क्या है सेक्सुअल अवर्शन?
साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रमिला श्रीमंगलम के मुताबिक़, यह एक साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति हमेशा सेक्सुअल एक्टिविटी से दूर भागता है या सेक्स से घृणा करने लगता है. ऐसा कभी-कभार नहीं, बल्कि हमेशा होता है. इस डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्ति को इंटरकोर्स के दौरान डर व घबराहट महसूस होती है. वो सेक्स से दूर रहने की हर संभव कोशिश करता है और अगर पार्टनर की इच्छा का ख़्याल रखकर वह सेक्स के लिए राज़ी हो भी जाएं, तो काम क्रिया को जल्द से जल्द ख़त्म करना चाहता है. आमतौर पर महिलाओं को पार्टनर का स्पर्श उत्तेजित करता है, लेकिन सेक्सुअल अवर्शन डिसऑर्डर की शिकार महिलाओं को पार्टनर का किस करना और छूना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता. पार्टनर के प्राइवेट पार्ट्स को देखकर ही ये असजह हो जाती हैं और प्यार के ख़ुशनुमा पल इनकी ज़िदंगी का पीड़ादायक अनुभव बन जाते हैं.लक्षण
- सेक्सुअल एक्टिविटी संबंधी बातों को अवॉइड करना. - शारीरिक लक्षण, जैसे- चक्कर आना, दिल की धड़कन का तेज़ होना, पैनिक अटैक, सांस रुकने लगना आदि. - सेक्सुअल एक्टिविटीज़, जैसे-किसिंग, टीवी पर सेक्स सीन देखने और पार्टनर के कामोत्तेजक स्पर्श से बहुत ़ज़्यादा घृणा होना. - हमेशा सेक्सुअल एक्ट को जल्द से जल्द ख़त्म करने की कोशिश करना. - यौन क्रिया के दौरान बॉडी का अलग तरह से रिएक्ट करना. - हमेशा सेक्स से दूर रहने के लिए बहाना बनाना, यहां तक कि इस बात पर पार्टनर से झगड़ा हो जाना. - सेक्स के पहले बीमार और बाद में डिप्रेस फ़ील करना. - पार्टनर के या अपने प्राइवेट पार्ट्स देखकर घृणा करना.क्यों होता है सेक्सुअल अवर्शन?
किसी भी शख्स को जन्म से सेक्स से घृणा या अरुचि नहीं होती. व़क़्त और हालात उसे ऐसा बना देते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, सेक्सुअल अवर्शन यानी सेक्स से डर या सेक्स के प्रति निगेटिव अप्रोच के कई कारण हो सकते हैं. - इंटरकोर्स के दौरान दर्द. - पार्टनर द्वारा हाइजिन का ख़्याल न रखना. - सेक्स के बारे में अधूरी जानकारी के कारण डर या गिल्ट फ़ील करना. - सेक्स के बारे में नकारात्मक बातें या कहानी सुनना. - पार्टनर से मनमुटाव या कम्यूनिकेशन गैप. - अल्कोहल, ड्रग का सेवन और प्रेग्नेंसी का डर भी सेक्सुअल अवर्शन की वजह हो सकती है. - मेनोपॉज़ या थाइरॉइड प्रॉब्लम के कारण हार्मोन का संतुलन बिगड़ना. यह भी पढ़ें: बेस्ट सेक्स एक्सपीरियंस के लिए अपनाएं ये नॉटी बातें साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रमिला श्रीमंगलम कहती हैं, ''हार्मोनल असंतुलन के अलावा रेप या यौन शोषण भी सेक्स से दूरी की वजह हो सकती है. अगर कोई व्यक्ति बचपन में ही किसी सगे-संबंधी या बाहरी शख़्स द्वारा यौन शोषण का शिकार हुआ हो, तो उसे सेक्स से घृणा हो जाती है.''सेक्स से दूरी के लिए बहाने बनाना
बहुत से केसेस में सेक्सुअल अवर्शन का शिकार पार्टनर सेक्स से दूर रहने के लिए नए-नए तरी़के ढूंढ़ते रहते हैं, जैसे-वे पार्टनर के सो जाने के बाद बेड पर जाते हैं या फिर पार्टनर को अवॉइड करने के लिए ज़्यादा देर तक काम में व्यस्त रहने का दिखावा करते हैं.रिश्तों पर असर
सेक्सुअल अवर्शन के शिकार व्यक्ति के मन में सामाजिक असुरक्षा की भावना आ जाती है. साथ ही वे बहुत अकेला महसूस करते हैं और ये नकारात्मक़ भावनाएं उन्हें निराशावादी बना देती है. सेक्सुअल अवर्शन के शिकार कुछ लोग इस कदर तनावग्रस्त और डरे रहते हैं कि इंटरकोर्स के ख़्याल से ही उन्हें पैनिक अटैक आ जाता है. ज़ाहिर है सेक्स के प्रति इस डर का कपल्स की सेक्स लाइफ़ और रिश्ते पर भी नकारात्मक़ असर होगा ही. ऐसे लोग अपने पार्टनर को संतुष्ट नहीं कर पाते और न ही उन्हें चरमानंद की प्राप्ति होती है. कई केसेस में कपल्स के बीच लंबे समय तक सेक्सुअल रिलेशन नहीं बनता. इससे उनके बीच दूरियां आना स्वाभाविक ही है. साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रमिला श्रीमंगलमकहती हैं,ङ्गसमझदार और सपोर्टिव पार्टनर न स़िर्फ अपने पति/पत्नी को साइकोथेरेपी की सलाह देते हैं, बल्कि इस डिसऑर्डर से बाहर निकलने में उनकी पूरी मदद भी करते हैं. ऐसा करके वे अपने रिश्ते को बिखरने से बचा सकते हैं, लेकिन पार्टनर अगर सपोर्टिव नहीं है और वो अपने पति/पत्नी के इलाज पर कोई ध्यान नहीं देता है, तो सेक्सुअल अवर्शन का शिकार पार्टनर डिप्रेशन में जा सकता है, जिससे न स़िर्फ रिश्ते में दूरिया बढ़ती हैं, बल्कि शादी भी टूट सकती है.फफकैसे करें डील?
विशेषज्ञों के मुताबिक़, सेक्सुअल अवर्शन डिसऑर्डर की वजह का पता लगाने के बाद ही इसका इलाज हो सकता है. अगर सेक्स से दूरी की वजह रिश्तों में आई कड़वाहट और आपसी मनमुटाव है तो मैरिज काउंसलर की सलाह, कम्यूनिकेशन ट्रेनिंग, बातचीत का सही तरीक़ा, एक-दूसरे की भावनाओं को समझने की कोशिश, प्यार, सम्मान और ग़ुस्से पर काबू रखकर समस्या का हल निकाला जा सकता है, लेकिन अगर डर या कोई हादसा सेक्स से नफ़रत की वजह है तो साइकोलॉजिस्ट की मदद ली जा सकती है. आपकी समस्या कितनी गंभीर है, ये देखने के बाद ही साइकोलॉजिस्ट मेडिकेशन, थेरेपी या दोनों की सलाह दे सकते हैं. यह भी पढ़ें: कंडोम से जुड़े 10 Interesting मिथ्स और फैक्ट्स
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