"इस उम्र में एक और बच्चे की मां बनकर बहुत अच्छा लग रहा है. वह भी एक पले-पलाए, समझदार, होनहार बच्चे की मां! ऐसा बच्चा जो आपको सुनता है, समझता है, आपकी हर बात मानता है और सबसे बड़ी बात एक बेटे की तरह आपकी केयर करता है. सच कहूं, तो मुझे उस पर उतना ही प्यार आता है, जितना विनी पर!" माधुरीजी की आवाज़ भीगने लगी, तो सब दोस्तों ने करतल ध्वनि से उनका उत्साहवर्धन किया और पार्टी का वादा लेकर विदा ली.
... "विनी भी छुटपुट बुखार की परवाह ना कर ऐसे ही बाहर निकल जाती थी और बीमारी बढ़ा लेती थी. अब पूरी तरह ठीक हुए बिना कमरे से बाहर नहीं निकलोगे. सुबह न मेरे संग फंक्शन में चलने की आवश्यकता है और न साइट पर जाने की." आंखें बंद किए लेटे अवि को यह प्यारभरी डांट भी उतनी ही भली लग रही थी, जितनी थपकीभरी मालिश. दवा और मालिश के असर से शनै: शनै: उसकी आंखें मूंदती चली गई थी. सवेरे उसके उठने तक माधुरीजी निकल चुकी थीं. अवि भी तैयार होकर पीछे-पीछे हॉल में पहुंच गया. डबल मास्क और फेसशील्ड में फोटो उतारते इस शख़्स को सब फोटोग्राफर ही समझ रहे थे. ख़ुद माधुरीजी भी उसे नहीं पहचान पाईं. स्टेज से उतरते ही साथी डॉक्टर्स ने माधुरीजी को घेर लिया था. कुछ पुराने परिचित बेटी विनी का भी हालचाल पूछने लगे. "उसकी शादी हो गई है. सॉरी, कोविड गाइडलाइंस के कारण किसी को बुला नहीं पाई." "अरे वाह, हमारी माधुरी सास बन गई है! अच्छा बताओ कैसा लग रहा है सास बनकर?" "इस उम्र में एक और बच्चे की मां बनकर बहुत अच्छा लग रहा है. वह भी एक पले-पलाए, समझदार, होनहार बच्चे की मां! ऐसा बच्चा जो आपको सुनता है, समझता है, आपकी हर बात मानता है और सबसे बड़ी बात एक बेटे की तरह आपकी केयर करता है. सच कहूं, तो मुझे उस पर उतना ही प्यार आता है, जितना विनी पर!" माधुरीजी की आवाज़ भीगने लगी, तो सब दोस्तों ने करतल ध्वनि से उनका उत्साहवर्धन किया और पार्टी का वादा लेकर विदा ली. यह भी पढ़ें: शादीशुदा ज़िंदगी में कैसा हो पैरेंट्स का रोल? (What Role Do Parents Play In Their Childrens Married Life?) सबसे अंत में आती माधुरीजी का पांव यकायक कालीन में उलझ गया. वे लड़खड़ाकर गिरतीं इससे पूर्व ही पीछे से दो हाथों ने लपककर उन्हें पकड़ लिया. "मम्मा संभलकर!" कहते हुए अवि ने पहले तो माधुरीजी को अपनी मज़बूत बांहों में संभाला. फिर उनका गिरता हुआ शॉल बेहद आत्मीयता और शालीनता से फिर से उनके कंधों पर ओढ़ा दिया मानो किसी बेहद क़ीमती चीज़ को सावधानी से सहेज रहा हो. माधुरीजी मंत्रमुग्ध अवाक अवि को निहार रही थीं. उन्हें अपने इर्दगिर्द एक अद्भुत सुरक्षा चक्र का एहसास हो रहा था. कुछ देर पूर्व स्टेज पर ओढ़ाए गए इसी शॉल से उनका भाल गर्व से दिपदिपा उठा था. अब उसी प्रक्रिया के दोहराव ने उनके अंदर ममता का एक सोता सा प्रवाहित कर दिया था, जिसके निर्मल, निश्छल ज्योत्सनामय प्रवाह ने उनके साथ-साथ अवि को भी अंदर तक भिगो डाला था. बादलों का गुनाह नहीं कि वे बरस गए दिल हल्का करने का हक़ तो सभी को है न... यह भी पढ़ें: घर को मकां बनाते चले गए… रिश्ते छूटते चले गए… (Home And Family- How To Move From Conflict To Harmony) अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES
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