पॉकेटमनी बच्चों को मनी मैनेजमेंट का पाठ सिखाने के साथ-साथ उनमें आर्थिक आत्मनिर्भरता के गुण भी विकसित करता है. बच्चों को पॉकेटमनी देने की सही उम्र क्या है और पैसे देते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? जानने की कोशिश की है मृदुला शर्मा ने.
कब शुरू करें पॉकेटमनी?
* वैसे तो पॉकेटमनी शुरू करने की कोई तय उम्र सीमा नहीं है, लेकिन आमतौर पर 7-8 साल के बाद की उम्र सही मानी जाती है. * इस उम्र तक पहुंचते-पहुंचते बच्चे पैसे की वैल्यू समझने लगते हैं, साथ ही पैसे संभालना भी सीख जाते हैं. * अत: यह उम्र पॉकेटमनी शुरू करने का सही समय माना जाता है. * शुरुआत में कम पैसे दें. * पूरे महीने का ख़र्च एक साथ देने के बजाय ह़फ़्ते के हिसाब से पॉकेटमनी दें और उसे समझाएं कि किन चीज़ों पर पैसे ख़र्च कर सकता है? * अगर आप शुरुआत में बच्चे को पॉकेटमनी ख़र्च करने में दिशा-निर्देशन नहीं करेंगी तो हो सकता है कि वो सारे पैसे एक साथ ही ख़र्च कर दे और फिर से पैसे मांगने लगे. * इससे बचने के लिए बच्चे का ख़र्च पूछें और पॉकेटमनी मैनेज करने में उसकी मदद करें. * किसी तरह की परेशानी होने पर आप से डिस्कस करने के लिए कहें. * साथ ही उसे यह हिदायत भी दें कि तय समय के पहले पैसे ख़र्च करने पर उसे फिर से पैसे नहीं मिलेंगे. * इससे बच्चे में योजनाबद्ध तरी़के से ख़र्च करने की आदत पड़ेगी.पॉकेटमनी में शामिल ख़र्च
बच्चे को पॉकेटमनी देते समय अच्छी तरह से समझा दें कि किन चीज़ों का ख़र्च उसे पॉकेटमनी से निकालना होगा. हो सके तो उसे पॉकेटमनी में शामिल किए जाने वाले ख़र्च की लिस्ट बनाकर दें, ताकि उसे ध्यान में रखकर बच्चा ख़र्च व बचत का हिसाब लगा सके. आमतौर पर छोटे-मोटे ख़र्चे, जैसे- स्कूल कैंटीन का ख़र्च, स्टेशनरी इत्यादि का ख़र्च बच्चे अपने पॉकेटमनी से निकालते हैं. थोड़े बड़े बच्चे पॉकेटमनी से अपनी मनपसंद चीज़ें, जैसे-आइसक्रीम, स्वीट, छोटे-मोटे खिलौने व अपने फ्रेंड के लिए बर्थडे ग़िफ़्ट भी ख़रीदते हैं.कितना पॉकेटमनी है सही?
बच्चे की ज़रूरत व आवश्यकता को ध्यान में रखकर पॉकेटमनी की राशि तय करें. राशि तय करने से पहले हो सके तो बच्चे के फ्रेंड के पैरेंट्स से डिस्कस कर लें. पॉकेटमनी उसके दोस्तों से न तो बहुत ज़्यादा, न ही बहुत कम होनी चाहिए. ज़्यादा पैसे मिलने पर उसे फ़िजूलख़र्ची की आदत पड़ सकती है, वहीं दोस्तों की तुलना में कम पैसे मिलने पर वह हीनभावना से ग्रसित हो सकता है. शुरुआत में उतने ही पैसे दें, जिससे वे अपने लिए छोटी-छोटी चीज़ें, जैसे- मनपसंद टॉफ़ी, पेंसिल, स्टीकर आदि ख़रीद सके.कब बंद करें?
* बच्चे को पॉकेटमनी तब तक देते रहें, जब तक वो फुलटाइम जॉब न करने लगे. * अगर वो पार्ट टाइम जॉब करता है तो भी उसकी पॉकेटमनी बंद न करें. * हां, हर महीने पॉकेटमनी देने के बजाय दो-तीन महीने में तय रकम दे दें या फिर उसके ज़रूरत का सामान ख़रीदने में मदद करें.एसोसिएट चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार, पिछले एक दशक में बच्चों को मिलने वाले पॉकेटमनी की राशि में 6 गुना वृद्धि हुई है. लड़के अपनी पॉकेटमनी इलेक्ट्रॉनिक आइटम पर ख़र्च करते हैं, जबकि लड़कियां कपड़े, जूते, बैग्स व मेकअप आइटम पर ख़र्च करती हैं.
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