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लघुकथा- तीन नंबर बकरी की खोज (Short Story- Teen Number Bakri Ki Khoj)

चौकीदार उनकी खोज में लग गया. उसे १, २ और ४ नम्बर की बकरियां तो मिल गई,‌ परंतु ३ नंबर वाली बकरी कहीं दिखाई न दी.
शिक्षक, अन्य कर्मचारी, छात्र-छात्राएं, जो भी स्कूल पहुंचता तीन नंबर वाली बकरी की खोज में लग जाता. पर बहुत खोज करने पर भी तीन नंबर वाली बकरी कहीं नहीं मिली.

एक सन्यासी ने तीन बकरियां लेकर उन पर रंग से १, २ और ४ के अंक बनाए और रात के अंधेरे में उन्हें ले जाकर एक स्कूल की चारदीवारी के भीतर छोड़ दिया.
सुबह जब स्कूल खुला, तो सब ने जगह-जगह बकरियों के अपशिष्ट बिखरे पाए. यह तो स्पष्ट हो गया कि एक या अधिक बकरियां मैदान में घुस आई है.
चौकीदार उनकी खोज में लग गया. उसे १, २ और ४ नम्बर की बकरियां तो मिल गई,‌ परंतु ३ नंबर वाली बकरी कहीं दिखाई न दी.


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शिक्षक, अन्य कर्मचारी, छात्र-छात्राएं, जो भी स्कूल पहुंचता तीन नंबर वाली बकरी की खोज में लग जाता. पर बहुत खोज करने पर भी तीन नंबर वाली बकरी कहीं नहीं मिली.
बहुत समय बरबाद हुआ.


परन्तु जिसका अस्तित्व ही न हो वह मिलता भी कैसे?
हम सब यही तो करते हैं. अच्छे भले जीवन के बावजूद, अनेक नेमतों के बावजूद हमें सिर्फ़ वही चाहिए, जो हमारे पास नहीं है. उसी की कामना करते हैं जिसका अस्तित्व ही नहीं है. एक अच्छे भले जीवन का आनंद लेने की बजाय ध्यान उसी तरफ़ लगा रहता है, जो हमारे पास नहीं होता.

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उस ग़ैर मौजूद की खोज में समय व्यर्थ करने की बजाय क्या यह बेहतर नहीं है कि यही समय हम अपनी ज़िंदगी को आनंद पूर्वक जीने में लगाएं?


- उषा वधवा

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Photo Courtesy: Freepik


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