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स्तनपान से जुड़े मिथकों की सच्चाई, जो हर मां को जानना चाहिए (Myths & Facts About Breastfeeding Your Baby)

शिशु के जन्म के बाद स्तनपान (Breastfeeding) कराने की प्रक्रिया बेहद सामान्य है, लेकिन सही जानकारी के अभाव के कारण शिशु को स्तनपान करानेवाली मांओं के मन में कई प्रकार के भ्रम होते हैं, जो कि वास्तव में सच नहीं होते हैं. मिथक- कई मांओं में दूध कम बनता है. सच्चाई- क़रीब 95 फ़ीसदी महिलाएं डिलीवरी के बाद पहले दिन से ही अपने नवजात शिशु को स्तनपान कराने में सक्षम होती हैं. हालांकि 3-4 दिन तक फ्लो कम होता है, लेकिन यह दूध बच्चे को सही ढंग से फीड कराने के लिए काफ़ी होता है. ये भी पढ़ेंः किस उम्र में कितना सोना चाहिए? (How Much Sleep Do We Really Need?) मिथक- बच्चे को पर्याप्त दूध मिल रहा है या नहीं, यह जानना नामुमक़िन है. सच्चाई- अगर बच्चा जन्म के चौथे दिन से 5-6 बार पेशाब करता है, दूध पीने के बाद सो जाता है और उसका वज़न भी बढ़ रहा है तो इसका अर्थ यह है कि उसे पर्याप्त मात्रा में दूध मिल रहा है. मिथक- गर्मी में स्तनपान के अलावा बच्चे को अतिरिक्त पानी की आवश्कता होती है. सच्चाई- अगर बच्चा मां का दूध पी रहा है तो उसे क़रीब 6 महीने तक पानी देने की कोई ख़ास ज़रूरत नहीं होती है. Facts About Breastfeeding मिथक- बच्चे को लेटकर स्तनपान नहीं कराना चाहिए. सच्चाई- ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. दरअसल, लेटकर बच्चे को स्तनपान कराना बच्चे और मां दोनों के लिए एकदम सुरक्षित और आरामदायक होता है. इसके साथ ही हर फीड के बाद निप्पल्स को साफ़ करना भी ज़रूरी नहीं है. ऐसा करने से निप्पल्स में छाले या दरार पड़ सकते हैं. मिथक- मिक्स फीडिंग शिशु के लिए फ़ायदेमंद होती है. सच्चाई- अगर आप भी यही सोचती हैं कि बच्चे के लिए ब्रेस्ट फीडिंग के साथ बाहर का दूध देना फ़ायदेमंद होता है, तो आप ग़लत हैं, क्योंकि मां के दूध के साथ अगर बच्चे को बाहर का दूध भी दिया जाए तो इससे ओवर फीडिंग हो सकती है और मां के स्तन से दूध की सप्लाई भी कम हो सकती है. मिथक- अगर मां बीमार है तो ऐसे में बच्चे को फीड न कराना ही बेहतर है. सच्चाई- ऐसा नहीं है. अगर मां को ज़ुकाम या बुखार है तो भी वो अपने बच्चे को फीड करा सकती है. मां का दूध बच्चे के लिए एंटीबॉडीज़ होता है, जो हर बीमारी से उसकी रक्षा करता है. ये भी पढ़ेंः एसिडिटी व गैस से छुटकारा पाने के 5 चमत्कारी घरेलू नुस्ख़े (5 Best Home Remedies To Get Rid Of Acidity And Gas) मिथक- डिलीवरी के बाद तीन दिन तक निकलने वाला पीला गाढ़ा दूध शिशु को नहीं पिलाना चाहिए. सच्चाई- नवजात शिशु को माता का पीला दूध ज़रूर पिलाना चाहिए. डिलीवरी के बाद मां के स्तन से निकलने वाला पीला गाढ़ा दूध कोलोस्ट्रम होता है, जो शिशु के भीतर संक्रामक रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है. मिथक- मां के दूध से बाज़ार में मिलने वाला पाउडर का दूध बेहतर होता है. सच्चाई- अगर आप भी ऐसा सोचती हैं तो यह ग़लत है, क्योंकि शिशु के लिए मां के दूध से बेहतर कुछ नहीं होता. मां के दूध में प्रचुर मात्रा में एंटीबॉडीज़ पाई जाती है, जबकि बोतल से दूध पिलाने पर बच्चे में संक्रमण होने का ख़तरा बढ़ जाता है. मिथक- मां को पानी जैसे तरल पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए. सच्चाई- बच्चे को दूध पिलाने वाली मां को पानी जैसे तरल पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए, लेकिन इसके साथ-साथ खान-पान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए. ये भी पढ़ेंः जानिए किन कारणों से होता है डायबिटीज़? (Diabetes Causes: How Do You Get Diabetes)

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