असल वजह यही है
थोड़े कुछ में ही बहुत कुछ ढूंढ़ने की कोशिश करना
और बहुत कुछ में
थोड़े कुछ के लिए भटकते फिरना
क्या काफ़ी नहीं है
घर की छत से दिखता वो छोटा सा आकाश
क्यों कोशिशें की जाती रहती हैं बार-बार
अनंत आकाश को नापने की…
कोई एक घर से निकल जाता है
'एक घर' की तलाश में
तो कोई
खाली जगहों में भी बना लेता है
एक घर अपनी इच्छाओं के अनुरूप
सबके अपने-अपने घर हैं.. और अपनी-अपनी जगहें
पर हर एक घर में नहीं होती
वो ख़ास जगहें
जिनको तलाशते रहते हैं हम उम्र भर…
कभी-कभी एक उम्र के बाद
दिखने लगती हैं उन जगहों की तासीरें
लेकिन.. वहां तक पहुंचते-पहुंचते
रास्तों में फिर से छूट जाता है बहुत कुछ
क्यों नाकाफ़ी रहता है हर बार
हमारे हिस्से का वो छोटा सा आकाश…
यह भी पढ़े: Shayeri
Photo Courtesy: Freepik
डाउनलोड करें हमारा मोबाइल एप्लीकेशन https://merisaheli1.page.link/pb5Z और रु. 999 में हमारे सब्सक्रिप्शन प्लान का लाभ उठाएं व पाएं रु. 2600 का फ्री गिफ्ट.