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झाड़ू-पोछा लगाने की नौकरी से लेकर IPL स्टार बनने तक… जानें 9वीं फेल रिंकू सिंह की स्ट्रगल स्टोरी! पिता ने घर-घर सिलेंडर बांटा, भाई ऑटो ड्राइवर, आंखें नम कर देंगी ये दर्दभरी दास्तान…(From The Job Of Sweeping To Becoming An IPL Star… Know The Struggle And Inspiring Story Of 9th Fail Rinku Singh)

सपने तो हर कोई देखता है लेकिन उन सपनों को ज़िंदगी का मक़सद बनाकर हासिल करने का जिगर सबका नहीं होता…आग में तपना पड़ता है, सूरज में जलना होता है तब कहीं जाकर आसमान में चांद से चमकते हो आप! मुफ़लिसी से दौलत तक और फ़र्श से अर्श तक पहुंचने वाले अलीगढ़ के रिंकू सिंह (Rinku Singh) ने ऐसा ही संघर्ष किया और आज उनके पास दौलत भी और शौहरत भी, क्योंकि आज वो एक आईपीएल स्टार हैं (IPL Star)

ये बात सच है कि हमारे अधिकांश क्रिकेटर्स छोटे-छोटे शहरों से और बेहद सामान्य परिवारों से ही यहां तक पहुंचे हैं. सबकी अपनी-अपनी स्ट्रगल स्टोरी भी है लेकिन इनमें रिंकू सिंह की ज़िंदगी की हक़ीक़त ऐसी है कि जो न सिर्फ़ आपको सिहरा देगी बल्कि आपकी आंखें भी नम कर देगी.

आईपीएल (IPL) का कॉन्सेप्ट ही यही था कि देश के कोने-कोने में छिपे युवा टैलेंट को मौक़ा मिले और ऐसा हो भी रहा है. इसी के चलते साल 2018 में कोलकाता नाइट राइडर्स (Kolkata night riders) ने रिंकू सिंह जैसे युवा टैलेंट को 80 लाख में ख़रीदा था और इसी ने रिंकू की ज़िंदगी बदलकर रख दी थी लेकिन इसका बाद भी उनकी राह आसान नहीं थी. बहुत तकलीफ़ें आई और संघर्ष भी लंबा था… जिसको रिंकू ने पार भी किया और वो आसमान में एक चमकते सितारे की तरह उभरे.

अलीगढ़ के एक बेहद गरीब परिवार से थे रिंकू. उनके पिता साइकल पर घर-घर सिलेंडर बांटा करते थे. उनका एक भाई ऑटो चलाता था और दूसरा कोचिंग सेंटर में काम करता था. रिंकू 5 भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर थे और उनके घर में महज़ 10-12 हज़ार की आमदनी होती थी जिससे मुश्किल से गुज़र-बसर होती थी. वहीं रिंकू की आंखों में क्रिकेटर बनना का सपना पल रहा था लेकिन मुफ़लिसी के इस मंज़र ने उनको सोचने पर मजबूर कर दिया.

उनके पिता भी शुरुआत ने क्रिकेट में रिंकू के रुझान और अच्छे प्रदर्शन को लेकर बहुत ज़्यादा उत्साहित नहीं थे, क्योंकि इससे उनकी परिस्थितियों में बदलाव नहीं आ रहा था. यहां तक कि रिंकू को क्रिकेट खेलने के लिए कई बार पिता की मार भी पड़ती थी.

तब रिंकू ने मन बनाया कि वो अपने सपने को दरकिनार कर घर की ज़िम्मेदारियों में हाथ बंटाएंगे और क्रिकेट का सपना छोड़ नौकरी करेंगे. लेकिन रिंकू ठहरे नौवीं फेल क्योंकि शुरुआत से ही उनका मन पढ़ाई-लिखाई में कम और क्रिकेट में ज़्यादा रमता था. ऐसे में रिंकू को नौकरी तो मिल रही थी लेकिन वो थी- स्वीपर की यानी झाड़ू-पोछा मारने की और बस यहीं से रिंकू के इरादे अपने सपने को लेकर और मज़बूत हो गए. रिंकू ने अब ठान लिया था कि इस ग़रीबी से उनको बाहर सिर्फ़ और सिर्फ़ उनका सपना ही निकाल सकता है.

इसके बाद वो घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने लगे और फिर एक टूर्नामेंट में उनको मैन ऑफ ड सीरीज में बाइक मिली जो उन्होंने अपने पिता को दे दी ताकि वो साइकल छोड़ सिलेंडर बाइक पर डिलिवर कर सकें. इसके बाद घरेलू मैदान पर बेहतरीन खेल के चलते उनको इनामी राशि मिली जिससे उन्होंने घर का पांच लाख का क़र्ज़ चुकाया. अब उनके पिता को भी भरोसा हो चला था कि उनके बेटे में कुछ तो बात है.

इसके बाद आईपीएल मके सिलेक्शन ने उनकी ज़िंदगी बदल कर रख दी पर अब भी संघर्ष जारी था. रिंकू को साल 2017 में किंग्स इलेवन पंजाब ने 10 लाख में ख़रीदा था लेकिन उनको तब मौक़ा नहीं मिला. उसके बाद साल 2018 की नीलामी में उनका बेस प्राइस 20 लाख था पर कोलकाता नाइट राइडर्स ने उनको पूरे 80 लाख रुपये में ख़रीदा. 2021 तक रिंकू केकेआर के साथ रहे, उसके बाद वे घुटने की चोट के कारण आईपीएल से बाहर हो गए थे और उनकी जगह गुरकीरत सिंह मान ने ले ली.

पिछले पांच सालों से वो आईपी एल का हिस्सा हैं लेकिन शुरुआत में उनको खेलने का मौक़ा बेहद कम मिला और उसके बाद चोट के चलते उनके पिता को बेटे का करियर दाव पर लगता दिखा. इसी बीच रिंकू ने साल 2019 में BCCI के नियम उल्लंघन को लेकर तीन महीने के सस्पेंशन की मार भी झेली. ऐसे में चिंता होना स्वाभाविक था. रिंकू जब चोटिल हुए तो उनके पिता ने 2-3 दिनों तक खाना नहीं खाया था क्योंकि उनको बेटे के करियर की और घर की ग़रीबी की भी चिंता थी.

रिंकू ने अपने इस अनुभव पर बात करते हुए एक वीडियो में बताया कि उन्होंने अपने पिता को समझाया कि चोट लगना भी खेल का एक हिस्सा है लेकिन वो घर के अकेले कमाने वाले थे इसलिए थोड़ी चिंता लाज़िमी थी.

रिंकू को पिछले साल तक मैच खेलने का ज़्यादा मौक़ा नहीं मिला था पर उनके मिलनसार व सरल स्वभाव ने सबका दिल ज़रूर जीत लिया था और फिर 2022 में रिंकू को वापस कोलकाता ने ही 55 लाख ने ख़रीद लिया लेकिन इस बार वो अपनी सफलता की एक नई कहानी लिखने आए और उन्होंने लिखी भी.

इस साल रिंकू का नाम अब बच्चा-बच्चा जानता है क्योंकि उनकी धमाकेदार परियों ने ये साबित कर दिया है कि उनका संघर्ष बेकार नहीं होगा. उन्होंने इस साल खेले गए अपने तीनों मैचों में खेल का उम्दा प्रदर्शन किया और राजस्थान के खिलाफ तो टीम को जीत भी उन्होंने अपने बूते दिलाई. अंडर प्रेशर रिंकू जिस तरह खेलने की क्षमता रखते हैं उसके सभी क़ायल हो गए हैं. बड़े-बड़े दिग्गज उनके लिए तारीफ़ों के पुल बांध रहे हैं. सुनील गावस्कर से लेकर सुरेश रैना तक ने रिंकू की खूब सराहना की.

रिंकू अब वापस लाइम लाइट के आ चुके हैं और गुरुवार को लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ अपने धुंआधार खेल से उन्होंने टीम को लगभग जीत दिला ही दी थी जहां उन्होंने 15 गेंदों में 40 रनों की पारी खेली लेकिन रिंकू मैच की अंतिम डिलीवरी पर आउट हो गए. रिंकू का ये मानना है कि कोलकाता ने उनके चोटिल होने के बाद गेम में वापसी में बेहद अहम भूमिका निभाई और उनका हौसला भी बढ़ाया.

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एक रणजी ट्रोफ़ी मैच के दौरान डबल रन लेने की जुगत में वो चोटिल हो गए यह और डॉक्टर ने उनका बताया कि उनके घुटने की सर्जरी करनी होगी जिसके बाद उनको 6-7 महीनों तक खेल से दूर रहना होगा. रिंकू के लिए ये समय आसान नहीं था क्योंकि क्रिकेट से इतने लम्बे वक़्त तक दूर रहना उनके लिए किसी सज़ा से कम न था लेकिन उन्होंने उसके बाद खूब मेहनत की और जब वापसी की तो क्या धमाके दार वापसी की!

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