Close

कविता- सिर्फ़ लिखी थी एक कविता, खाली लिफ़ाफ़ों से क्या कहूं… (Poetry- Sirf Likhi Thi Ek Kavita, Khali Lifafon Se Kya Kahoon…)

सुबहों को व्यस्त ही रखा, दुपहरियां थकी-थकी सी रही
कुछ जो न कह सकी, इन उदास शामों से क्या कहूं..

चुन-चुनकर रख लिए थे जब, कुछ पल सहेज कर
वो जो ख़र्चे ही नहीं कभी, उन हिसाबों का क्या कहूं..

न तुमने कुछ कहा कभी, मैं भी चुप-चुप सी ही रही
हर बार अव्यक्त जो रहा, उन एहसासों का क्या कहूं..

यूं तो गुज़र ही रहे थे हम-तुम, बगैर ही कुछ कहे-सुने
अब कि जब मिलें, छूटे हुए उन जज़्बातों से क्या कहूं..

हां है कोई चांद का दीवाना, कोई पूजा करे सूरज की
वो जो भटकते फिर रहे, मैं उन टूटे तारों से क्या कहूं..

न ख़त का ही इंतज़ार था, और न किसी फूल का
सिर्फ़ लिखी एक कविता, खाली लिफ़ाफ़ों से क्या कहूं…

Namita Gupta 'Manasi'
नमिता गुप्ता 'मनसी'
Poetry

यह भी पढ़े: Shayeri

Share this article