Close

लघुकथा- नन्ही पिंकी और नीली फ्रॉक (Short Story- Nanhi Pinky Aur Neeli Frock)

"... तुम्हें याद है, अपने जन्मदिन पर पहनी नीली फ्रॉक में तुम कितनी प्यारी लग रही थी? कभी-कभी हम अपनी चीज़ों की कद्र करना भूल जाते हैं और दूसरों की चीज़ देखकर दुखी हो जाते हैं. हमें ऐसा नहीं करना चाहिए..."

पिंकी को अपनी सहेली सानिया जैसी गुलाबी फ्रॉक चाहिए थी.

कल ही मां ने उसकी ज़िद पर जादू वाली पेंसिल खरीदी थी, लेकिन अब मां के पास पैसे नहीं थे.

पिंकी रोते-रोते सो गई.

सुबह भी उसका चेहरा उदास था.

स्कूल में जब टीचर ने उसे देखा तो पास बुलाकर प्यार से पूछा, "क्या हुआ पिंकी, तुम इतनी उदास क्यों हो?"

पिंकी रो पड़ी और बोली, "मां ने मुझे सानिया जैसी फ्रॉक नहीं दिलाई."

यह भी पढ़ें: बच्चों को कैसे बनाएं रिसपॉन्सिबल? (Tips to Raise a Responsible Child)

टीचर ने पिंकी को प्यार से समझाया, "बेटा, हर घर की परिस्थितियां अलग होती हैं.

किसी के पास एक चीज़ होती है, किसी के पास दूसरी.

लेकिन भगवान ने सबको एक जैसा दिमाग़ और शरीर दिया है.

तुम्हें याद है, अपने जन्मदिन पर पहनी नीली फ्रॉक में तुम कितनी प्यारी लग रही थी?

कभी-कभी हम अपनी चीज़ों की कद्र करना भूल जाते हैं और दूसरों की चीज़ देखकर दुखी हो जाते हैं.

हमें ऐसा नहीं करना चाहिए.

जो हमारे पास है, उसी में ख़ुश रहना चाहिए."

पिंकी को बात समझ में आ गई.

उसके चेहरे पर मुस्कान लौट आई.

घर जाकर वह मां से बोली, "मां, अब मैं ज़िद नहीं करूंगी.

मुझे अपनी चीज़ों से ही ख़ुश रहना चाहिए."

मां ने पिंकी को गले से लगाया और कहा, "शाबाश, मेरी समझदार पिंकी!"

यह भी पढ़ें: बच्चों को दें बेसिक संस्कार, बनाएं पॉज़िटिव (Give Basic Values ​​To Children, Make Them Positive)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपनी चीज़ों की कद्र करनी चाहिए.

दूसरों की चीज़ देखकर दुखी होने की बजाय

जो हमारे पास है, उसमें ख़ुश रहना ही सही समझदारी है.

- कंचन चौहान

Oplus_16908288

अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES

Photo Courtesy: Freepik

Share this article