रेटिंग: *** 3
नए विषय पर और कुछ अलग हटकर कोई फिल्म बनाई जाती है, तो यक़ीनन पसंद की जाती है, फिर वो थिएटर में हो या ओटीटी प्लेटफॉर्म पर. ज़ोया अख्तर की फिल्म 'द आर्चीज' इसी तरह के सुखद एहसास से भर देती है.
साठ के दशक के दोस्तों की कहानी है. कॉमिक्स आर्चीज के क़िरदारों से प्रेरित फिल्म में नए चेहरों के उमंग-उत्साह, भोलेपन से लेकर सहजता और अभिनय की सादगी देखते ही बनती है.
अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा जो आर्ची के मुख्य क़िरदार में है विरासत में मिली अभिनय प्रतिभा की बानगी प्रस्तुत करते हैं. युवा जोश, प्रेम, अभिनय, डांस हर शेड्स में वे बाज़ी मार ले जाते हैं. उन्होंने इस बात को साबित कर दिया कि एक्टिंग उनके ख़ून में है. वेरोनिका के रोल में शाहरुख खान की लाड़ली सुहाना ने ग़जब का चुलबुलापन और मस्तानी वाला अंदाज़ दिखाया है, जिसे देख उनके पैरेंट्स यक़ीनन प्राउड फील कर रहे होंगे. बेट्टी की भूमिका में श्रीदेवी-बोनी कपूर की बिटिया ख़ुशी कपूर आकर्षक अंदाज़ और शांत लहजे में कहें गए संवादों से सारी वाहवाही लुट ले जाती हैं.
अगस्त्य, सुहाना और ख़ुशी फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में है. वेरोनिका और बेट्टी दोनों ही आर्ची को पसंद करती हैं, जबकि आर्ची मस्तमौला दीवाना है, जो हर लड़की से प्रभावित हो जाता है. अन्य कलाकारों में वेदांग रैना, मिहिर आहूजा, अदिलि सैगल, युवराज मेंडा ने बेहद प्रभावित किया है.
रिवरडेल शहर में रह रहे ये सभी दोस्त उस समय बेइंतहा परेशान हो जाते हैं, जब उन्हें पता चलता है उनके मनोरंजन और अनगिनत यादों का साक्षी ग्रीन पार्क को हटाकर होटल बननेवाला है. यह समस्या तब और उलझ जाती है, जब पता चलता है कि इसे वेरोनिका के बिज़नेसमैन पिता बनानेवाले है. इस कारण दोस्तों में मतभेद और तनाव पैदा हो जाता है. ग्रीन पार्क के अस्तित्व को बचाने के लिए सभी मिलकर अनोखी लड़ाई लड़ते हैं. अंत में जीत दोस्ती, ग्रीन पार्क की होती है.
ज़ोया अख्तर ने इन नए स्टार किड्स से बेहतरीन अभिनय करवाया है. कुछ प्रसंग उनकी 'ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा' की याद दिला देते हैं.
शंकर एहसान लॉय का सुमधुर संगीत फिल्म को मस्ती भरा बनाने के साथ गति देता है. जावेद अख्तर के गीत तो उम्दा हैं ही, ख़ासकर सुनोह… वा वा वूम… ढिशूम ढिशूम… में गणेश हेगड़े व बास्को सीजर की कोरियोग्राफी सुर-संगीत और नृत्य का बेमिसाल संगम प्रस्तुत करती हैं. रीमा कागती, आएशा देवित्रे ढिल्लन और ज़ोया अख्तर की लेखनी कहानी को बांधे रखती है.
टाइगर बेबी प्रोडक्शन की नेटफ्लिक्स के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई द आर्चीज दर्शकों को कुछ ख़ास और हटकर देती है. लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि कभी ख़ुशी कभी ग़म वाली बात भी है. नए चेहरों के अभिनय कहीं पर बेहद दमदार हैं, तो कहीं पर अखरते भी हैं. अभी इन्हें और परिपक्व होने की ज़रूरत है. वैसे भी इसे सिनेमा हॉल में रिलीज़ न करके डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाना सटीक निर्णय था, वरना फिल्म उतनी नहीं चल पाती, जितना की फिल्ममेकर अपेक्षा रखते.
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