Close

कहानी- बेवफा 4 (Story Series- Bewafa 4)

  "कुंडल को बचपन से जानता हूं. वह बहुत भावुक क़िस्म का इंसान है. इतना संवेदनशील इंसान तो मैंने आज तक देखा ही नहीं, इसलिए यह बात अपनी जेहन में रख लो, तुम लोग अगर असफल हुए, तो समझो, एक आदमी के रूप में कुंडल ख़त्म ही हो जाएगा." थोड़ी देर बाद शबाना बोली, "दरअसल कभी-कभी आदमी इतना मजबूर हो जाता है कि ज़्यादा सोच ही नहीं पाता. कुंडल को लेकर मेरी स्थिति कुछ ऐसी ही है. मुझे लगता है मैं उसके बिना जी ही नहीं पाऊंगी. आप इसे मेरी मूर्खता कहें, पागलपन या कुछ और समझें. यह अक्षरशः सच है कि कुंडल के बिना जीवन की मुझसे कल्पना तक नहीं होती." वह फूट-फूटकर रोने लगी. मेरा हाथ उसके सिर पर चला गया. "अब आप ही बताएं मैं क्या करूं." थोड़ी देर बाद शबाना ने मुझसे पूछा. "कुंडल को बचपन से जानता हूं. वह बहुत भावुक क़िस्म का इंसान है. इतना संवेदनशील इंसान तो मैंने आज तक देखा ही नहीं, इसलिए यह बात अपनी जेहन में रख लो, तुम लोग अगर असफल हुए, तो समझो, एक आदमी के रूप में कुंडल ख़त्म ही हो जाएगा." "दुनियादारी में तुम उससे ज़्यादा समझदार लग रही हो, इसलिए तुम उसे समझाने की कोशिश करो. कोई कदम कम-से-कम भावुकता में ना उठाना. पहले उसे अपने गांव जाने दो, फिर शादी वगैरह के चक्कर में पड़ना." "मेरे घरवाले मेरी शादी कर रहे हैं मेरे फुफेरे भाई से." शबाना बोली. वह नीचे देख रही थी. मामला बहुत गंभीर था. मुझे लगा कम-से-कम मैं इसका समाधान नहीं कर पाऊंगा. आगे चलकर कहीं तुम बदल तो नहीं जाओगी?" यह मेरा सवाल था. "कैसी बातें कर रहे हैं आप? मैं और बदल जाऊं? ऐसा आपने सोचा भी कैसे? मैं क्या आपको धोखा देनेवाली लगती हूं. मैं सदैव कुंडल के साथ रहूंगी. कंधे से कंधा मिलाकर. क्या शरीर आत्मा से बेवफ़ाई कर सकती है?" "लेकिन आत्मा तो शरीर से बेवफ़ाई करती है हमेशा." मैं झटके से कह गया. शबाना मुझे देखने लगी. फिर उसकी निगाह कुंडल पर गई, जो तब तक सभी मरीज़ों को देखकर हमारे पास आ चुका था. "लेकिन मेरा कुंडल ऐसा नहीं हैं. मुझे इस पर अपने आप से भी ज़्यादा भरोसा है." "तो तुम दोनों को फ़ैसला पक्का है?" " हां. बिल्कुल. साथ जीएंगे-साथ मरेंगे." शाबाना ही बोली. "मेरी शुभकामनाएं तुम दोनों के साथ हमेशा रहेगी, लेकिन एक बात सदा जेहन में रखना, तुम्हारे सामने कभी ऐसी परिस्थितियां आ सकती हैं. जब एक तरफ़ तुम्हारा प्यार होगा, दूसरी तरफ़ तुम्हारा अपना परिवार. मतलब एक ओर तुम्हारा कुडंल होगा यानी तुम्हारा अपना जीवन और दूसरी ओर तुम्हारे मां-बाप यानी तुम्हारे जीवनदाता. उनके साथ जुड़ा होगा तुम्हारा सामाजिक दायित्व. और ऐसी परिस्थितियों में अक्सर लोग, ख़ासकर लड़कियां अपने प्यार की ही कुर्बानी देती हैं. वह स्थिति ख़ासकर प्रेमियों के लिए काफ़ी त्रासदपूर्ण होती है. उस परिस्थिति को तुम भले ही झेल जाओ, लेकिन कम-से-कम कुंडल नहीं झेल पाएगा." मैं शाबाना को बराबर देखे जा रहा था. वह बोली कुछ नहीं. बस कुंडल को निहार रही थी. दूसरे दिन अलसुबह मैं कुंडल का सारा सामान ट्रक में भरकर गांव में उठा लाया. मेरे गांव आने के तीसरे दिन पता चला दोनों फ़रार हो गए. उनके भाग जाने की घटना बहुत चर्चित हुई. मामला हिंदू-मुसलमान का होने लगा, इसलिए अधिक संवेदनशील हो गया. शाबाना के घरवालों ने कुंडल पर अपनी नाबलिग बेटी को अपहत करने का आरोप लगाया. पुलिस में एफआईआर भी दर्ज हो गया. अमूमन सभी अख़बारों में उनकी प्रेम कहानी की रिपोर्टे छपी विभिन्न एंगल से. ज़्यादातर अख़बारों की ख़बरें कुंडल के ख़िलाफ़ ही थीं. यह लड़की की मां- बाप के प्रति अतिरिक्त सहानुभूति की वजह से हुआ होगा. यह भी पढ़ें: शादी से पहले और शादी के बाद, इन 18 विषयों पर ज़रूर करें बात! (18 Things Every Couple Should Discuss Before Marriage) जिला पुलिस के विशेष दस्ते ने कुंडल के घर में छापा मारा और उसके घरवालों से भी पूछताछ की. शाबाना की मां, तो हमारे गांव में भी आ धमकी. किसी से उसे पता चल गया था कि मैं उसका दोस्त हूं. लिहाज़ा वह मेरे घर भी आ गई और जी भर के मुझे खरी-खोटी सुनाने लगी. Harigovind Vishwakarma हरिगोविंद विश्वकर्मा अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें... अधिक कहानी/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां पर क्लिक करें – SHORT STORIES

Share this article