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एंटीबायोटिक्स क्यों हैं ख़तरनाक? (Why Antibiotics are Harmful for Your Health)

Antibiotics side effects बीमारियों में तुरंत आराम के चक्कर में एंटीबायोटिक्स (Antibiotics side effects) का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन ये स्थिति कई प्रॉब्लम्स की वजह बन सकती है. कई रोगों के इलाज के लिए उपयोग होनेवाली एंटीबायोटिक्स ख़ुद बीमारी की वजह बन सकती है. एंटीबायोटिक एक ऐसी दवा है, जो इंफेक्शन व कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है. लेकिन एंटीबायोटिक्स का अगर सही तरी़के से इस्तेमाल नहीं किया गया, तो लाभ की जगह ये नुक़सान पहुंचा सकती है. अगर आप जान लें कि एंटीबायोटिक्स कब इस्तेमाल करनी चाहिए और कब नहीं, तो आप ख़ुद को व अपने परिवार को इसके ख़तरे से बचा सकते हैं. एंटीबायोटिक्स की ए बी सी... * आज एंटीबायोटिक्स सबसे ज़्यादा प्रिस्क्राइब की जानेवाली दवा बन गई है और चूंकि इससे तुरंत आराम मिलता है, इसलिए हम भी चाहते हैं कि डॉक्टर एंटीबायोटिक ज़रूर दे. कई डॉक्टर भी ज़रूरी न होने पर भी एंटीबायोटिक्स लिख देते हैं. कुल मिलाकर दुनियाभर में एंटीबायोटिक्स का उपयोग की बजाय दुरुपयोग हो रहा है. * सबसे पहले तो ये जान लें कि एंटीबायोटिक्स बेहद इफेक्टिव दवा ज़रूर है, लेकिन ये हर बीमारी का इलाज नहीं है. * ये भी ध्यान रखें कि एंटीबायोटिक्स सिर्फ़ बैक्टीरियल इंफेक्शन से होनेवाली बीमारियों पर असरदार है. वायरल बीमारियों, जैसे- सर्दी-ज़ुकाम, फ्लू, ब्रॉन्काइटिस, गले में इंफेक्शन आदि में ये कोई लाभ नहीं देती. * ये वायरल बीमारियां ज़्यादातर अपने आप ठीक हो जाती हैं. हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता इन वायरल बीमारियों से ख़ुद ही निपट लेती हैं. इसलिए अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की  कोशिश करें. * हां, बैक्टीरियल इंफेक्शन से होनेवाली हेल्थ प्रॉब्लम्स में कई बार एंटीबायोटिक्स लेना ज़रूरी हो जाता है. * एंटीबायोटिक्स तभी लें, जब ज़रूरी हो और जब डॉक्टर ने प्रिस्क्राइब किया हो, वरना ऐसा हो जाएगा कि जब आपको सही में एंटीबायोटिक्स की ज़रूरत होगी, तब वो बेअसर हो जाएगी. दरअसल, एंटीबायोटिक्स लेने से सभी बैक्टीरिया नहीं मरते और जो बच जाते हैं, वे ताक़तवर हो जाते हैं. इन बैक्टीरियाज़ को उस एंटीबायोटिक्स से मारना असंभव हो जाता है. ये एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंट बैक्टीरिया कहलाते हैं. * ये एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंट बैक्टीरिया ज़्यादा लंबी और गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं और इन बीमारियों से लड़ने के लिए ज़्यादा स्ट्रॉन्ग एंटीबायोटिक्स की ज़रूरत होती है, जिनके और ज़्यादा साइड इफेक्ट्स होते हैं. * ये एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंट बैक्टीरिया बहुत तेज़ी से फैलते हैं और आपके परिवार के सदस्य, बच्चे और आपके साथ काम करनेवालों को भी अपना शिकार बनाते हैं. और हो सकता है कि एक स्टेज ऐसा भी आ जाए कि सभी ऐसे इंफेक्शन से घिर जाएं, जिसका इलाज मुश्किल हो. * एंटीबायोटिक्स दवाएं अनहेल्दी व हेल्दी बैक्टीरिया के बीच फ़र्क़ नहीं कर पातीं, यही वजह है कि ये अनहेल्दी बैक्टीरिया के साथ-साथ हेल्दी बैक्टीरिया को भी मार देती हैं. * दुनियाभर में नई एंटीबायोटिक्स का विकास रुक गया है और एंटीबायोटिक दवाओं के बहुत ज़्यादा व ग़लत इस्तेमाल से जो एंटीबायोटिक दवाएं उपलब्ध हैं, वे बेअसर हो रही हैं और ये दुनियाभर के मेडिकल एक्सपर्ट्स के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि ऐसी स्थिति में कई बीमारियों का इलाज मुश्किल हो जाएगा. * ध्यान रखें कि जिन एंटीबायोटिक्स की आपको ज़रूरत नहीं है, उसे लेने से आप अच्छा महसूस नहीं करेंगे, ना ही ये आपकी किसी तकलीफ़ का इलाज है, बल्कि ये आपको नुक़सान ही पहुंचाएंगे. Antibiotics side effects एंटीबायोटिक के साइड इफेक्ट्स * उल्टी महसूस होना या चक्कर आना * डायरिया या पेटदर्द * एलर्जिक रिएक्शन. कई बार एलर्जी इतनी गंभीर हो सकती है कि आपको इमर्जेंसी केयर की ज़रूरत पड़ सकती है. * महिलाओं में वेजाइनल यीस्ट इंफेक्शन की शिकायत भी हो सकती है. क्यों हैं ख़तरनाक? * एंटीबायोटिक्स के प्रति हमारा रवैया बेहद लापरवाही भरा है और हम इसे आम दवा समझकर धड़ल्ले से इसका सेवन करते हैं. * ये सस्ती हैं और आसानी से उपलब्ध भी. * केमिस्ट बिना किसी डॉक्टर की पर्ची के भी एंटीबायोटिक्स बेचते हैं. * 70-75% डॉक्टर्स सामान्य सर्दी-ज़ुकाम के लिए भी एंटीबायोटिक्स लिख देते हैं. * आश्‍चर्यजनक तौर पर 50% मरीज़ ख़ुद एंटीबायोटिक्स दवाएं लेने पर ज़ोर देते हैं. एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंट होने के परिणाम दुनियाभर में डॉक्टर्स और मरीज़ों द्वारा एंटीबायोटिक्स का दुरुपयोग हो रहा है. नतीजा बैक्टीरिया इन दवाओं के प्रति इतने रेज़िस्टेंट हो रहे हैं कि इन एंटीबायोटिक्स का उन पर कोई असर ही नहीं हो रहा है. आसान शब्दों में बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं से ज़्यादा ताक़तवर हो रहे हैं. ये स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है और इसके परिणाम भी. क्या हो सकता है? * गंभीर बीमारियां या विकलांगता * पूर्व में जिन रोगों का उपचार संभव होता है, वही रोग अब इतने गंभीर हो जाते हैं कि मौत तक का कारण बन सकते हैं. * बीमारी में ठीक होने में लंबा समय लग सकता है. * बार-बार डॉक्टर के चक्कर लगाने या हॉस्पिटल में एडमिट होने की नौबत आ सकती है. * किसी भी ट्रीटमेंट का उतनी जल्दी असर नहीं होता. * इन सब वजहों से ट्रीटमेंट महंगा भी पड़ सकता है. तो क्या करें? जिस तरह नई एंटीबायोटिक्स का विकास नहीं हो रहा है और जो एंटीबायोटिक्स हैं, वे बेअसर हो रहे हैं, उसे देखते हुए बेहद ज़रूरी हो गया है कुछ क़दम उठाना, ताकि इन एंटीबायोटिक्स की उम्र को बढ़ाया जा सके और लोगों को एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंट इंफेक्शन्स से बचाया जा सके. इसके लिए कई हॉस्पिटल और मेडिकल एसोसिएशन ज़रूरी क़दम उठा रहे हैं और एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल को लेकर गाइडलाइन भी बना रहे हैं, लेकिन आपको व हमें भी कुछ क़दम उठाने होंगे, तभी हम और हमारा परिवार हेल्दी रह सकता है. इसके लिए आप निम्न क़दम उठा सकते हैं- * एंटीबायोटिक्स तभी लें, जब डॉक्टर ने प्रिस्क्राइब किया हो. * बल्कि अगर डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स लिखकर दें, तो उनसे पूछें कि क्या आपको सचमुच एंटीबायोटिक्स की ज़रूरत है. * रोज़ाना नियमित समय पर गोलियां लें और कोर्स ज़रूर पूरा करें. * अगर कोर्स पूरा करने के बाद एंटीबायोटिक गोलियां बच गई हों, तो उन्हें फ़ौरन फेंक दें. ये सोचकर उन्हें रखे न रहें कि अगली बार बीमार होने पर खा लेंगे, क्योंकि ज़रूरी नहीं कि अगली बार बीमार होने पर वही एंटीबायोटिक्स असर करे. * किसी और व्यक्ति के लिए प्रिस्क्राइब की गई एंटीबायोटिक ख़ुद कभी न लें. भले ही रोग के लक्षण एक समान हों, पर वही एंटीबायोटिक आपकी तकलीफ़ भी दूर करेगी, ये ज़रूरी नहीं. * डॉक्टर पर कभी एंटीबायोटिक्स देने के लिए दबाव न डालें. डॉक्टर को ज़रूरी लगेगा, तो वे ख़ुद आपको एंटीबायोटिक्स का कोर्स देंगे. * बैक्टीरिया के अटैक से बचने की कोशिश करें. इसके लिए हाइजीन का ख़्याल रखें. अपने हाथ अच्छी तरह धोएं, ख़ासकर टॉयलेट यूज़ करने के बाद और कुछ भी खाने-पीने से पहले. सब्ज़ियां और फल इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह धो लें. किचन को साफ़-सुथरा रखें. * बच्चों को ज़रूरी टीके लगवाना न भूलें. कुछ टीके बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी सुरक्षा देते हैं. Antibiotics side effects  इन लक्षणों को अनदेखा न करें * आमतौर पर एंटीबायोटिक्स 24-48 घंटों में असर दिखाने लगती हैं. अगर एंटीबायोटिक्स लेने के बाद भी आपको आराम नहीं आ रहा है या निम्न लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो फ़ौरन डॉक्टर से संपर्क करेंः * एंटीबायोटिक्स लेने के बावजूद तीन दिन से ज़्यादा बुख़ार. * बढ़ता-घटता बुख़ार, तेज़ कंपकंपी, लो ब्लड प्रेशर आदि बैक्टीरिया के इंफेक्शन के संकेत हैं. * डायरिया या पेचिश. * गर्दन, जांघ के ऊपरी हिस्से या बगल में सूजन भरी गांठ. * तेज़ सिरदर्द. * स्किन रैशेज़ या फुंसियां, जिन्हें छूने पर दर्द हो. डॉक्टर से ये बातें ज़रूर बताएं- * डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक्स प्रिस्क्राइब कर रहे हैं और अगर आप पहले से कोई और दवाएं ले रहे हैं. * अगर आप कोई डायट प्लान फॉलो कर रहे हैं या कोई हर्बल सप्लीमेंट्स ले रहे हैं. * अगर आपको किसी एंटीबायोटिक्स की एलर्जी है. तो इस बारे में अपने डॉक्टर को ज़रूर बताएं, ताकि डॉक्टर उस हिसाब से आपको एंटीबायोटिक्स लिखकर दे.

- प्रतिभा तिवारी

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