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कविता- सफलता सांझी है (Poem- Saflata Sanjhi Hai)

मत भूल सफलता सांझी है
कुछ तेरी है, कुछ मेरी है
मां-बाप और बच्चे सांझे हैं
कुछ रिश्ते-नाते सांझे हैं
कुछ ज़िम्मेदारी सांझी है
कुछ हिस्सेदारी सांझी है
मेहनत जो तुमने की है तो
इंतज़ार मैंने भी किया तेरा
कुछ लम्हें तन्हा काटे हैं
कुछ तुम बिन फ़र्ज़ निभाएं हैं
मेहनत तेरी तभी रंग लाई है
ज़िम्मेदारी जब तेरी मैंने निभाई है
इसलिए सफलता सांझी है
कुछ तेरी है कुछ मेरी है
मत भूल सफलता सांझी है
कुछ तेरी है कुछ मेरी है
तुम से पूर्ण रूप मेरा
और मुझसे हो सम्पूर्ण तुम
मैं और तुम दोनों हम हैं
हम दोनों से ये दुनिया है
जो कुछ भी है सब दोनों का
फिर लाभ हो या फिर हानि है
कुछ तेरी ज़िम्मेदारी है
कुछ मेरी ज़िम्मेदारी है
इसलिए सफलता सांझी है
कुछ तेरी है कुछ मेरी है…

- कंचन चौहान


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Photo Courtesy: Freepik

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