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शक की बीमारी का इलाज (Paranoid Personality Disorder: Causes, Symptoms and Diagnosis)

एक तरफ़ जहां अधिकांश लोग मॉडर्न लाइफस्टाइल का हिस्सा बनकर गौरवान्वित महसूस करते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ़ इस आधुनिक दुनिया में कई ऐसे लोग भी हैं जो ख़ुद को मॉडर्न बताते हैं, लेकिन उनकी आदत में शक शुमार है. आज के इस भागदौड़ भरे माहौल में अधिकतर लोगों के मन में डर, जलन, प्रतिस्पर्धा, निराशा, हताशा और रिश्तों में अविश्‍वास की भावना तेज़ी से घर करने लगी है. ऐसे में न चाहते हुए भी लोग शक की बीमारी के शिकार होते जा रहे हैं. यह न स़िर्फ एक बुरी आदत है, बल्कि एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या भी है. इस बीमारी को हल्के में लेना ख़ुद मरीज़ और उसके आस-पास के लोगों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है. इसलिए शक की बीमारी पर विस्तार से जानकारी दे रहे हैं नई दिल्ली स्थित सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के साइकेट्रिस्ट डॉ. संदीप गोविल. Paranoid Personality Disorder बुरी है यह बीमारी  शक करना जिन व्यक्तियों की आदत में शामिल है, वो अपने आस-पास मौजूद हर व्यक्ति को संदेह भरी नज़रों से देखते हैं. ऐसे लोग जब घर में अकेले होते हैं तो उन्हें लगता है कि कोई उनके घर में छुपा है, जो मौक़ा मिलते ही उन पर हमला कर सकता है. शक की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति अक्सर यह सोचता है कि रास्ते में कोई उसका पीछा कर रहा है और उसे अपना शिकार बना सकता है. ऐसे में कई बार व्यक्ति बचाव की कोशिश में  वह अपना आपा खो बैठता है और ख़ुद ही दुर्घटना का शिकार हो जाता है. कभी-कभी तो व्यक्ति अपने आप को ही समाप्त करने की कोशिश करने लगता है. पैरानॉयड पर्सनालिटी डिसऑर्डर शक करने की आदत को पैरानॉयड डिसऑर्डर कहा जाता है. यह एक ऐसी बीमारी है जो पीड़ित व्यक्ति के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है. इससे पीड़ित लोगों का स्वभाव शक्की किस्म का हो जाता है और उनके मन में असुरक्षा की भावना घर कर जाती है. जबकि पैरानोया वास्तव में अविश्‍वास की चरम स्थिति है. शक की बीमारी यानी पैरानॉयड डिसऑर्डर के लक्षण निम्न प्रकार के हैं. अतिसंवेदनशीलता  इस बीमारी से पीड़ित लोग अत्यधिक संवेदनशील होते हैं और छोटी-छोटी बात पर भी बुरा मान जाते हैं. ऐसे अधिकतर व्यक्ति अक्सर अपने बचान की मुद्रा में रहते हैं और ग़लती करने के बावजूद कभी अपना दोष स्वीकार नहीं करते हैं. शक करने के अलावा इन्हें तिल का ताड़ बनाने की आदत होती है. ये भी पढ़ेंः जानें दूध पीने से लंबाई बढ़ती है या नहीं? (Drinking Milk Makes You Taller: Truth Or White Lie?) अलगाववादी प्रवृत्ति जिन लोगों को शक की बीमारी होती है वो ज़िद्दी स्वभाव के होते हैं और किसी भी हालात में समझौता नहीं करते. ऐसे लोग अलगाववादी प्रवृत्ति के होते हैं और भावनात्मक तौर पर किसी से जल्दी जुड़ नहीं पाते हैं. हालांकि ये लोग ख़ुद को दूरदर्शी और तार्किक सोच वाले समझते हैं, जिसपर उन्हें काफ़ी गर्व महसूस होता है. पैरानॉयड डिसऑर्डर के कारण डॉ. संदीप गोविल के मुताबिक़, पैरानॉयड डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्तियों के स्वभाव में कई प्रकार के असंतुलन देखे जा सकते हैं. जैसे- इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के कपड़ों में धब्बे जैसी छोटी-सी चीज़ भी उसे अपनी पत्नी के चरित्र पर लांछन लगाने के लिए उकसा सकती है. शक की बीमारी के लिए कई कारण ज़िम्मेदार हो सकते हैं. आनुवांशिकता कई अध्ययनों में इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि पैरानॉयड डिसऑर्डर का ख़तरा उन लोगों को अधिक होता है, जिनके क़रीबी या परिवार के सदस्य स्किट्जोफ्रेनिया से ग्रसित होते हैं. आनुवांशिकता भी इस बीमारी के लिए ज़िम्मेदार हो सकती है. तनावपूर्ण जीवन  तनावपूर्ण जीवन भी इस रोग के प्रमुख कारणों में से एक हो सकता है. अत्यधिक तनाव के कारण कभी-कभी व्यक्ति में एक्यूट पैरानोया (अविश्‍वास की चरम स्थिति) के लक्षण भी दिखाई देते हैं. ऐसे में तनाव और पैरानोया के बीच के संबंधों को नकारा नहीं जा सकता. दरअसल, आनुवांशिक कारण, मानसिक असंतुलन और सूचना को संग्रहित करने की अक्षमता पैरानोया को जन्म देते हैं. हालांकि इसमें तनाव एक कारक का काम करता है. कैसे होता है उपचार? शक की बीमारी से छुटकारा पाना आसान नहीं है, लेकिन यह नामुमक़िन भी नहीं है. स्वयं के प्रयास के साथ-साथ परिवार और शुभ चिंतकों का सहयोग इससे उबरने में चमत्कारिक असर दिखाता है. हालांकि वहम या शक के रोगी का शक्की मिज़ाज़ ही उसके उपचार में बाधा पैदा करता है. इसलिए इलाज से पहले मरीज़ का इतिहास जानना बेहद ज़रूरी होता है. ये भी पढ़ेंः कौन-सी बीमारी में क्या न खाएं? (What Not To Eat When Sick With These Health Problems?) दवाइयां शक की बीमारी के इलाज मंें सही दवाइयों का इस्तेमाल पैरानोया के लक्षणों को दूर करने में आंशिक तौर पर मदद करता है. इसलिए यह संभव है कि दवाइयों के सेवन के बाद भी कुछ मरीज़ों में पैरानोया के लक्षण दिखाई दे. साइकोथेरेपी  अपने शक को सही तरी़के से व्यक्त करने में सक्षम लोग समाज में आसानी से घुल-मिल सकते हैं. ऐसे रोगियों में पैरानोया के लक्षण विनाशकारी प्रवृत्ति को जन्म नहीं देते. हालांकि आर्ट थेरेपी और फैमिली थेेरेपी जैसे कुछ अन्य तरीक़ों की मदद से पैरानोया से काफ़ी हद तक राहत मिल सकती है. पैरानोया की पुनरावृत्ति यह एक दीर्घ कालिक रोग है, जिसमें बार-बार इसकी पुनरावृत्ति होती रहती है. पैरानोया के शुरुआती कुछ सप्ताह के दौरान रोगी के व्यवहार में विकृतियां जन्म लेना शुरू कर देती हैं और धीरे-धीरे यह रोग पूरी तरह से विकसित हो जाता है. कुछ हफ़्ते या माह तक इसके लक्षण साफ़ दिखाई देते हैं, फिर यह रोग दबने लगता है या रोगी काफ़ी हद तक ठीक महसूस करता है. इलाज व्यावहारिक चिकित्सा, औषधि चिकित्सा, बोध- व्यवहारिक चिकित्सा, पारिवारिक चिकित्सा, प्रतिकात्मक-अर्थनीति चिकित्सा, सामाजिक- प्रवीणता चिकित्सा और औषधि चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से स्किट्जोफ्रेनिया का इलाज किया जाता है. आवश्यक सावधानियां शक के रोगी या फिर स्किट्जोफ्रेनिया के मरीज़ों की सेहत की बेहतरी के लिए बताई गई निम्न बातों का ख़ासतौर पर ख़्याल रखना चाहिए. 1.मरीज़ की संवेदनशीलता का ख़्याल रखें और बार-बार उसे उसकी बीमारी का एहसास न दिलाएं. 2. आपका कोई क़रीबी इस रोग से पीड़ित है तो उसे इलाज के लिए प्रोस्ताहित करें, ताकि वो ठीक हो सके. 3. रोज़-रोज़ की चिंता और तनाव मरीज़ की परेशानी बढ़ा सकता है, इसलिए तनावमुक्त रहने की कोशिश करें. अगर आपका कोई क़रीबी समाज से घबराकर अकेला रहता है, कोई फैसला नहीं ले पाता है, उसे नींद नहीं आती है, किसी बात को लेकर असुरक्षित महसूस करता है, तो ऐसी स्थिति में उसे डॉक्टर के पास ले जाएं. याद रहे, सही समय पर सही इलाज से आपके क़रीबी के ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है.

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