बता दें कि स्वरा ने अपने ओपन लेटर की शुरुआत ‘At The End of Your Magnum Opus… I Felt Reduced to a Vagina – Only’ हेडिंग से करते हुए की है. स्वरा ने लिखा है कि इस फिल्म के जरिए भंसाली जी ने सती और जौहर प्रथा का महिमामंडन किया है. स्वरा फिल्म के जरिए स्त्रियों की पेश हुई छवि से बहुत नाराज हैं. ओपन लेटर की शुरुआत में तो स्वरा भास्कर ने भंसाली की और से फिल्म में काम करने वाले स्टार्स की तारीफ की. आगे उन्होंने लिखा कि महिलाओं को ‘वजाइना’ के तौर पर सीमित कर दिया है. फिल्म के आखिर में रानी पद्मावती द्वारा इज्जत की रक्षा के लिए खुद को जला देने के दृश्य पर वह लिखती हैं, ‘सर, महिलाओं को रेप का शिकार होने के अलावा जिंदा रहने का भी हक है.'
पुरुष का मतलब आप जो भी समझते हो-पति, रक्षक, मालिक, महिलाओं की सेक्शुअलिटी तय करने वाले, उनकी मौत के बावजूद महिलाओं को जीवित रहने का हक है.’ स्वरा आगे और भी तल्ख रुख अपनाते हुए कहती हैं, ‘महिलाएं चलती-फिरती वजाइना नहीं हैं. हां महिलाओं के पास यह अंग होता है लेकिन उनके पास और भी बहुत कुछ है. इसलिए लोगों की पूरी जिंदगी वजाइना पर केंद्रित, इस पर नियंत्रण करते हुए, इसकी हिफाजत करते हुए, इसकी पवित्रता बरकरार रखते हुए नहीं बीतनी चाहिए.’
इसके बाद स्वरा की इस आपत्ति को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग होनी शुरू हो गई. एक यूजर ने लिखा, भंसाली की जान ले लो, पहले अनपढ़ पीछे पड़े थे, अब अनपढ़ पीछे पड़े हैं.
एक अन्य यूजर ने लिखा है कि सती होने और जौहर होने में काफी अंतर है. एक यूजर ने लिखा है स्वरा को तीन तलाक और हलाला पर लिखना चाहिए, न कि उस प्रथा पर जो सात सौ साल पहले चलती थी. एक यूजर ने कहा कि यदि कोई गुलामी पर फिल्म बनाता है तो ऐसा नहीं है कि गुलामी का मंहिमामंडन किया जा रहा है. एक यूजर ने लिखा है कि आपने भी रांझणा में स्टॉकिंग को ग्लोरिफाई किया है.
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