रेटिंग: 3 ***
मेघना गुलज़ार की निर्देशन में बनी फिल्म सैम बहादुर ने हर किसी का दिल जीता है. कह सकते हैं बेहतरीन निर्देशन के साथ विक्की कौशल की बेमिसाल अभिनय ने ख़ूब वाहवाही लूटी है. फैंस के साथ-साथ सेलिब्रिटीज़ ने भी उनके एक्टिंग की जमकर तारीफ़ की है. अभिषेक बच्चन से लेकर भाई सनी कौशल तक ने विक्की की अब तक की सबसे ज़बर्दस्त फिल्म का ख़िताब तक इसे दे दिया है.
फ़िलहाल, राज़ी, छपाक जैसी फिल्मों में अपने सशक्त निर्देशन का लोहा मनवा चुकी मेघना गुलज़ार ने सैम बहादुर में भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के करियर से जुड़े तमाम विषयों और मुद्दों को घंटों में समेटने की तारीफ़-ए-काबिल कोशिश की है. फिर चाहे वो दूसरा विश्व युद्ध हो या भारत-पाकिस्तान की लड़ाई.
सैम मानेकशॉ के भूमिका में विक्पकी कौशल ने जान फूंक दी. उन्होंने अभिनय नहीं, बल्कि उनके क़िरदार को पर्दे क्या ख़ूब जिया है. उनके कहने, चलने का अंदाज़ हो या देखने की गहराई सभी में विक्की ने अपना बेस्ट दिया है, तभी हर कोई उनके इस लाजवाब अभिनय का मुरीद हो गया है.
सान्या मल्होत्रा ने भी पत्नी के रूप में विक्की का ख़ूब साथ निभाया है. दोनों की जोड़ी पर्दे पर ख़ूब जंचती है. साथ ही उनकी मीठी नोक-झोंक भी. इंदिरा गांधी की भूमिका में फातिमा सना शेख ने कमाल की अदाकारी की है. फिल्म के अंत तक वे ज़ेहन में रह जाती हैं. अन्य कलाकारों में गोविंद नामदेव आदि कलाकारों ने भी बढ़िया काम किया है.
शंकर, एहसान, लॉय का म्यूज़िक जोश पैदा कर देता है. गुलज़ार साहब के गीत लुभाते हैं, ख़ासकर बढ़ते चलो…
इसमें कोई दो राय नहीं की मेघना गुलज़ार ने आर्मी ऑफिसर के जीवन पर अच्छी फिल्म बनाई हैं, फिर भी कई जगहों पर वे चूक भी गई हैं. माना ऐसी विषयों पर फिल्म बनाना जोखिम भरा होता है, पर उसे सही तरी़के से संपादित करना भी ज़रूरी है. छायांकान ठीक है. चूंकि आर्मी के असली जगहों पर शूटिंग हुई है, इस कारण भी सभी सीन्स देखने में आकर्षक लगते हैं. अपने इतिहास को जानने और ख़ासकर सैम मानेकशॉ जैसे बहादुर, ज़िंदादिल इंसान इस देश की धरती से जुड़े थे के बारे में जानकर सुखद अनुभूति होती है. विक्की कौशल के लाजवाब अदाकारी के लिए एक बार फिल्म देखना बनता ही है. वाक़ई सैमजी की बहादुरी क्या ख़ूब जिया है उन्होंने.
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