आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ लोगों को पैर हिलाने की आदत सी होती है. वे अक्सर किसी से बात करते समय, टीवी-फिल्म देखते या फिर खाते-पीते समय भी पैर हिलाने लगते हैं. यूं तो अधिकतर लोगों का यही मानना है कि यह अपशकुन व दोष होता है, जबकि यह एक बीमारी का संकेत है. जी हां, डॉक्टर इस आदत को रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (आरएलएस) की बीमारी बताते हैं. जहां यह आयरन की कमी के कारण अधिक होता है, वहीं इस बीमारी की वजह से किडनी, दिल की बीमारी, पार्किंसंस तक की समस्या हो सकती है.
आरएलएस नर्वस सिस्टम से संबंधित बीमारी है. पैर हिलाने से डोपामाइन हार्मोन निकलता है और इसी हार्मोन के कारण एक ही कार्य को बार-बार करने की इच्छा होेती है.
पैर हिलाने की आदत देती है कई समस्याओं को जन्म
- इस आदत से जोड़ों व घुटने के दर्द की परेशानी बढ़ जाती है.
- साथ ही पैर के नसों में अधिक प्रेशर पड़ने से नर्वस से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.
- पैर हिलाना नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारी है. दरअसल, पैर हिलाने से बॉडी में डोपामाइन हार्मोन प्रवाहित होता है. यही कारण है कि पैर हिलाने में सुकून-सा मिलता है.
- जब हम ऐसा बार-बार करने लगते हैं, तो यह आदत बन जाती है. इसे स्लीप डिसऑर्डर भी कहते हैं. दरअसल, नींद पूरी न होने के कारण बॉडी थक जाती है और इसी थकावट के कारण पैर हिलाने की आदत पड़ जाती है.
- जब हमारे शरीर में आयरन की कमी हो जाती है, तो पैर हिलाने की समस्या बढ़ने लगती है.
- इस कारण शरीर का वज़न बढ़ने लगता है, नींद न आने की समस्या होने लगती है.
- इस आदत के कारण आपकी मेंटल स्ट्रेंथ भी कम हो जाती है.
- आपके निर्णय लेने की क्षमता पर भी प्रभाव पड़ता है. आप समय पर या बहुत जल्दी कोई डिसीजन नहीं ले पाते.
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लक्षण
- पैरों में झनझनाहट महसूस होती है.
- पैरों में जलन, खुजली और दर्द भी होता है.
- आपके आलस्य की प्रवृत्ति का भी पैर हिलाने से पता चलता है.
- यदि कोई शख़्स शारीरिक श्रम नहीं कर रहा होता है, तब वो पैर हिलाता रहता है.
- परिवार में आरएलएस का इतिहास होना.
- वैसे तो यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, पर यह अधिकतर युवाओं में देखने को मिलती है.
- गर्भवती स्त्रियों को प्रेग्नेंसी के अंतिम तीन महीनों में इस तरह की समस्या से दो-चार होना पड़ता है. परंतु डिलीवरी के एक महीने बाद ही इस समस्या से छुटकारा भी मिल जाता है.
तनाव, डिप्रेशन के बढ़ने से एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) समस्या से जूझता मरीज़ भी स्थिर नहीं रह पाता, तो पैर हिलाने लगता है.
समाधान
- हर रोज़ सात-आठ घंटे की अच्छी नींद लें.
- रेग्युलर वर्कआउट व स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करें.
- खानपान का विशेष ख़्याल रखें, ख़ासतौर पर आयरन से भरपूर पालक, चुकंदर आदि अवश्य लें.
- नशीली चीज़ें, जैसे- अल्कोहल, धूम्रपान आदि से दूर रहें.
रिसर्च
शोधों से यह पता चला है कि पैर हिलाने से हार्ट अटैक की संभावना होती है. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने रिसर्च द्वारा इस बात की पुष्टि की है कि निरंतर पैर हिलाते रहने से दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा बढ़ जाता है.
अमेरिका में तक़रीबन दस प्रतिशत लोग इस समस्या से घिरे हुए हैं.
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पैर हिलाना अपशकुन भी…
यदि धर्म-कर्म से इस आदत को जोड़कर देखा जाए, तो कुछ इस तरह की बातें निकलकर सामने आती हैं.
- यदि आप पूजा में बैठे हैं और पैर हिला रहे हैं, तो ईष्ट देव नाराज़ हो जाते हैं और व्रत-पूजन अधूरा माना जाता है.
- आपके पैर हिलाने की आदत से मन एकाग्रचित नहीं हो पाता है. पूजा के समय ऐसा करने से जहां आपका मन भटकता है, वहीं दूसरे की पूजा भी ठीक से नहीं हो पाती है.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आप बिस्तर, पलंग, कुर्सी या फिर किसी ऊंचे स्थान पर बैठकर या लेटकर पैर हिलाते हैं, तो आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमज़ोर हो जाती है. चंद्रमा का दुष्प्रभाव पड़ने पर पीड़ित डिप्रेशन में रहने लगता है. उसका मेंटल स्ट्रेस बढ़ जाता है.
- व्यक्ति की आर्थिक स्थिति डांवाडोल रहने लगती है.
- गैरज़रूरी ख़र्चे बढ़ने लगते हैं.
- घर में सुख-शांति नहीं रहती.
- यदि आप बैठे हुए पैर हिलाते रहते हैं, तो लक्ष्मीजी का कोपभाजन होना पड़ता है. घर में धन-वैभव कम होने लगता है.
- भोजन करते समय तो बिल्कुल भी पैर नहीं हिलाना चाहिए. इससे अन्नपूर्णा देवी का अपमान होता है. इसी वजह से खाते समय ऐसा करने के लिए मना किया जाता है. इसका दुष्प्रभाव घर-परिवार के धन-धान्य पर भी पड़ता है.
- इस आदत के कारण आपको आलस्य घेर लेता है. साफ़-सफ़ाई पर उतना ध्यान नहीं दे पाते. घर में गंदगी की वजह से मां लक्ष्मी नाराज़ हो जाती हैं, जिससे घर में दरिद्रता आने लगती है. इसलिए जब आप पैर हिलाते हैं, तो अपने सुख-समृद्धि को भी हिलाते हैं.
- जब आपके पैर हिलाने की आदत से कुंडली में चंद्रमा ख़राब होने लगता है. तब परिवार का कोई न कोई सदस्य बीमार रहने लगता है. इससे पैसे ख़र्च होने के साथ बेवजह की भागदौड़ भी करनी पड़ती है. आपका भाग्य रूठ जाता है. असफलताओं का सामना करना पड़ता है.
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एक पहलू यह भी
पैर हिलाना, पेन से खेलना, कुर्सी घुमाना जैसी क्रियाओं को फिजटिंग कहते हैं, जो अब सेेहत के लिए अच्छा माना जाने लगा है. इससे कैलोरी बर्न होने के साथ टेंशन भी कम होती है. यह भी देखा गया है कि रेग्युलर कंप्यूटर के सामने बैठे रहने या फिर ऐरोप्लेन से लंबी दूरी के सफ़र में यदि आप पैर हिलाते रहते हैं, तो पैरों की धमनियों की रक्षा होती है. साथ ही इससे धमनी की बीमारियों से दूर रहने में भी सहायता मिलती है.
- ऊषा गुप्ता