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क्या होता है जब हम नहीं खाते खाना? (What Would Happen if You Stopped Eating?)
आहार की वजह से इंसान ज़िंदा रहता है. इसके बावजूद अगर कहें कि कुछ लोगों के लिए भोजन उनकी प्राथमिकता में ही नहीं होती है, तो अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा. भागदौड़ के बीच वे हर काम सही समय पर कर लेते हैं, बस जो चीज़ छूटती है, वह है उनका भोजन. डॉक्टरों का मानना है कि इस तरह की लाइफस्टाइल पर लंबे समय तक रहने से शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता कमज़ोर हो जाती है. इसका असर टिश्यूज़ में कमी के रूप में सामने आता है, जिससे शरीर में फैट की ज़रूरी मात्रा भी नहीं रह पाती.
पौष्टिक तत्वों वाला पदार्थ ही लें
हर इंसान को थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद ऐसा कोई भी पदार्थ ज़रूर लेना चाहिए, जिसमें पर्याप्त मात्रा में शुगर, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, फैट, जल, प्रोटीन और मिनरल्स हों. इंसान को स्वस्थ रहने के लिए इन सभी तत्वों से भरपूर भोजन को समय-समय पर ग्रहण करते रहना चाहिए. इंसान समेत धरती का हर जीव न केवल जीवित रहने के लिए, बल्कि स्वस्थ और सक्रिय जीवन बिताने के लिए भोजन करते हैं. भोजन में अनेक पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर का विकास करते हैं, उसे स्वस्थ रखते हैं और शक्ति प्रदान करते हैं.
भोजन न करने से घटता है फैट
कभी-कभी लंबे समय तक भोजन न करने से शरीर के बाहरी हिस्से में बदलाव होता है, लेकिन शरीर के अंदर एकत्रित रहने वाले फैट की कमी किसी को नहीं दिखाई देती है. कई बार ऐसा होता है कि कई-कई घंटे तक कुछ भी नहीं खा पाते. कभी नाश्ते के समय बिस्तर से उठ नहीं पाते हैं, तो कभी दोपहर में खाने के समय किसी काम में व्यस्त रहने से भोजन मिस हो जाता है. उसके बाद कुछ भी जल्दबाज़ी में तला-भुना खा लेते हैं, जिससे शरीर ज़रूरी पौष्टिक आहारों से वंचित रह जाता है.
छह घंटे बाद आहार ज़रूरी
मेडिकल साइंस कहती है कि हर इंसान को जब वह सो न रहा हो तो हर छह घंटे बाद कुछ न कुछ खा लेना चाहिए. सबसे बेहतर तो यह होता है कि हर कोई हर दो घंटे बाद कुछ न कुछ खा ले, लेकिन आज के अति व्यस्त जीवन में लोगों से यह भी नहीं हो पाता है और वे कई-कई घंटे बिना किसी आहार के रह जाते हैं. आइए, जानते हैं कि जब हम लंबे समय तक भोजन नहीं करते, तब शरीर पर क्या असर होता है?
दिन के पहले छह घंटे कुछ न खाना
जब हम सुबह का नाश्ता नहीं कर पाते तो हमारे शरीर में ऊर्जा को स्टोर करने वाले ग्लाइकोज़न ग्लूकोज़ में टूटने लगते हैं. इस ग्लूकोज़ का इस्तेमाल हमारी सेल्स प्रायः ऊर्जा पाने के लिए ईंधन के रूप में करती हैं. उसमें से 25 फ़ीसदी ऊर्जा का इस्तेमाल अकेले हमारा दिमाग़ ही कर लेता है. ऐसे में शेष बची हुई ऊर्जा टिश्यूज़ और रेड ब्लड सेल्स के काम आती है. छह घंटे के बाद ग्लाइकोज़न के स्तर में बहुत तेज़ी से कमी आने लगती है, जिससे शरीर में ऊर्जा का स्तर कम होने लगता है. इससे भूख लगती है और हम थकावट महसूस करते हैं. शरीर में ऊर्जा का स्तर कम होना ही भूख लगना है. इसके बाद शरीर उस अवस्था में आ जाता है, जिसे हम किटोसिस कहते हैं, जहां छह घंटे के बाद भी भोजन न लेने पर हमारा शरीर भूखा होने यानी व्रत वाली अवस्था में आ जाता है. इसका शरीर पर बहुत प्रतिकूल असर पड़ता है.
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ऊर्जा स्तर गिरता है शरीर में
कई डॉक्टर यह भी मानते हैं कि यह भी सच है कि एक समय का भोजन छोड़ने पर हमारा शरीर किस तरह का रिएक्शन देगा, यह हमारी उम्र, सेहत और डायट पर भी निर्भर करता है. परंतु यह भी सच है कि बहुत देर तक भोजन न करने से शरीर में ऊर्जा का स्तर कम होता है और शरीर कमज़ोरी महसूस करने लगता है. जिनका शरीर बहुत मज़बूत रहता है, वे एक या दो दिन न खाने के बावजूद उसी तरह ऊर्जावान बने रहते हैं.
किटोसिस का क्या होता है असर?
बहुत देर तक कुछ न खाने से पहले शरीर में और फिर ख़ून में ग्लूकोज़ की मात्रा घटने लगती है. ग्लूकोज़ के अभाव में हमारा शरीर ऊर्जा के लिए फैट का इस्तेमाल करने लगता है. मोटे लोग, यानी जिन लोगों का वज़न अधिक होता है, उन्हें फैट आसानी से मिल जाती है. समस्या यह होती है कि यह फैट फैटी एसिड में टूटती है इनमें से अधिकतर फैटी एसिड लंबी कड़ी वाले होते हैं, जिन्हें मस्तिष्क इस्तेमाल नहीं कर पाता. इस तरह ख़ून में ग्लूकोज़ की मात्रा कम होने और फैटी एसिड की संरचना लंबी कड़ियों में होने के कारण वह ब्लड ब्रेन बैरियर को पार नहीं कर पाती. ऐसे में इमर्जेंसी में दिमाग़ ऊर्जा ग्रहण करने के लिए अपना तरीक़ा बदलने लगता है और वह किटोसिस का इस्तेमाल करने लगता है. इनकी संरचना छोटी होने के कारण ये ब्लड ब्रेन बैरियर को पार कर लेती हैं, पर यह लंबे समय तक संभव नहीं हो पाता, क्योंकि दिमाग़ किटोसिस से 75 फ़ीसदी तक ही ऊर्जा ले पाता है. शेष ऊर्जा के लिए ग्लूकोज़ की ज़रूरत होती है. कहने का मतलब ये है कि देर तक भूखे रहने का असर दिमाग़ी प्रक्रियाओं पर पड़ने लगता है.
न खाने से नहीं घटता वज़न
अगर इंसान कई दिन तक कुछ नहीं खाता तो इसका और व्यापक असर होता है. दरअसल, 72 घंटे बाद मूड और ऊर्जा के स्तर में तो कमी आती ही है, शरीर भीतर के प्रोटीन को तोड़ने लगता है. यह प्रोटीन, एमिनो एसिड जारी करते हैं, जो ग्लूकोज़ में बदल जाते हैं. यह दिमाग़ के लिए तो बहुत अच्छा है, लेकिन शरीर के लिए नहीं. इससे फैट में कमी नहीं आती, केवल टिश्यूज़ का भार घट रहा होता है. कई लोग सोचते हैं कि भोजन छोड़ देने से वज़न कम हो जाएगा, यहां उनकी सोच ग़लत साबित हो रही है. दरअसल, भोजन छोड़ने से वज़न कम होता है. वज़न में कमी टिश्यूज़ के भार में आने वाली कमी के कारण होती है. इसलिए इस ग़लतफ़हमी में नहीं रहना चाहिए कि वेट लूज़ करने के लिए खाना छोड़ देना चाहिए.
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