Close

काव्य- एक ख़्वाहिश (Kavya- Ek Khwahish)

Kavya, Ek Khwahish उस दिन हम मिले तो मिले कुछ इस तरह जैसे मिलती है धूप छाया से जैसे मोती से सीपी मिल जाए जैसे सहरा में फूल खिल जाए यादों के फूलों की ख़ुशबू यही एहसास-सा दिलाती है तू हो, तेरा ख़्याल हर पल हो गर मुलाक़ात हो फिर कभी तो ज़िंदगी मेरी मुकम्मल हो     काव्य- एक ख़्वाहिश (Kavya- Ek Khwahish)         दिनेश खन्ना मेरी सहेली वेबसाइट पर दिनेश खन्ना की भेजी गई कविता को हमने अपने वेबसाइट में शामिल किया है. आप भी अपनी कविता, शायरी, गीत, ग़ज़ल, लेख, कहानियों को भेजकर अपनी लेखनी को नई पहचान दे सकते हैं…   यह भी पढ़े: Shayeri

Share this article