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स्त्रीधन क्या है? जानें स्त्रीधन से जुड़े अपने अधिकार(What is Streedhan? How can Women protect her Streedhan rights)

वीमेन एम्पावरमेंट का कितना भी दावा कर लिया जाए, लेकिन एक सच ये भी है कि आज भी ज़्यादातर महिलाओं को स्त्रीधन से संबंधित अपने अधिकार नहीं पता हैं और वे इसके प्रति जागरूक भी नही हैं. कोई आपका स्त्रीधन आपसे न छीन सके, इसके लिए आपको इससे जुड़े कानून की जानकारी होना ज़रूरी है.

स्त्रीधनः जानें ज़रूरी बातें

* स्त्रीधन महिला की संपत्ति है, जिसमें उसे विवाह से पहले और उसके बाद मिली संपत्ति या उपहार शामिल हैं.
* विवाह से पहले और उसके बाद मिली संपत्ति, शादी के वक्त लड़की को मिलनेवाले गिफ्ट्स, जेवर आदि को स्त्रीधन कहते हैं.
* इसके अलावा शादी के समय लड़के और लड़की दोनों को जो फर्नीचर, टीवी या दूसरी चीजें दी जाती हैं, वे भी स्त्रीधन के दायरे में आती हैं.
* स्त्रीधन में चल और अचल, दोनों तरह की संपत्तियां शामिल होती हैं- मसलन सोने-चांदी के गहने, भू-संपत्ति तथा वाहन, अप्लायंसेस, फर्नीचर इत्यादि.
* शादी के समय या उससे पहले पैरेंट्स, रिश्तेदारों, सास-ससुर और दोस्तों से मिलने वाले गिफ्ट्स भी स्त्री धन के दायरे में आते हैं.
* इसमें शादी से पहले और उसके बाद जॉब या बिजनेस से होने वाली महिला की आय तथा उसकी बचत से होने वाली आय भी शामिल है.
* स्त्री चाहे तो इसे किसी को गिफ्ट कर सकती है.
* या फिर अपनी इच्छा से वसीयत लिख सकती है.
* स्त्रीधन के बारे में कोई भी फैसला करते समय उसे पति से सहमति लेने की ज़रूरत नहीं है, न ही उसका पति या ससुराल वाले उसे इसके लिए बाध्य कर सकते हैं.
* स्त्रीधन पर स्त्री का पूरा अधिकार है. ध्यान रखें ये दहेज नहीं है. स्त्रीधन और दहेज में फर्क है.
* यदि स्त्री की स्वीकृति हो तो उसका पति स्त्रीधन का उपयोग कर सकता है, लेकिन विवाद होने या अलगाव की स्थिति में उसे इसे लौटाना होगा.

स्त्री धन के तहत क्या-क्या आता है?


* विवाह के समय अग्निसाक्षित्व के समय दिए गए उपहार.
* पिता के घर से विदा होते हुए कन्या को दिए गए उपहार.
* वधू के द्वारा बड़ों का आशीर्वाद लेते हुए उनके द्वारा दिया गया उपहार.
* विवाह के बाद पति के परिवार से
प्राप्त उपहार.
* सास ससुर द्वारा स्नेहवश दिए गए उपहार.
* माता तथा पिता के संबंधियों द्वारा दिए गए उपहार.
* भरण पोषण के लिए दिया गया धन या उस धन से खरीदी गई संपत्ति.
* स्त्री द्वारा की गई बचत.

स्त्रीधन में क्या शामिल नहीं है?


* शादी के वक्त लड़के को दिए जाने वाले जेवर, कपड़े या अन्य तरह के कीमती तोहफे स्त्रीधन में शामिल नहीं होते.
* पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई चल या अचल संपत्ति तब तक स्त्रीधन में शामिल नहीं होती, जब तक कि पति उसे पत्नी को उपहार में न दे
* यदि पत्नी कामकाजी हो, तो घर पर खर्च की गई उसकी आय को वापस पाने का दावा वह नहीं कर सकती.

स्त्रीधन पर क्या हैं महिला के अधिकार?

* महिला अपने स्त्रीधन की अनन्य मालिक है और उस पर उसका पूरा हक़ है, जिस पर न तो कोई और अधिकार जता सकता है, न ही उसे कोई नहीं छीन सकता है.
* महिलाओं को इसे अपने पास रखने, इसे अपने नियंत्रण में संग्रहित करने और इसका उपयोग करने का पूरा अधिकार है. इस अधिकार को भी उनसे कोई नहीं छीन सकता.
* अगर किसी महिला का स्त्रीधन उसकी मर्जी के बिना कोई और रख ले, तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14 के अंतर्गत उसके खिलाफ कार्यवाही का विधान है.
* यदि किसी महिला को कभी अपने वैवाहिक घर को छोड़ना पड़े, तो वह अपना स्त्रीधन अपने साथ ले जा सकती है. ऐसा करने से उसे कोई नहीं रोक सकता.
* यदि किसी महिला के पति का परिवार उसको उसका स्त्रीधन लेने नहीं दे रहा है, तो वह तुरंत उसके खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज कर सकती है, जिस पर कड़ी कार्यवाही की जा सकती है.

महिलाएं कैसे करें अपने स्त्रीधन की सुरक्षा?
* स्त्रीधन के तहत जो भी सामान दिए जाएं, उनके बिल और फोटोकॉपी साथ रखें.
* पेमेंट संबंधी दस्तावेज, चेक या ड्राफ्ट की फोटोकॉपी साथ रखें.
* सामानों की लिस्ट बनाएं और उनकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराएं.
* अपने सभी स्त्रीधन की एक लिस्ट बनाएं और इसे अलग-अलग कैटेगरी में बांटें, जैसे- नकदी, ज्वेलरी, संपत्ति, अन्य कीमती सामान आदि.
* अपने स्त्रीधन को इस तरह स्टोर करें कि उस पर आपका नियंत्रण हो, जैसे कि अपने बैंक लॉकर में या संयुक्त लॉकर में, जिसे आप भी एक्सेस भी कर सकती हैं.
* अपने स्त्रीधन को कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति को न सौंपें, जिस पर आपको भरोसा न हो. याद रखें, आपका स्त्रीधन केवल आपका है और किसी को भी आपसे इसके बारे में सवाल करने का अधिकार नहीं है.

ध्यान रखें
* यदि आपके पति का परिवार आपके स्त्रीधन को लेने की कोशिश करता है, तो दबाव या संकोच महसूस न करें. उन्हें बताएं कि आप इसे किसी को नहीं देंगी.
* यदि वे आपको परेशान करने की कोशिश करते हैं, तो आप तुरंत उत्पीड़न के लिए पुलिस शिकायत (धारा 498 ए भारतीय दंड संहिता के तहत) दर्ज कर सकती हैं.
* यदि आपको लगता है कि आपका स्त्रीधन आपके वैवाहिक घर में सुरक्षित नहीं है, तो इसे अपने माता-पिता या किसी ऐसे व्यक्ति के पास रखें, जिस पर आपको भरोसा हो.
* स्त्रीधन ही नहीं, अपने सभी अधिकारों के प्रति जागरूक रहें, उनकी जानकारी रखें, ताकि कोई आपको आपके अधिकार से वंचित न कर सके.
* वैवाहिक जीवन में किए जानेवाले सभी फाइनेंशियल फैसलों में शामिल हों. सब कुछ अपने पार्टनर पर न छोड़ दें.
* पार्टनर को भी ये समझाएं कि वो कोई भी फाइनेंशियल फैसला लेते समय आपसे सलाह ज़रूर ले.
* सबसे बड़ी बात- ध्यान रखें, स्त्रीधन पर अधिकार जताने के लिए तलाक लेने की ज़रूरत नहीं, न ही ये सोचें कि इस पर अपना अधिकार जताएंगी तो आपके आपसी संबंध खराब हो जाएंगे. बेहतर होगा कि अपना स्त्रीधन शुरुआत से ही अपने कंट्रोल में रखें.

  • श्रेया तिवारी

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