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काव्य- कार्तिक पूर्णिमा (Kavya- Kartik Purnima)

आई कार्तिक की पूर्णिमा लेकर ख़ुशियां हज़ार
प्रतिवर्ष में एक दिन आता है ये पावन त्योहार
आज दिन है गंगा स्नान का और रात देव दिवाली
त्रिपुरासुर का वध कर दिन आज के शिव कहलाए त्रिपुरारी
हर्ष और उल्लास से स्वर्ग में देवों ने मनाई थी दिवाली
तटिनी के तट पर लगे हैं मेले और ख़ूब सजा हुआ है घाट
स्नान करने पावन गंगा में श्रद्धालुओं की भीड़ बड़ी विराट
आज का दिन बहुत ख़ास है पावन गंगा में स्नान का
लगा कर डुबकी गंगा में करो दान पुण्य और कार्य दीपदान का
पापनशिनी मोक्षप्रदायिनी पावन गंगा माता है
स्नान कर पावन गंगा में तन मन निर्मल हो जाता है
बरसता रहे सभी भक्तों पर देवों का आशीर्वाद और प्यार
शुभ हो सभी के लिए कार्तिक पूर्णिमा का पावन त्योहार

- रिंकी श्रीवास्तव

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Photo Courtesy: Freepik

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