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कहानी- सोशल मीडिया का राजकुमार (Short Story- Social Media Ka Rajkumar)

संजीव जायसवाल ‘संजय’

“तुम सब बेकार की बहस मत करो. आजकल एस.एम.एस, फेसबुक और व्हाट्सएप का इस्तेमाल तो राह चलता आदमी भी करता है. लेकिन बड़ी-बड़ी सेलिब्रेटीज़ की आंखों का तारा तो मैं ही हूं. उनकी एक-एक ट्वीट को लाखों-करोड़ों लोग फॉलो करते हैं, रीट्वीट करते हैं, इसलिए सोशल मीडिया का असली राजकुमार मैं हुआ.”

रात के बारह बज रहे थे. चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ था. पढ़ाई पूरी करने के बाद देवांग गहरी नींद में सो रहा था. उसका स्मार्ट फोन मेज पर रखा हुआ था.
अचानक स्मार्ट फोन से एस.एम.एस. बाहर निकला और हाथ नचाते हुए बोला, “मैं हूं सोशल मीडिया का राजकुमार. पहले लोगों का संदेश पहुंचाने में हफ़्तों लगते थे, लेकिन मैं पलक झपकते ही संदेश पहुंचा देता हूं, इसलिए मैं हुआ सोशल मीडिया का राजकुमार.”
“राजकुमार नहीं तुम सोशल मीडिया के बंदर हो बंदर…” तभी फेसबुक ने स्मार्टफोन से बाहर निकलते हुए कहा.
“तुमने मुझे बंदर क्यूं कहा?” एस.एम.एस ने मुंह बनाया.
“तुम्हारा न कोई रूप न कोई रंग. बस तुम दुनिया में थोड़ा पहले आ गए थे, इसलिए तुम्हारी तुलना इंसानों के पूर्वज बंदरों से की जा सकती है.” फेसबुक हंसा.
फिर बोला, “सोशल मीडिया का असली राजकुमार तो मैं हूं. पूरी दुनिया में अरबों लोग मेरे दीवाने हैं. मैं न केवल उनके संदेश पहुचाता हूं, बल्कि उनकी फोटो, वीडियो, ऑडियो सब कुछ पहुंचाता हूं.”
“लेकिन फटाफट संदेश लाना ले जाना हो, तो मैं ही सबके काम आता हूं.” एस.एम.एस ने धीमे स्वर में कहा. फेसबुक की उपयोगिता सुन उसका मन बुझ सा गया था.

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“तुम किस ज़माने की बात कर रहे हो? आजकल लोग संदेश भेजकर उसके उत्तर का इंतज़ार नहीं करते, बल्कि मेरी मदद से डायरेक्ट चैटिंग करते हैं.” फेसबुक ने अकड़ते हुए उसकी बात काटी.
“ऐ ज़्यादा गप्प मत हांक.” तभी व्हाट्सएप स्मार्ट फोन से बाहर निकला और हाथ नचाते हुए बोला, “आजकल किसके पास इतनी ़फुर्सत है कि चैटिंग के लिए तुम्हारे दरवाज़े खोले और बंद करे.”
“दरवाज़े? कैसे दरवाज़े?” फेसबुक ने पूछा.
“अरे, तुम्हें चलाने से पहले लॉग इन और बाद में लॉग आउट करना किसी दरवाज़े को खोलने और बंद करने से कम झंझटी है क्या?” व्हाट्सएप ने मुंह बनाया फिर अकड़ते हुए बोला, “आजकल तो लोग संदेश भेजने के साथ-साथ चैटिंग करने के लिए भी मुझे ही पंसद करते हैं, क्योंकि मैं चौबीसों घंटे सेवा में मौजूद रहता हूं. मेरे साथ ताला और दरवाज़ा खोलने का भी कोई झंझट नहीं, इसलिए सोशल मीडिया का असली राजकुमार मैं हुआ.”
“ज़्यादा शेखी मात झाड़. पूरी दुनिया जानती है कि तेरी कंपनी को मेरे मालिक ने ख़रीद लिया है. अब तुम राजकुमार नहीं मेरे ग़ुलाम हो.” फेसबुक ने आंखे तरेरीं.
यह व्हाट्सएप की कमज़ोर नस थी. फेसबुक की बात सुन वह तिलमिला उठा. वह कोई तीखा उत्तर देने जा रहा था कि तभी टिवट्र उछलता हुआ बाहर आया और आंखें नचाते हुए बोला, “तुम सब बेकार की बहस मत करो. आजकल एस.एम.एस, फेसबुक और व्हाट्सएप का इस्तेमाल तो राह चलता आदमी भी करता है. लेकिन बड़ी-बड़ी सेलिब्रेटीज़ की आंखों का तारा तो मैं ही हूं. उनकी एक-एक ट्वीट को लाखों-करोड़ों लोग फॉलो करते हैं, रीट्वीट करते हैं, इसलिए सोशल मीडिया का असली राजकुमार मैं हुआ.”
ट्विटर की बात ख़त्म भी नहीं हुई थी कि नया नवेला इंस्टाग्राम बीच में कूद पड़ा. फिर तो होड़ सी लग गई. स्काइप, मैसेंजर. वाइबर, हैंगआउट जैसे महारथी मैदान में आ गए और अपने-अपने को सोशल मीडिया का राजकुमार साबित करने लगे.
दिवांग गहरी नींद में सो रहा था, लेकिन उसकी मेज पर एक लिफ़ाफ़ा रखा हुआ था. वह काफ़ी देर से सभी की बातें सुन रहा था. उससे रहा नहीं गया. उसने अपना हाथ उठाते हुए कहा, “शांत हो जाओ भाइयों! शांत! मेरे पास एक तरीक़ा है, जिससे साबित हो जाएगा कि तुम सब में असली राजकुमार कौन है.”
“कैसा तरीक़ा? जल्दी बताइए.” सारे दावेदार एक साथ बोल पड़े.


“तुम सभी संदेश पहुंचाने के महारथी हो?” लिफ़ा़फे ने पूछा.
“हां.” सभी ने सिर हिलाया.
“देवांग भइया को इंजीनियरिंग में एडमिशन लेना है. उनका फॉर्म और बैंक ड्राफ्ट मेरे पास है. तुम में जो सबसे पहले इन्हें पहुंचा आएगा, वही सोशल मीडिया का असली राजकुमार होगा.” लिफ़ा़फे ने कहा.
“यह तो बहुत आसान है. आप दोनों का स्कैन करवा दीजिए. मैं फटाफट पहुंचा आता हूं.” फेसबुक और इंस्टाग्राम एक साथ बोले.
“स्कैनिंग की ज़रूरत नहीं. आप दोनों की फोटो खींच दीजिए. मैं पलक झपकते पहुंचा दूंगा.” व्हाट्सएप ने अकड़ते हुए कहा.
यह सुन लिफ़ाफ़ा हल्का-सा हंसा फिर बोला, “क्या आप लोगों को लगता है कि कॉलेजवाले बिना ओरिजनल फॉर्म और बैंकवाले बिना ओरिजनल ड्राफ्ट के मान जाएंगे?”
यह सुन सन्नाटा छा गया. तब लिफ़ा़फे ने टोका, “तुम सब लोग बहुत तेज और शक्तिशाली हो. देवांग भइया तुम सबके दोस्त हैं. क्या तुम लोग उनका इतना छोटा-सा काम नहीं करोगे?”
“माफ़ करना. यह काम मैं नहीं कर सकता.” फेसबुक ने अपनी आंखें झुका लीं.
“तुम दोनों तो बिल्कुल लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से लैस हो. क्या तुम लोग भी इतना छोटा-सा काम नहीं कर सकते?” लिफ़ा़फे ने ट्विटर और इंस्टाग्राम से पूछा.
उन दोनों ने भी अपनी आंखें झुका लीं. लिफ़ा़फे ने एक-एक करके स्काइप, मैसेंजर, एस.एम.एस, एम.एम.एस, वाइबर, ब्लूटुथ, हैंगआउट सहित सोशल मीडिया के सभी महारथियों से पूछा, लेकिन यह काम कर पाना किसी के भी बस में न था.
“जानते हो यह काम कौन कर सकता है?” लिफ़ा़फे ने पूछा.
“कौन कर सकता है?” सभी एक साथ बोले.

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“पांच रुपया का यह लिफ़ाफ़ा, जिसे तुम लोग गुज़रे ज़माने की बेकार चीज़ समझते हो.” लिफ़ा़फे ने सभी पर एक दृष्टि दौड़ाई, फिर बोला, “मैं पहुंचाऊंगा दिवांग भइया का फॉर्म और ड्राफ्ट, ताकि उनका अच्छे से कॉलेज में एडमिशन हो सके.”
“तब तो सोशल मीडिया के असली राजकुमार आप हुए.” ट्विटर तपाक से बोला.
“नहीं, हम में से कोई भी राजकुमार नहीं हैं. हम सब मनुष्य की सुविधा के लिए बने हैं, जैसे- फ्रिज, एसी, कूलर, पंखा सब बिजली परिवार के हैं, लेकिन सबकी अपनी-अपनी उपयोगिता है. वैसे ही हम सब भी एक ही परिवार के हैं. हम में कोई भी छोटा-बड़ा नहीं हैं. हम सबका काम मनुष्य के जीवन को आसान बनाना है.” लिफ़ा़फे ने शांत स्वर में समझाया.
लिफ़ा़फे की बात सबकी समझ में आ गई. सभी ने प्रण किया कि वे अब कभी आपस में बहस नहीं करेगे और देवांग भइया के लिए जी जान से काम करेंगे.

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Photo Courtesy: Freepik

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