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ग़ज़ल (Gazal)
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ग़ज़ल (Gazal)

By Usha Gupta in Shayeri , Geet / Gazal , Short Stories
दर्दे जिगर मुझे
चाशनी में डुबोना था
मैं कल ख़्वाब में
तेरे दामन से लिपटकर रोया
नींद और बेहोशी के बीच
कोई लम्हा क़ैद था शायद
कौन कहता है मैं तेरी बांहों में
सिमटकर सोया
मौत आती तो लौट जाती दर से
मैं तेरी मन्नत के धागे से उलझकर सोया…
– शिखर प्रयाग
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