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मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। (Main Shiv Hun… Main Shiv Hun… Main Shiv Hun)

मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। (Main Shiv Hun... Main Shiv Hun... Main Shiv Hun) Shiva विभत्स हूँ... विभोर हूँ... मैं समाधी में ही चूर हूँ... मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। घनघोर अँधेरा ओढ़ के... मैं जन जीवन से दूर हूँ... श्मशान में हूँ नाचता... मैं मृत्यु का ग़ुरूर हूँ... मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। साम – दाम तुम्हीं रखो... मैं दंड में सम्पूर्ण हूँ... मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। चीर आया चरम में... मार आया “मैं” को मैं... “मैं” , “मैं” नहीं... ”मैं” भय नहीं... मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। जो सिर्फ तू है सोचता... केवल वो मैं नहीं... मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं काल का कपाल हूँ... मैं मूल की चिंघाड़ हूँ... मैं मग्न...मैं चिर मग्न हूँ... मैं एकांत में उजाड़ हूँ... मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं आग हूँ... मैं राख हूँ... मैं पवित्र राष हूँ... मैं पंख हूँ... मैं श्वाश हूँ... मैं ही हाड़ माँस हूँ... मैं ही आदि अनन्त हूँ... मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मुझमें कोई छल नहीं... तेरा कोई कल नहीं... मौत के ही गर्भ में... ज़िंदगी के पास हूँ... अंधकार का आकार हूँ... प्रकाश का मैं प्रकार हूँ... मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं कल नहीं मैं काल हूँ... वैकुण्ठ या पाताल नहीं... मैं मोक्ष का भी सार हूँ... मैं पवित्र रोष हूँ... मैं ही तो अघोर हूँ... मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। मैं शिव हूँ। शिवरात्रि की शुभकामनाये आप सभी को यह भी पढ़ें: लक्ष्मी जी की आरती यह भी पढ़ें: पावर ऑफ हनुमान चालीसा

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