कई बार हम अपनी ज़िंदगी में इतने उलझ जाते हैं कि वास्तविकता को देखने की बजाय उसे अनदेखा करने लगते हैं. फिर चाहे वह रिश्तों की बात हो, करियर की या फिर अपनी मानसिक स्थिति की... हम ख़ुद को यह यक़ीन दिलाने की कोशिश करते हैं कि सब अच्छा है, जबकि हमें पता होता है कि कुछ सही नहीं हो रहा. यही वो समय होता है जब हमें ख़ुद से जुड़ी रियलिटी को चेक करने की ज़रूरत होती है.
ख़ुद से झूठ बोलना
* जब आप किसी स्थिति को लेकर सच से आंखें चुराने लगते हैं.
* आप जानते हैं कि हमारा रिश्ता टूट चुका है, पर आप सोचते हैं कि इस रिश्ते को थोड़ा और समय देंगे, तो बेहतर हो जाएगा.
* आपको मालूम है कि आपके जॉब में ग्रोथ नहीं है, इसके बावजूद ख़ुद को तसल्ली देते रहते हैं कि नौकरी तो है.
* इस तरह के विचार आपको टेंपररी रूप से संतुष्ट भले ही कर देते हैं, लेकिन भविष्य में इससे नुक़सान होने की गुंजाइश अधिक रहती है.
क्यों ज़रूरी है रियलिटी चेक करना?
* स्वयं को बेहतर तरी़के से समझने के लिए
* ख़ुद सही फ़ैसला लेने का सामर्थ्य बढ़ाने के लिए
* अपने वक़्त व एनर्जी को सही डायरेक्शन में ले जाने के लिए
* अपनी संभावनाओं व सीमाओं को जानने के लिए याद रहे, रियलिटी चेक करने से आपको ख़ुद से जुड़ी बातों का न केवल पता चलता है, बल्कि आप ख़ुद से संबंधित सच्चाई को भी जान पाते हैं. इससे आगे बढ़ने की प्रेरणा भी मिलती है.
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जानें उन छोटी-छोटी बातों को जो संकेत देती हैं कि आप स्वयं को चीट कर रही हैं
* अक्सर बहानेबाज़ी करना, जैसे- मैं बहुत बिज़ी रहती हूं या मेरे पास समय नहीं है...
* ख़ुद के प्रति सहानुभूति रखना, दूसरों पर दोषारोपण करना...
* अच्छा महसूस करने के लिए अति करना, जैसे ओवर पॉजिटिव होना...
* फीडबैक को महत्व न देना, उसे अनदेखा करना...
आइए रियलिटी चेक करने के लिए ईमानदारी से ख़ुद से कुछ प्रश्न करें-
* क्या मैं वास्तव में ख़ुश हूं या मात्र दिखावा कर रही हूं?
* क्या मैं जिस ओर जा रही हूं, वो मैं करना चाहती हूं?
* कहीं सच्चाई व चीज़ों को लेकर मैं भ्रमित तो नहीं हूं?
बेस्ट सोल्यूशन...
* ईमानदारी व साफ़गोई से अपनी भावनाओं, ख़ुशी-ग़म, अनुभव, विचारों आदि को हर रोज़ अपनी डायरी में लिखें. इस तरह आप ख़ुद को चीट कर रही हैं यानी स्वयं से झूठ बोल रही हैं या नहीं, ये बेहतर समझ पाएंगी.
* कुछ इस तरह से भी ख़ुद को आज़माएं कि मान लीजिए कि आपकी जगह पर कोई और इस तरह की चीज़ों का सामना कर रहा होता तब आप उसे क्या सलाह देतीं.
* अपने बेस्ट फ्रेंड या जिन्हें आप अपना सच्चा हितेषी मानती हैं, उनसे बात करें. हां, साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि वो आपको सच्चाई बताने से हिचकिचाएं नहीं और न कतराएं.
* ख़ुद को बदलने की शुरुआत छोटे-छोटे निर्णय से शुरू करें.
* स्वयं के लिए गए फ़ैसले में झूठ व सच को परखना सीखें.
स्वयं से झूठ क्यों बोलती हैं, जानें कारण-
* असफल होने का भय
* स्वाभिमान कहें या आत्मसम्मान की कमी यह सच है कि जब हमें कारणों का पता होगा, तब इसका निवारण करना भी आसान हो जाएगा. इसलिए कारणों की तह तक जाना बेहद ज़रूरी होता है.
* फैमिली और समाज की अपेक्षाएं
* परेशानियों से बचने की मानसिकता वाली आदत
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ख़ुद से सच बोलना एक साहसिक क़दम है. यह तो मानी हुई बात है कि रियलिटी चेक करना आसान नहीं होता, क्योंकि यह आपके ख़्वाबों, आदतों व तय की गई मान्यताओं को चैलेंज करता है. पर यह भी उतना ही सच है कि यह आपकी आत्म उन्नति की ओर बढ़ता पहला कदम है.
सच का सामना करें...
यदि आप लंबे समय से एक ही चक्र में फंसी हुई हैं और बदलाव लाने का सोचते हुए भी उसे नहीं कर पा रहीं और टालती जा रही हैं, तो शायद आप स्वयं को धोखा दे रही हैं. अब इस चीट को दरकिनार करने का समय आ गया है. सच का सामना करते व उसे स्वीकारते हुए आगे ब़ढ़ें, ताकि आपमें सकारात्मक बदलाव हो सके. ध्यान रहे, रियलिटी चेक करना ग़लत नहीं है, बल्कि स्वयं से किए गए एक सच्चे वादे की शुरुआत है.
- ऊषा गुप्ता
