रेटिंग: 3 ***
देशभक्ति, ज़बर्दस्त स्टंट, एरियल एक्शन, प्रभावशाली डायलॉग से भरपूर है 'फाइटर'. एक लड़ाकू वाला जज़्बा देखने मिलता है फिल्म में. निर्देशक सिद्धार्थ आनंद और कलाकारों में ऋतिक रोशन, दीपिका पादुकोण, अनिल कपूर ने फिल्म में जान फूंक दी है. इसे यादगार फिल्म बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी.
वायु सेना पर आधारित कई फिल्में बनी हैं, लेकिन फाइटर इन सब से अलग है. पहली बार एरियल स्टंट, हवा में कलाबाज़ियां और हवाई युद्ध को लाजवाब तरीक़े से फिल्माया गया है. इसमें वीएसएफ का प्रयोग बेहतरीन ढंग से किया गया है.
सिद्धार्थ आनंद अपने पठान, वॉर फिल्म के एक्शन की कड़ी को फाइटर में बख़ूबी आगे बढ़ते हैं. शमशेर पठानिया उर्फ़ पैटी फाइटर पायलट के रूप में ऋतिक रोशन ने ग़ज़ब का अभिनय और एक्शन किया है. पूरी फिल्म में वह छाए रहते हैं. चाहे देशभक्ति से जुड़े संवाद हो, दर्द भरे अभिव्यक्ति का अभिनय हो या दुश्मनों को करारा जवाब देनेवाला एक्शन हो सभी में ऋतिक बेजोड़ लगे हैं. लंबे समय के बाद ऋतिक रोशन की बेहतरीन फिल्म देखने को मिली. इसमें उनका बख़ूबी साथ दिया है दीपिका पादुकोण ने.
दीपिका ने भी एक फाइटर पायलट की भूमिका निभाई है, जिसमें वे ख़ूब जंची हैं. उन्होंने भी एक पैरेंट्स द्वारा बेटी को वायु सेना में ना भेजने के संघर्ष को सशक्त अंदाज़ में दिखाया है. किस तरह से वह परिवार के विरुद्ध होकर इस क्षेत्र को चुनती हैं, जो आज भी महिलाओं के लिए बड़ा कठिन माना जाता है. पर उनकी कामयाबी के बाद माता-पिता द्वारा उन्हें अपनाना और स्वीकार करना, उस इमोशनल सीन में बेहद प्रभावशाली लगी है दीपिका. मीनल राठौड़ उर्फ मिनी की भूमिका में दीपिका ने एक संघर्ष करती बेटी, प्रेम और देशभक्ति सभी भूमिका में अपना प्रभाव छोड़ा है.
पुलवामा अटैक और बालाकोट एयर स्ट्राइक से जुड़ी फिल्म की कहानी हरतरह से प्रभावित करती है. फिल्म में फाइटर पायलट की देशभक्ति के जज़्बे पर अजहर अख़्तर जैसे आतंकवादियों का खूंखारपना बहुत कुछ सोचने को मजबूर करता है.
राकेश रॉकी के रूप में अनिल कपूर हमेशा की तरह प्रभावित करते हैं. उनके अंडर में ऋतिक, दीपिका, करण सिंह ग्रोवर, अक्षय ओबेरॉय फाइटर प्लेन व हेलिकॉप्टर से ग़ज़ब का कमाल दिखाते हैं. किस तरह हमारे दो फाइटर पायलट पीओके में बंदी बना लिए जाते हैं और उन्हें छुड़ाने और दुश्मनों से पंगा लेते हमारे वायुसेना के लड़ाकू बेमिसाल हौसला दिखाते हैं.
देशभक्ति और एक्शन से भरी फिल्में हमेशा ही पसंद की जाती रही हैं और फाइटर चूंकि गणतंत्र दिवस के अवसर पर ही रिलीज़ हुई है, तो जज़्बे को एक और उफ़ान पर ले जाती है. लोगों का अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है फिल्म को.
एक्शन के अलावा संगीत की बात की जाए, तो विशाल-शेखर का म्यूज़िक ठीक ही है. शेर खुल गए… जैसे गाने थोड़े मज़ेदार दिलचस्प फिल्माए गए हैं. गीतकार कुमार ने दिल बनाने वाले… वह मिट्टी… गाने अच्छे लिखे हैं.
ऋतिक, दीपिका, अनिल, करण, अक्षय, विलेन ऋषभ साहनी के अलावा अन्य सहयोगी कलाकार ने भी बेहतरीन अभिनय का जलवा पेश किया है. आशुतोष राणा व शारबी हाशमी थोड़े समय के लिए ही दिखाई दिए, लेकिन उन्होंने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया. संजीदा शेख, मुश्ताक काक संग व तलत अजीज ने भी सहयोगी कलाकार के रूप में बढ़िया काम किया है. पौने तीन घंटे की यह फिल्म कहीं भी बोर होने नहीं देती और रोमांच और उत्साह से भर देती है. फिल्म में इमोशंस, एक्शंस और रोमांस का अच्छा मेल है, जो दर्शकों को बांधे रखता है.
फिल्म के कुछ संवाद लाजवाब है और दिलों दिमाग़ पर छा जाते हैं, जैसे- "दुनिया में मिल जाएंगे आशिक कई, पर वतन से हसीन सनम नहीं होता.. हीरों में सिमटकर, सोने से लिपटकर मरते होंगे कई, तिरंगे से हसीन कफ़न नहीं होता…"
"जंग में सिर्फ़ हार या जीत होती है, कोई मैन ऑफ द मैच नहीं होता…"
"जो अकेला खेल रहा होता है, वो टीम के ख़िलाफ़ खेल रहा होता है…"
अब्बास और हुसैन दलाल ने लाजवाब डायलॉग लिखे हैं इसमें कोई दो राय नहीं.
सिनेमैटोग्राफी में सैटचिथ पाउलोज ने शानदार काम किया है. अंकित बल्हारा व संचित का बैकग्राउंड म्यूज़िक दमदार है. आरिफ शेख ने एडिटिंग तो अच्छी की है, लेकिन यदि वे चाहते तो फिल्म को थोड़ा सा और एडिट कर सकते थे.
फिल्म की कहानी लिखने में निर्देशक सिद्धार्थ आनंद के अलावा और चार लोगों की भूमिका रही है- रमन छिब, विश्वपति सरकार, अब्बास दलाल व हुसैन दलाल.
मार्फ्लिक्स पिक्चर्स के सहयोग से वायाकॉम18 स्टूडियो के बैनर तले बनी फाइटर भविष्य में एक सुपरहिट फिल्म साबित होगी इसमें कोई शक नहीं है.
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