेस्ट करवाएं. डॉक्टर की सलाह के अनुसार हियरिंग ऐड्स (कान की मशीन) लगवाएं. इससे आपको सारी समस्याओं से निज़ात मिल जाएगी.
देखने की क्षमता
बढ़ती उम्र का असर हमारी आंखों पर भी पड़ता है और हमारी देखने की क्षमता कम होने लगती है. अपनी देखने की क्षमता को आप इस तरह बेहतर बना सकते हैं.
30 से 50 की उम्र
- सामान्य
30 की उम्र में आंखों की दृष्टि को लगभग स्थिरता प्राप्त हो जाती है और वे हेल्दी होती हैं. 38 से 48 की उम्र के बीच दृष्टि में काफी परिवर्तन आने लगते हैं और आपको चीज़ों को देखने के लिए उन्हें पास या दूर रखना पड़ता है. यही वेकअप कॉल है कि अब आपकी उम्र बढ़ रही है. - असामान्य
चश्मा लगाने पर भी धुंधला दिखना, आंखें लाल होना, आंखों में दर्द होना असामान्य बात है. - ऐसे टर्न करें बॉडी क्लॉक
40 वर्ष की उम्र तक पहुंचते ही आंखों के डॉक्टर के पास जाएं. आंखों का पूरा चेकअप करवाएं, जिसमें आंखों के नंबर की जांच के अलावा मोतियाबिंद और ग्लूकोमा का भी चेकअप हो. मायोपिया (दूरदृष्टि) को लेसर सर्जरी द्वारा कम किया जाता है, जिससे चश्मा पहनने की आवश्यकता नहीं होती. आजकल बाइफोकल की जगह प्रोग्रेसिव ग्लासेस आ गए हैं, इनसे उम्र का पता नहीं चलता.
50 से 70 की उम्र
- सामान्य
इस उम्र में फ्लोट्रस आना, जिसमें लगता है कि नज़रों को मक्खियां क्रॉस कर रही हैं. कई बार आंखें ड्राई लगने लगती हैं. यही समय है जब आंखों की जांच करवाई जानी चाहिए. इस उम्र में डॉक्टर की सलाह का सख़्ती से पालन करें. - असामान्य
लाइट के फ्लैशेस दिखना, आंखों का लाल होना, आंखों में चुभन, सीधी लाइन का लहराती हुई दिखना गंभीर लक्षण है. - ऐसे टर्न करें बॉडी क्लॉक
समय-समय पर आंखों का चेकअप करवाते रहें. ऐसा करने से यदि रेटिना की फटन हो रही हो, डार्क स्पॉट हो या अन्य कोई बीमारी हो, तो पकड़ में आ जाती है. इनका समय रहते इलाज करवाने से आंखों की रोशनी बनी रहती है. ड्राई आईज और लाल आंखों के लिए डॉक्टर की सलाह पर आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें.
दांतों की समस्या
उम्र बढ़ने के साथ-साथ दांत भी कमज़ोर होने लगते हैं और दांतों की कई समस्याएं शुरू हो जाती हैं. बढ़ती उम्र में आप अपने दांतों को इस तरह मजबूत बनाए रख सकते हैं.
30 से 50 की उम्र
- सामान्य
कभी-कभार दांतों से ख़ून आना, दांतों में सड़न की शुरुआत, दांतों के इनेमल का कम होना, माइल्ड सेंसिविटी और दांतों का पीला/मलिन पड़ना सामान्य लक्षण हैं. - असामान्य
दांत टूटना, दांतों का हिलना, दांतों में सड़न, मसूड़ों का फूलना या अपनी जगह से सरक जाना, दांतों का घिस जाना और ठंडी या गर्म चीज़ें खाने से दांतों में तेज़ झनझनाहट होना यानी सेंसिविटी होना असामान्य लक्षण हैं. - ऐसे टर्न करें बॉडी क्लॉक
दांतों में सड़न की शुरुआत होते ही डेंटिस्ट के पास जाकर दांत साफ करवाएं एवं फिलिंग करवाएं. दांतों की अच्छी तरह देखभाल के लिए दिन में 2 बार ब्रश करें. फ्लॉसिंग (दांतों के बीच की गंदगी निकालने के लिए) एवं नियमित माउथवॉश करें.
50 से 70 की उम्र
- सामान्य
कभी-कभार दांतों की पुरानी फिलिंग का निकाल जाना, मसूढ़ों का अपनी जगह से सरक जाना, इनेमल का नष्ट होना और इससे सेंसिटिविटी का बहुत बढ़ जाना, दांतों का मलीन होना आदि. - असामान्य
दांतों की फिलिंग का नियमित रूप से टूटना या बाहर निकलना, मसूढ़ों में सूजन, ख़ून निकलना, मसूढ़ों का सरकना, जबड़ों के ज्वॉइंट्स में दर्द होना आदि. - ऐसे टर्न करें बॉडी क्लॉक
दांतों में फिलिंग करवाएं. सड़े हुए दांत को बचाने के लिए रुट कनाल ट्रीटमेंट करवाएं और उस पर कैप या क्राउन बिठाएं, ताकि फिलिंग बाहर ना निकल सके. सेंसिटिविटी हो तो डॉक्टर की सलाह से सॉफ्ट ब्रश और सेंसिटिविटी टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें. फ्लोराइड माउथवॉश से रिन्स करें.