
हे शिवशंकर, हे डमरूधर, विनय हमारी सुनियेगा।
जटाजूटधारी प्रलयंकर, जग को सुखमय करियेगा।
हे नागेश्वर, विश्वनाथ हे, सबके मन में सदा बसें,
महाकाल शरणागत के सिर, वरदहस्त निज धरियेगा।
हे गंगाधर साम्बसदाशिव, भक्तों का कल्याण करें।
पग-पग पर नित आने वाले, सारे संकट कष्ट हरें।
नित्य अर्चना पूजा होती, युगों-युगों से सावन में,
जो मन से अभिषेक करें प्रभु, उनके घर भंडार भरें।
गुंजित होते सर्व शिवालय, लोग बोलते बम भोले।
नेत्र बन्द कर शिव को भजते, भक्ति चक्षु रखते खोले।
पावन हर दिन सावन का है, सतत भक्ति की धार बहे,
पंचाक्षर जपने की ध्वनि हर, कानों में मिसरी घोले।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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