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काव्य- हैप्पी ईयर एडिंग… (Poetry- Happy Year Ending…)

कितना अजीब है ना
दिसंबर और जनवरी का रिश्ता
जैसे पुरानी यादों और नए वादों का क़िस्सा…

दोनों काफ़ी नाज़ुक है
दोनों में गहराई है
दोनों वक़्त के राही है
दोनों ने ठोकर खाई है…

यूं तो दोनों का है
वही चेहरा-वही रंग
उतनी ही तारीख़ें और
उतनी ही ठंड…
पर पहचान अलग है दोनों की
अलग है अंदाज़ और
अलग हैं ढंग…

एक अन्त है
एक शुरुआत
जैसे रात से सुबह
और सुबह से रात…

एक में याद है
दूसरे में आस
एक को है तज़ुर्बा
दूसरे को विश्वास…

दोनों जुड़े हुए है ऐसे
धागे के दो छोर के जैसे
पर देखो दूर रहकर भी
साथ निभाते है कैसे…

जो दिसंबर छोड़ के जाता है
उसे जनवरी अपनाता है
और जो जनवरी के वादे है
उन्हें दिसंबर निभाता है…

कैसे जनवरी से
दिसंबर के सफ़र में
११ महीने लग जाते है…
लेकिन दिसंबर से जनवरी बस
एक पल में पहुंच जाते हैं

जब ये दूर जाते हैं
तो हाल बदल देते हैं
और जब पास आते हैं
तो साल बदल देते हैं…

देखने में ये साल के महज़
दो महीने ही तो लगते हैं
लेकिन…
सब कुछ बिखेरने और समेटने
का वो कायदा भी रखते हैं…

दोनों ने मिलकर ही तो
बाकी महीनों को बांध रखा है

अपनी जुदाई को
दुनिया के लिए
एक त्योहार बना रखा है
हैप्पी ईयर एडिंग…

यह भी पढ़े: Shayeri

Photo Courtesy: Freepik

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