बड़ी चीज़ें कहां मांगता हूं
मुझे वक़्त बीतने के बाद भी
बस छोटी-छोटी
चीज़ों से प्यार है
मैं तो बस
वह मांगता हूं
जिन्हें तुम ख़ुश हो कर
आसानी से दे दो
जैसे अपने माथे की वो
छोटी-सी हल्की गुलाबी बिंदी
जो ड्रेसिंग टेबिल के शीशे पे
कई महीनों से चिपकी है
वो नेलपॉलिश, वही थोड़ा बिंदी से
ज़्यादा गुलाबी नज़र आनेवाली
जिसकी डिब्बी अब सूखनेवाली है
मुझे दे दो
अपने कानों के वो बूंदें दे दो
जिसकी एक बाली
टूटने के बाद
तुमने सालों से नहीं पहना है
सुनो वो जो चूड़ियां टूट जाती हैं
जिन्हें करीने से उठा कर तुम
डस्टबिन में फेंक देती हो
मुझे दे दिया करो
हो सके तो अपने हाथों से
उतरी मेहंदी की लोई दे देना मुझे
बहुत प्यार से सोचता हूं इसमें क्या छुपा है
जो तुम्हारी हथेलियों को लाल कर देता है
ऐसे ही ढेर-सी चीज़ें होंगी तुम्हारे पास
कुछ जज़्बात, कुछ बीते लम्हे
कुछ आंसू भी होंगे तुम्हारे पास
हो सके तो मुझे दे देना वह सब
जो तुम्हारे काम नहीं आता
क्या करूंगा मैं?
ज़्यादा तो कुछ नहीं बस
अपनी डायरी के पन्ने पर
सब से ऊपर चिपका दूंगा
इस ढेर सारी
अनमोल दौलत को
जिससे हर पन्ने पर
तुम्हारा अक्स उभर आए
यह जो तुम्हारा स्टेटस है
वहां परियों की तस्वीर लगा दो
अबाउट में थोड़ी-सी
स्माइल भर दो
जानता हूं
जो मांग रहा हूं
यह सब मांगने का
हक़ कहां है मुझे
पर क्या करूं
मैं ऐसा नहीं हूं कि जो कुछ तुम दोगी
उसे यादों की तिजोरी में बंद कर
चुपके से निहारूंगा आंखों में आसूं भरकर
मैं तो इन सब से
ख़ुशहाल ज़िंदगी की
तस्वीर बनाने निकला हूं
जो तुम्हारी स्माइल से पैदा होती है...
- शिखर प्रयाग
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