फिल्म रिव्यूः खानदानी शफ़ाखाना (Movie Review Of Khandaani Shafakhana)
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फिल्मः ख़ानदानी शफ़ाखाना
कलाकारः सोनाक्षी सिन्हा, वरुण शर्मा, नादिरा बब्बर, बादशाह, अनु कपूर
निर्देशकः शिल्पी दासगुप्ता
स्टारः 2.5
सोनाक्षी सिन्हा, वरुण शर्मा, अनु कपूर व बादशाह अभिनीत इस फिल्म का डायरेक्शन शिल्पी दासगुप्ता ने किया है. यह फिल्म बहुत स्लो है. फिल्म का एकमात्र सेविंग प्वॉइंट इसमें कलाकारों की एक्टिंग है. अगर आप सोनाक्षी सिन्हा के फैन हैं तो एक बार यह फिल्म देख सकते हैं.
कहानीः फिल्म की कहानी एक यौन चिकित्सालय यानी खानदानी शफाखाना के इर्द गिर्द बुनी गई है. बेबी बेदी (सोनाक्षी सिन्हा) पंजाब के एक शहर में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का काम करती है. घर चलाने के लिए वह सुबह से लेकर शाम तक खूब सारे जतन करती है लेकिन उसकी मेहनत से घर बस किसी तरह चल जा रहा है. खबर आती है कि मामाजी गुजर गए. उनका पुराना क्लीनिक बेबी को विरासत में मिलता है पर शर्त ये है कि उसे पहले ये क्लीनिक छह महीने चलाकर दिखाना होगा. रुढ़ियों में जकड़े समाज में एक पुरुष के यौन चिकित्सालय तक जाने में लोगों के घुटने जवाब दे जाते हैं तो फिर एक लड़की को लोग अपनी यौन बीमारियां कैसे बताते हैं, यही है इस फिल्म की कहानी.
निर्देशनः फिल्म की निर्देशक शिल्पी दासगुप्ता ने छोटे शहर की छोटी-छोटी बारीकियों को बख़ूबी से पर्दे पर उतारा है. उनका पहनावा, बोलचाल, भाषा सबकुछ पर अच्छी पकड़ बनी हुई है, लेकिन यह फिल्म स्क्रीनप्ले और एडीटिंग के मामले में काफी कमजोर है. इन दोनों में ताल-मेल की कमी दिखती है जिसके कारण फिल्म लचर लगती है. इस फिल्म का मैसेज बहुत अच्छा है कि सेक्स एजुकेशन के बारे में बात करना चाहिए, लेकिन मैसेज पहुंचाने के लिए जिस तरीक़े का इस्तेमाल किया गया है, उसके कारण इतने अच्छे मैसेज की सार्थकता पर ही सवाल उठने लगते हैं. अच्छी बात यह है कि इस सेक्स कॉमेडी में गंदी व डबल लैग्वेज़ का इस्तेमाल नहीं हुआ है. इस फिल्म सेक्स मीसिंग है और कॉमेडी भी दर्शको का मनोरंजन करने से असफल साबित हुई है.
एक्टिंगः सोनाक्षी सिन्हा ने फिल्म में अपनी पूरा जान फूंक दी है. उन्होंने ज़िंदगी का गुजर-बसर करने के लिए संर्घषरत मिडिल क्लास लड़की की रोल बख़ूबी निभाया है. बादशाह का रोल भी अच्छा है. उन्होंने इस फिल्म में इरेक्टाइल डाइफंक्शन की समस्या से जूझ रहे रॉकस्टार का रोल किया है. बादशाह ने बहुत नैचुरल एक्टिंग की है. कुलभूषण खरबंदा को अरसे बाद परदे पर देखना सुखद रहा और अन्नू कपूर तो खैर हैं ही मिस्टर लाजवाब. वरुण शर्मा हमेशा की तरह गुदगुदाने व चेहरे पर हंसी लाने कामयाब रहे हैं.
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