सांस, ख़ुशबू गुलाब की हो
धड़कन ख़्वाब हो जाए
उम्र तो ठहरी रहे
हसरत जवान हो जाए
बहार उतरे तो कैमरा लेकर
तेरी सूरत से प्यार ले जाए
जो नाचता है मोर सावन में
तेरी सीरत उधार ले जाए
लहर गुज़रे तेरे दर से तमन्ना बनकर
तेरे यौवन का भार ले जाए
आज मौसम में कुछ नमी उतरे
तेरी परछाईं बहार ले जाए
रात ख़ामोश हो गई क्यूं कर
अपना सन्नाटा चीर दे बोलो
तेरी आंखों से प्यार ले जाए
ऐ दोस्त 'तेरी हस्ती' लिखूं कैसे
फ़क्र हो अगर 'तुझ पे'
मेरी हस्ती निसार हो जाए…
- शिखर प्रयाग
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