यह सुनकर किसान एवं उसकी बेटी दोनों अचम्भे में आ गए. कहां वह अधेड़ उम्र का बनिया और कहां वह सुन्दर युवती!
किसान ने यह शर्त मानने से इनकार कर दिया. बनिया क्रोधित हो उठा और धमकी दी कि यदि तुमने मेरी शर्त नहीं मानी तो मैं तुम्हें जेल भिजवा दूंगा.
एक छोटे से गांव में एक ग़रीब किसान अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहता था. किसान बहुत मेहनती और ईमानदार था. परन्तु वर्षों से अपनी ग़ुरबत से जूझ रहा था. समय-समय पर उसे घर की रोटी जुटाने के लिए भी बनिए से उधार लेना पड़ जाता था. कभी अधिक वर्षा और कभी कम वर्षा के कारण फसल ख़राब हो जाती और उधार चुकता करना तो क्या और उधार लेना पड़ जाता.
बनिया भी कब तक सब्र करता? उसे भी अपना पैसा चाहिए था.
किसान के घर चक्कर लगाने में एक बार उसकी नज़र किसान की सुंदर युवा बेटी पर पड़ी और वह उस पर रीझ गया. उसने किसान के सामने एक शर्त रखी.
“यदि तुम अपनी बेटी का विवाह मुझसे कर दो तो मैं तुम्हारा पूरा ऋण माफ़ कर दूंगा."
यह सुनकर किसान एवं उसकी बेटी दोनों अचम्भे में आ गए. कहां वह अधेड़ उम्र का बनिया और कहां वह सुन्दर युवती!
किसान ने यह शर्त मानने से इनकार कर दिया. बनिया क्रोधित हो उठा और धमकी दी कि यदि तुमने मेरी शर्त नहीं मानी तो मैं तुम्हें जेल भिजवा दूंगा.
मामला गांव की पंचायत तक पहुंचा. बहुत सलाह-मशविरा करके सरपंच ने यह निर्णय लिया कि फ़ैसला लड़की के भाग्य पर छोड़ देना चाहिए.
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सरपंच ने एक व्यक्ति को दो थैलियां देकर कहा, “एक थैली में सफ़ेद पत्थर और दूसरे में काले डालकर दोनों थैलियों में गांठ लगा कर ले आओ. लड़की को एक थैली का मुंह खोलने के लिए कहा जाएगा.
यदि लड़की ने काले पत्थर वाली थैली चुनी तो उसे बनिए से विवाह करना होगा और किसान का ऋण चुकता हो जाएगा.
परन्तु यदि लड़की ने सफ़ेद पत्थरों वाली थैली चुनी तो वह बनिए से विवाह करने को बाध्य नहीं होगी, परंतु उसके पिता का ऋण माफ़ कर दिया जाएगा.
और यदि उस युवती को यह शर्त मंज़ूर नहीं तो उसके पिता को जेल भेज दिया जाएगा.”
अर्थात् लड़की को यह शर्त माननी ही पड़ेगी.
गांव की कच्ची ज़मीन पर पत्थरों की क्या कमी?
पर वह व्यक्ति बनिए का मित्र था और अपने मित्र के कहने पर उसने दोनों थैलियों में चुन-चुन कर काले पत्थर डाले और दोनों थैलियों पर गांठें लगा कर ले आया.
लड़की भी चतुर थी. जब वह व्यक्ति थैलियों में पत्थर डाल रहा था तो लड़की ने अपनी नज़र उसी पर टिकाए रखी. उसने देखा कि पत्थर चुनने वाला दोनों थैलियों में ही काले पत्थर डाल रहा है.
अर्थात् वह कोई भी थैली उठायेगी, उसे काले पत्थरों वाली ही मिलेगी. परन्तु लड़की घबराई नहीं. उसे एक तरकीब सूची. वह पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ी. थैली में से एक पत्थर निकाला और घबराहट में वह पत्थर नीचे गिर गया.
और नीचे तो अनेक पत्थर थे, अत: वह पत्थर उनमें खो गया.
“अब क्या करें?” लड़की ने कहा. कुछ सोचने के बाद लड़की ने कहा, “कोई समस्या नहीं. दूसरी थैली खोलकर देख लेते हैं. उसमें जो पत्थर होगा, वह गिर जाने वाले पत्थर के विपरीत ही होगा." दूसरी थैली खोलकर देखी गई. उसमें काले पत्थर मिले. मतलब यह कि खो जाने वाला पत्थर सफ़ेद था.
बात तो स्पष्ट थी और शंका की कोई गुंजाइश नहीं थी. अतः लड़की भी स्वतंत्र रही एवं उसके पिता का ऋण भी माफ़ कर दिया गया.
अब बनिया कुछ नहीं कर सकता था.
पाठक यह बात तो समझ गए होंगे कि उस बुद्धिमान बालिका से थैली का पत्थर ‘गिरा नहीं था, जान-बूझकर गिरा दिया था.’
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कहानी का सार यह है कि कठिन स्थिति आने पर निराश हो जाने की बजाय शांत मन से समस्या का निदान सोचें. कोशिश करने पर उसका हल अवश्य मिल जाएगा.


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