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लघुकथा- प्यारा सा उपहार (Short Story- Pyara Sa Upahar)

"कुछ नहीं होता. पहले तो बच्चे ही इतने होते थे कि औरतें चालीस साल की उम्र तक भी मां बनती रहती थीं. तो अब यही समझना की तुमने भी पहले नहीं पांचवे बच्चे को जन्म दिया है बस. आज की लड़की यदि पढ़ाई में लड़कों से आगे है, तो उसे अपना करियर बनाने का अवसर भी अवश्य मिलना चाहिए." मांजी ने सबकी बोलती बंद कर दी थी.

आज साक्षी अपने नन्हे को लेकर अस्पताल से घर आ गई. मांजी ने घर को दुल्हन की तरह सजाया था. देहरी पर ही उन्होंने साक्षी, सुमित और नन्हे की आरती उतारी.
साक्षी नन्हे को लेकर अपने कमरे में आकर पलंग पर लेट गई. मातृत्व की सुखद अनुभूति आंखों में भरकर वह अपने बेटे को निहार रही थी. सब कुछ एक सुंदर सपने जैसा लग रहा था. तभी सासू मां हल्दीवाला दूध लेकर आ गईं.
"मैंने कहा था न सब अच्छा होगा. देखो, आज तुम मां बन गई और मैं दादी…" मांजी नन्हे की बलैया लेती हुई बोलीं.
साक्षी को याद आया जब शादी के सालभर बाद सब उस पर मां बनने के लिए ज़ोर डाल रहे थे और वह अपने करियर के महत्वपूर्ण मोड़ पर होने के कारण मानसिक रूप से इसके लिए तैयार नहीं थी. एक तो छब्बीस साल की उम्र के बाद शादी उस पर मां बनने को टालना. लेकिन साक्षी पढ़ाई में की गई मेहनत को कैसे पानी में बहा दे. उस समय लोगों के निरंतर बढ़ते दबाव व कानाफूसी से वह इतनी तनाव में आ गई थी कि अवसाद में जाने लगी थी.


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तभी मांजी ने ही उसे हिम्मत दी और अवसाद से बाहर निकाला.
"कुछ नहीं होता. पहले तो बच्चे ही इतने होते थे कि औरतें चालीस साल की उम्र तक भी मां बनती रहती थीं. तो अब यही समझना की तुमने भी पहले नहीं पांचवे बच्चे को जन्म दिया है बस. आज की लड़की यदि पढ़ाई में लड़कों से आगे है, तो उसे अपना करियर बनाने का अवसर भी अवश्य मिलना चाहिए." मांजी ने सबकी बोलती बंद कर दी थी.
फिर साक्षी से बोली, "हिम्मत और धैर्य रखने और डॉक्टर की निगरानी में रहने से कोई जटिलता नहीं होगी. आजकल तो तीस की उम्र के बाद बच्चे होना आम बात हो गई है. बस तुम मन से स्वस्थ और प्रसन्न रहना, लेकिन हां बहुत ज़्यादा देर भी मत करना."
और साक्षी ने अगले चार सालों में वो मुक़ाम हासिल कर लिया, जो वो चाहती थी. अब मातृत्व अवकाश के बाद जब भी वह चाहेगी, तब कंपनी उसे सहर्ष दोबारा उसके स्थान पर नियुक्त कर देगी. आज उसके पास सासू मां की समझदारी और सामंजस्य के कारण सब कुछ है.
"ये तो आपका ही दिया प्यारा सा उपहार है मां. आपके साथ के कारण ही आज मेरे पास सब कुछ है." साक्षी सासू मां के कंधे पर सिर रखकर बोली.
नन्हा भी नींद में मुस्कुरा रहा था.

Dr. Vinita Rahurikar
विनीता राहुरीकर

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