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क्या आपका बॉयफ्रेंड मैरिज मटेरियल है? (Is Your Boyfriend Marriage Material?)

नवीन व सीमा एक ही कॉलेज में थे. नवीन का आकर्षक व्यक्तित्व, सहायक स्वभाव, एक ही मुलाक़ात में दूसरों को अपना बना लेने का अंदाज़ क़ाबिले-तारीफ़ था, इसीलिए हर लड़की उसका साथ पसंद करती थी. दोस्तों के बीच भी वह काफ़ी लोकप्रिय था. जब नवीन की रुचि सीमा के प्रति बढ़ी तो उनकी दोस्ती जल्दी ही प्यार में बदल गई और झटपट शादी तय हो गई, किन्तु विवाह के बाद यही क़ाबिले तारीफ़ अंदाज़ और समाज सेवा का रवैया दोनों की तक़रार का कारण बना. सीमा नवीन से घरेलू ज़िम्मेदारियों की अपेक्षा करती थी, लेकिन नवीन से जग भलाई छूटती नहीं थी. Marriage Material राखी और निरंजन अच्छे दोस्त थे. ऑफ़िस के बाद दोनों रोज़ ही कभी कॉफ़ी हाउस, तो कभी रेस्टॉरेन्ट में बैठते. निरंजन अकेला रहता था. राखी भी माता-पिता की स्वतन्त्र विचारों वाली इकलौती बेटी थी. उनके लिए घर से ज़्यादा कैरियर महत्वपूर्ण था. दोस्ती गहरी होती गई. एक-दूसरे का साथ बहुत प्रिय था, इतना कि लगा एक-दूसरे के बिना रह ही नहीं सकेंगे. परिवारों को भी कोई ऐतराज नहीं हुआ तो सहर्ष शादी के बंधन में बंध गए. कहा-सुनी तब शुरू हुई जब निरंजन रेस्टॉरेन्ट के बजाए घर के खाने को ज़्यादा पसंद करने लगा. वह चाहता था कि राखी गृहस्थी में भी थोड़ी रुचि ले, किन्तु राखी ने तो अपने घर में पहले कभी घरेलू कामों में रुचि ली ही नहीं थी. फिर तो छोटी-छोटी बातों पर भी तू-तू मैं-मैं होने लगी और इस रिश्ते का अंत हुआ तलाक़ के साथ. जब इस तरह की बातें सामने आती हैं तब पछतावा होता है अपने चुनाव पर. तब लगता है जल्दबाज़ी तो नहीं कर दी निर्णय लेने में. दरअसल, प्यार का नशा ऐसा होता है कि साथी में कुछ ग़लत या कमी दिखाई नहीं देती है और यदि कुछ महसूस भी होता है तो साथी का साथ पाने की प्रबल चाह के आगे सब कुछ बौना हो जाता है. पहले विवाह हमेशा माता-पिता द्वारा तय किए जाते थे. लड़के से अधिक घर-परिवार को महत्व दिया जाता था. मुश्किलें तब भी आती थीं, लेकिन उस समय समझौता करना और आजीवन इस बंधन को निभाने की भावना सर्वोपरि होती थी. बेमेल विवाह भी निभाए जाते थे और समझौतों के साथ निभाते-निभाते समय के साथ अनुकूलता और परिपक्वता भी आ जाती थी. निभाना स्त्री का प्रथम गुण था भले ही वह उसकी मजबूरी थी, क्योंकि उस समय वह आर्थिक रूप से स्वतन्त्र नहीं थी. उनके पास इतना कोई विकल्प नहीं होता था. किन्तु अब ऐसा नहीं है, बल्कि लड़कियां ख़ुद अपने लिए जीवनसाथी का चुनाव कर रही हैं. वे शारीरिक रूप-रंग से ़ज़्यादा मानसिक स्तर पर मेल चाहती हैं. प्रेम-विवाह न भी हो तो आज शादी से पहले मिलना-जुलना, एक-दूसरे के विचारों को जानना, साथ समय गुज़ारना दोनों परिवारों को भी मान्य होने लगा है. इसके बावजूद कई बार विवाह के बाद बहुत कुछ ऐसी बातें सामने आती हैं, जिनके बारे में पहले ज़रा भी ख़याल नहीं आया होता. विचार, व्यवहार और दृष्टिकोण विवाहित जीवन का अहम हिस्सा हैं, क्योंकि आप अकेली नहीं हैं. परस्पर अनुकूलता, परिपक्वता और विश्‍वास ज़रूरी है इस बंधन में, अतः ज़रूरी हो जाता है यह आंकना कि जिस व्यक्ति के साथ आप ज़िंदगी गुज़ारने का फैसला ले रही हैं, वह शादी जैसे पवित्र बंधन के योग्य है या नहीं?

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Marriage Material - लेकिन यह भी ज़रूरी है कि प्रेमी के बारे में अपनी राय बनाने से पहले आप अपना आत्मावलोकन भी करें, जैसे- अपने आपको जानना, अपने स्वभाव, अपनी क्रियाओं-प्रतिक्रियाओं को पहचानना, अपनी अपेक्षाओं को समझना, शादी की मैच्योरिटी को गम्भीरता से समझना और उससे जुड़ी ज़िम्मेदारियों को स्वीकारना. - शादी एक पवित्र बंधन ही नहीं है, बल्कि यहां अनेक समझौते और कभी-कभी त्याग व समर्पण भी करने पड़ते हैं. कई बार ऐसा लगता है कि विचारों में समानता या अनुकूलता के साथ ही निभाना बेहतर होता है, किन्तु ऐसा नहीं है. अनुकूल स्वभाव के बावजूद टकराव हो ही जाता है. अहम का टकराव हो ही जाता है और कभी-कभी प्रतिकूल विचारधाराएं भी परिपूरक बन ज़िंदगी आसान बना देती हैं. जैसे यदि आप किन्हीं स्थितियों में कमज़ोर हैं तो साथी वहां पूरक बन जाए. उसे आपसे प्रेम है, आप पर भरोसा है और आपको समझता है, तो शादी का यह रिश्ता ख़ूबसूरत बन जाता है. - विवाह की पहली शर्त है प्यार व विश्‍वास के साथ उसके गुण-अवगुण सहित स्वीकारना, साथ ही उसके परिजन व प्रियजनों को भी स्वीकारना. जिसके साथ जीवन बिताना है, उसे शर्तों में न बांधें, न ही उसकी शर्तें स्वीकार करें. प्रेमी या बॉयफ्रेंड अकेला होता है, किन्तु विवाह के बाद घर-परिवार होता है, हर रिश्ते से जुड़ना होता है, हर किसी के प्रति ज़िम्मेदारियां निभानी होती हैं. - किसी भी रिश्ते या संबंध के निर्वाह में कम्यूनिकेशन यानी बातचीत अहम भूमिका रखती है, अतः बॉयफ्रेंड के साथ हर एक विषय पर स्पष्ट बात करें. उसके विचारों को जानें, अपनी भावनाओं को व्यक्त करें, उसकी प्रतिक्रिया महसूस करें. यदि स्वयं निर्णय ले पाने में दुविधा है तो किसी मैच्योर व्यक्ति या काउंसलर की सलाह भी ली जा सकती है. यदि व्यक्ति प्यार का वास्ता देकर अपनी बात मनवाने की कोशिश करता है या आपके प्यार में पागल हो अपने परिवार को छोड़ देने की बात करता है तो याद रहे, ये स्थिति न तो सामान्य है, न व्यावहारिक. आगे निश्‍चय ही परेशानियां आ सकती हैं. जो अब आपके लिए माता-पिता को छोड़ने की बात करता है, वह कल आपको भी छोड़ सकता है. कोई पति-पत्नी परिवार-समाज से दूर दुनिया बसा कर ख़ुश नहीं रह सकते हैं, बल्कि इससे तनाव व कुंठा महसूस होने लगती है, फिर शुरू होने लगता है एक-दूसरे पर आरोपों व प्रत्यारोपों का सिलसिला. - विवाह का सच्चा सुख है केयरिंग व शेयरिंग में. साथी के साथ हर व्यवहार में सहजता महसूस होनी चाहिए. चाहे अपनी समस्या शेयर करनी हो या अपनों को केयरिंग की ज़रूरत हो. एक-दूसरे के अलावा आपकी ज़िंदगी में अपनों के लिए भी जगह होनी चाहिए. मेरा-तुम्हारा न होकर हर स्थिति मे ङ्गहमाराफ भाव होना चाहिए. एक-दूसरे को बदलने के बजाय एक-दूसरे का पूरक होना चाहिए. - विचारों में समानता, ज़िंदगी के प्रति नज़रिया, घर-परिवार या भविष्य के प्रति दृष्टिकोण के साथ-साथ आर्थिक दृष्टिकोण के प्रति भी अपने बॉयफ्रेंड की प्लानिंग को जानने की कोशिश करें. प्यार में आसमान से तारे तोड़े जा सकते हैं, किन्तु शादीशुदा ज़िंदगी के लिए ठोस धरातल चाहिए. पैसों के बिना ज़िंदगी नहीं चलती. पैसों से ख़ुशियां नहीं पाई जा सकतीं, लेकिन पैसों से ही सुख के साधन जुटाए जा सकते हैं और सुख के माध्यम से आनंद की अनुभूति होती है. - साथी का चरित्र जानना भी बहुत ज़रूरी है. चरित्र उसकी संगत, उसके व्यवहार, उसके अंदाज़ आदि से आसानी से पता लग सकता है, बस आपको अपनी सोच पर, प्यार के एहसास पर भरोसा होना चाहिए. शादी का ़फैसला लेना है, जीवनभर किसी का प्यार पाना है, उसे बनाए रखना है, फिर जल्दबाज़ी क्यों? सोच-समझकर निर्णय लें कि क्या वाकई आपका बॉयफ्रेंड ऐसा है कि उसके साथ आप ज़िंदगीभर निभा पाएंगी. - वैसे भी विवाह नामक संस्था से आज की पीढ़ी का विश्‍वास उठता-सा जा रहा है. काफ़ी लोगों के लिए शादी ज़िंदगीभर का सामाजिक बंधन नहीं रह जाता है, बल्कि अब विवाह व्यक्तिगत परिपूर्णता के साधन के रूप में देखा जाता है. साथी यदि अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाता है, तो बंधन को निभाते जाना मूर्खता समझी जाती है, अतः ज़रूरी है कि इस बात को पहले ही समझ लिया जाए कि गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड परस्पर एक-दूसरे की कसौटी पर खरे उतर पाएंगे या नहीं.

- प्रसून भार्गव

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