ऑफिस से लौटते हुए नीति ने बाहर डिनर करने का प्रस्ताव रखा, तो मैं समझ गई कि आज रहस्य से परदा उठनेवाला है. नीति को जब भी मुझे कुछ बताना होता था वह यही करती थी. "मेरी सगाई हो गई है. चार महीने बाद शादी है." डिनर टेबल पर बैठते ही नीति ने धमाका कर दिया था.
नीति का लंदन से फोन था. वह वहां आराम से थी. उसने मुझे अपना शेनेगन वीज़ा भेजने का याद दिलाया ओैर आसपास गर्ल्स के साथ शेयरिंग में रूम खोजने को फिर से कहा. "यदि एकाध महीने का अग्रिम देना पड़े, तो भी करवा लेना. थोड़े समय खाली पड़ा रहेगा, पर मैं क्षितिज के साथ उस घर में रहने अब नहीं जाऊंगी." "बिल्कुल! तुम निश्चिंत रहो." फोन बंद कर मैंने गहरी सांस ली थी. 'बेचारी नीति, इतनी दूर चले जाने पर भी मन तो यहीं भटक रहा है. भविष्य के प्रति आशंका और क्षितिज को लेकर अविश्वास अभी तक दिल में बैठा हुआ है. किसे पता था कि क्षितिज ऐसा निकलेगा? ख़ुद वह भी तो इतनी बार उससे मिल चुकी है, लेकिन कभी कुछ आपत्तिजनक नज़र नहीं आया.’ मेरा मन अनायास ही विगत में विचरण करने लगा था. घर से लंबी छुट्टी बिताकर लौटने के बाद से ही मेरी हाउसमेट नीति मुझे बुझी-बुझी-सी नज़र आने लगी थी. हर वक़्त अपने तकिए में मुंह दबाए पड़ी रहती थी. शायद घरवालों की याद सता रही होगी. सोचकर मैंने कुछ पूछना उचित नहीं समझा था. पर एक दिन ऑफिस से लौटते हुए नीति ने बाहर डिनर करने का प्रस्ताव रखा, तो मैं समझ गई कि आज रहस्य से परदा उठनेवाला है. नीति को जब भी मुझे कुछ बताना होता था वह यही करती थी. "मेरी सगाई हो गई है. चार महीने बाद शादी है." डिनर टेबल पर बैठते ही नीति ने धमाका कर दिया था. यह भी पढ़ें: ससुराल के लिए खुद की ऐसे करें मानसिक रूप से तैयार… ताकि रिश्तों में बढ़े प्यार और न हो कोई तकरार (Adapting in A New Home After Marriage: Tips & Smart Ways To Adjust With In-Laws) "क्या, कब हुआ यह सब?" "अभी मैं घर गई थी तब ही सब तय हुआ था. क्षितिज यहीं मुंबई में ही जॉब करता है. एमबीए इंजीनियर है. हमारे परिवार एक-दूसरे को जानते हैं. वह भी घर आया हुआ था. तो बस, हमें मिला दिया गया. उसने मुझे पसंद कर लिया." "और तुमने?" नीति ने अचकचाकर मेरी ओर देखा. "मैडम ऑर्डर?" वेटर ने पुकारा, तो हमें खाना ऑर्डर करने का ध्यान आया. फटाफट खाना ऑर्डर कर हम फिर से बातों में लग गईं. नीति लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ी थी. जबकि क्षितिज की डिग्रियां साधारण कॉलेजों से थीं. मैं उसका असंतोष समझ गई. ख़ुद मैं भी तो उम्र के उसी दौर से गुज़र रही हूं. घर में मेरी शादी की भी चर्चा चल रही है और अक्सर गाड़ी ऐसे ही मसलों पर आकर अटक जाती है. "क्षितिज का पैकेज लगभग मेरे ही बराबर है. पापा-मम्मी कहते हैं अब किसी न किसी मसले पर समझौता करना होगा, वरना शादी की उम्र निकल जाएगी." "शायद वे सही सोच रहे हैं. तुम क्षितिज से मिलोगी-जुलोगी तो पता चल जाएगा कि वह तुम्हारे लायक है या नहीं?" यह भी पढ़ें: शादी करने जा रहे हैं, पर क्या वाकई तैयार हैं आप? एक बार खुद से ज़रूर पूछें ये बात! (Ask Yourself: How Do You Know If You Are Ready For Marriage?) "वह तो आने के बाद से लगातार मिलने का आग्रह कर रहा है. मैं ही टाले जा रही हूं. मैंने तो अभी तक ऑफिस में भी किसी को नहीं बताया है. अंदर ही अंदर घुटन होने लगी, तब आज तुझसे शेयर किया."अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें
[caption id="attachment_182852" align="alignnone" width="246"] संगीता माथुर[/caption] अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES
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