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कहानी- धोखा (Short Story- Dhokha)

उसके घर पहुंचकर देखा सारा शादी का सामान फैला हुआ था. बहुत ख़ामोशी थी, जैसे बेटी की विदाई हुई हो. मुझे देख सीमा लिपटकर रोने लगी, तो मुझे भी रूलाई आ गई. मैंने उसे ढाढ़स बंधाते हुए इशारों में पूछा कि आख़िर क्या हुआ?

"हैलो सीमा, मै रूचि बोल रही हूं."
"हां, रुचि बोलो. आज तुझे मेरी याद कैसे आई."
"नही, याद तो तुम्हारी रोज़ ही आती है डियर. तू तो मेरी सबसे अच्छी सहेली है. बस समय नही मिल पाया इधर कुछ दिनो से तुझसे बात करने का. और बताओ, तुम ठीक हो ना और प्राची कैसी है. अपनी ससुराल में ख़ुश तो है ना!"
"अरे काहे की ससुराल, जब शादी ही नहीं हुई तो…"
"शादी नही हुई! मतलब?"
"तुम घर आओ तब बताती हूं सब कुछ. अभी फोन रखती हूं, ठीक है. घर मे मेहमान आए हैं अभी."
"ठीक है. ओके बाय."
"बाय, सी यू."
फोन रख मैं सोचने लगी कि आख़िर ऐसा क्या हुआ होगा जो शादी नहीं हुई.
सीमा मेरी कलीग थी. पहले हम दोनों एक ही ऑफिस मे काम करते थे. वहीं मेरी उससे मुलाक़ात हुई थी. धीरे-धीरे हम दोनों में अच्छी दोस्ती हो गयी थी.
दोनों एक ही शहर में थे, तो आना-जाना भी होता रहता था. फिर उसे दूसरी कम्पनी में जॉब मिल गयी, तो हमारा रोज़ का मिलना बंद हो गया था. हां, फोन पर उससे बात होती रहती थी. कभी-कभार आना-जाना भी होता रहता था
अभी दस दिन पहले ही तो वो मेरे घर आई थी अपनी बेटी की शादी का कार्ड देने. बता रही थी कि अगले हफ़्ते शादी है. कितनी ख़ुश थी कि उसकी बेटी की शादी इतने अच्छे घर में हो रही है.

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"लड़का बैंगलुरू में मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉब करता है. लाखों में सैलरी है. अपना फ्लैट, गाड़ी सब कुछ है. मेरी बेटी ख़ूब ख़ुश रहेगी वहां." बताते हुए उसके चेहरे से ख़ुशी साफ़ झलक रही थी.
"ये तो बहुत ख़ुशी की बात है. बधाई हो तुझे, लेकिन ये बता तूने लड़के के बारे में उसके घरवालों के बारे में सब अच्छे से पता कर लिया है ना. सारी जांच-पड़ताल करके ही अपनी बेटी ब्याहना."
"हां बाबा, सब पता कर लिया है. वैसे भी लड़के के पिताजी मेरे भैया के सीनियर हैं. भैया-भाभी उन्हें बहुत अच्छी तरह से जानते हैं. काफ़ी आना-जाना है उनका मेरे भैया के घर. भाई ने ही ये रिश्ता कराया है. सब उनका जाना-समझा है. लड़के को तो भैया बचपन से जानते हैं. अच्छा तुम आना ज़रूर. अब मैं चलती हूं."
"हां… हां… मैं ज़रूर आऊंगी." कहकर मैंने उसे विदा किया.
पर शादी के दो दिन पहले मेरे ससुरजी की तबीयत अचानक से बहुत ख़राब हो गयी थी. उन्हें एडमिट करना पड़ा, तो इसलिए शादीवाले दिन मैं शाम में ही उसके घर गयी थी और शगुन और आशीर्वाद देकर जल्दी ही लौट आयी थी, क्योंकि मैं पूरी शादी तक रुक नहीं पायी थी, इसलिए मुझे पता ही नहीं था कि आख़िर क्या बात हुई, जो शादी नहीं हुई.
इसकी वजह जानने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी.
अतः दूसरे दिन रविवार को ही मैं उसके घर पहुंच गयी थी.
उसके घर पहुंचकर देखा सारा शादी का सामान फैला हुआ था. बहुत ख़ामोशी थी, जैसे बेटी की विदाई हुई हो. मुझे देख सीमा लिपटकर रोने लगी, तो मुझे भी रूलाई आ गई. मैंने उसे ढाढ़स बंधाते हुए इशारों में पूछा कि आख़िर क्या हुआ?
"आओ कमरे में चलकर बात करते हैं." उसने कहा.
कमरे मे पहुंचते ही सीमा बोली, "जानती है रूचि, तू सही कह रही थी कि मुझे अच्छी तरह जांच-पड़ताल करके ही शादी तय करनी चाहिए थी."
"पर तुमने तो बताया था कि तुम्हारे भैया का जाना-समझा परिवार है. फिर क्या हुआ. ये रिश्ता तो तुम्हारे भाई ने कराया था."
"हां भाई ने ही तो हमें धोखे में रखा. लड़का ड्रग एडिक्ट था. वो किसी कम्पनी में जॉब भी नहीं करता था. पूरा आवारा और बदचलन था. एक बार जेल भी जा चुका है डकैती डालने के केस में. फ्लैट, गाड़ी की बात सब झूठ थी.
वो तो भला हो मेरे देवर और उनके मित्र का, जब उन्होंने लड़के को देखा द्वारचार पर तो मुझे और मेरे पति को अकेले में ले जाकर उसके बारे मे बताया. उनके मित्र पुलिस में हैं, वो भी शादी में आए थे. उन्होंने ही देवर को बताया था उसके बारे में. पहले तो मैंने उनकी बात ही ना मानी. उल्टा उन पर ही आरोप लगाने लगी कि वह चाहते ही नहीं कि मेरी बेटी की शादी इतने अच्छे घर में हो, इसीलिए मैंने उन लोगों को शादी तय होने तक कुछ न बताया था.
तब उनके मित्र ने हमें सारी सच्चाई बताई. मुझे तो अपने कानों पर विश्वास ही न हुआ कि मेरे भाई ऐसा कैसे कर सकते हैं. क्या उनको ये सब बातें नहीं पता थी.
मैंने भैया से पूछा कि क्या देवरजी सही कह रहे हैं, तो कहने लगे कि ये सब तो इस उम्र में लड़के करते ही हैं. शादी के बाद सब ठीक हो जाते हैं. और फ्लैट, गाड़ी का क्या है, वो तो जब चाहे ख़रीद सकते हैं.
तब हम लोगों ने उसी वक़्त शादी न करने का फ़ैसला किया, पर लड़के के परिवारवालों ने काफ़ी हंगामा किया था. फिर मेरे देवर और उनके मित्र ने मामला शांत कराया और बारात वापस ले जाने को कहा. खैर बात बिगड़ न जाए इस डर से वे बारात वापस ले गए."
"पर तेरे भाई ने सब कुछ जानते हुए भी ऐसा क्यों किया?" मैंने पूछा.
"प्रमोशन के लिए. उनका प्रमोशन उसी सीनियर के हाथ मे था और उनके बेटे के लक्षण के चलते कोई अपनी बेटी देने को तैयार न था. इसलिए मेरे भाई ने मुझे धोखे में रख ये रिश्ता तय कराया था कि अगर उनके आवारा बेटे की शादी मेरी बेटी से हो जाएगी, तो उनका प्रमोशन तो उनको करना ही होगा.

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मैं हमेशा से अपने ससुरालवालों को ही ग़लत समझती थी, पर अब ये एहसास हुआ कि हमेशा ससुरालवाले ही ग़लत नहीं होते हैं.
अगर उस समय मेरे देवर ने सच्चाई न बताई होती और शादी के समय हुआ बवाल न सुलझाते तो क्या होता. आज उनकी वजह से मेरी बेटी की ज़िंदगी बर्बाद होने से बच गई."
उसकी बात सुनकर मैं सोच रही थी कि क्या सगा भाई ऐसा भी कर सकता है. इतना बड़ा धोखा वो भी अपनी बहन के साथ कि उसकी बेटी की ज़िंदगी ही बर्बाद हो जाए.

- रिंकी श्रीवास्तव

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Photo Courtesy: Freepik


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