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काव्य- मां… (Poem- Maa…)

जिसके जगने से ही सुबह होती है घर में

वो होती है मां..

बिन बोले दुख दर्द जान ले औलाद की

वो होती है मां..

रिश्तों को अपने संयम व समझदारी से पल्लू में बांध ले

वो होती है मां..

जब कही ना मिले आसरा तो अपने आंचल की छांव दे 

वो होती है मां..

बड़ी-बड़ी मुश्किलों में जो सब्र का पाठ पढ़ाए

वो होती है मां..

अर्श से भी औलाद को रास्ता दिखलाए

वो होती है मां..

दर्द में हो जो औलाद तो झट ख़्वाबों में आ जाए 

वो होती है मां..

ताउम्र दुनिया में ना होकर भी साथ निभाए 

वो होती है मां..

रब से भी ऊंचा रुतबा पाए

वो होती है मां..

- पूजा अरोड़ा


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Photo Courtesy: Freepik

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