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लघुकथा- जाति-धर्म (Short Story- Jaati-Dharm)

तभी शाहिद की बेटी रजिया रोते हुए आईसीयू की ओर बढ़ी, लेकिन दरवाज़े के पास पहुंच कर उसके कदम थम गए. सालों पहले घटी घटना उसे याद आ गई. उसके अब्बू ने उससे संबंध तोड़ लिए थे. उन्होंने स्पष्ट कह दिया था कि अब उनकी कोई बेटी नहीं है.

शाहिद को कार्डियाक सर्जिकल ऑपरेशन थिएटर से बाहर लाया गया. शाहिद को ऑपरेशन के समय दिए गए एनेस्थेसिया का असर अभी भी था. अभी वह पूरी तरह से होश में नहीं आया था. उसे कार्डियाक आईसीयू में भर्ती कर दिया गया.


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तभी शाहिद की बेटी रजिया रोते हुए आईसीयू की ओर बढ़ी, लेकिन दरवाज़े के पास पहुंच कर उसके कदम थम गए. सालों पहले घटी घटना उसे याद आ गई. उसके अब्बू ने उससे संबंध तोड़ लिए थे. उन्होंने स्पष्ट कह दिया था कि अब उनकी कोई बेटी नहीं है. क्योंकि रजिया ने आठ साल पहले एक हिंदू लड़के से प्रेमविवाह कर लिया था. जबकि उसके अब्बू इसके सख्त विरोधी थे. फिर भी रजिया आईसीयू में जा कर अब्बू के बेड के पास बैठ गई.
थोड़ी देर बाद शाहिद को होश आया. रजिया को देख कर उन्हें ग़ुस्सा आ गया. अपना मुंह फेर कर उन्होंने कहा, "तू हट जा मेरे सामने से. मैं तेरा मुंह नहीं देखना चाहता. अगर तू ने किसी मुस्लिम लड़के से प्यार किया होता, तो मैं ख़ुशी-ख़ुशी तेरा निकाह उसके साथ करा देता. पर तू ने एक काफ़िर से निकाह किया है, इसलिए अब तेरा और मेरा कोई रिश्ता नहीं रहा."
"अब्बा, आप भले ही मेरा और मेरे पति आशीष के हिंदू होने का विरोध करें, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है. परंतु आप एक बात याद रखिएगा, आप के अंदर जो हृदय धड़क रहा है, वह एक हिंदू का ही है. आपके शरीर में धड़कने वाला हृदय आशीष के चचेरे भाई राकेश का है. उनका एक्सीडेंट होने की वजह से डॉक्टर ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया था, इसलिए उनका हृदय आपको प्रत्यारोपित कर दिया गया है."


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यह सुनकर शाहिद रजिया को गले से लगाकर रोने लगे. अभी तक वह जिस जाति-धर्म को मान रहे थे, वास्तव में वह कुछ नहीं होता. अब तक वह जो नहीं समझ पाए थे, आज उनकी लाड़ली बेटी रजिया ने समझा दिया था.

- वीरेंद्र बहादुर सिंह

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