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कहानी- कॉकटेल बनाम मॉकटेल 1 (Story Series- Cocktail Banam Mocktail 1)

तनु दीदी से उसे थोड़ी उम्मीद ज़रूर थी, पर उसने भी यह कहकर हाथ झाड़ लिए कि “भाभी, इतने समय बाद तो साथ रहने का सुअवसर आया है. अब छोटी-सी बात के लिए क्यों पंगा करूं? वहां जाकर इनके विचार बदलने का प्रयास करूंगी. अभी तो इन पर नई-नई खुमारी चढ़ी हुई है, क्या पता आप ही थोड़े समय बाद उतर जाए…”
दीदी तीन-चार दिन में जीजाजी के संग चली जाएगी, सोच-सोचकर ही नंदिनी की आंखें भर आती थीं. तनु दीदी नंदिनी की इकलौती ननद है. पति सुजय से छोटी पर उसकी हमउम्र. नंदिनी ब्याहकर आई, तो दोनों में ननद-भाभी कम, बहनों-सा रिश्ता ज़्यादा बन गया था. पर दोनों को ज़्यादा दिन साथ रहने का मौक़ा नहीं मिल सका. क्योंकि शीघ्र ही तनु का ब्याह हो गया और वह अपने ससुराल चली गई. शादी को सालभर बीता था कि तनु के पति को विदेश में अच्छी नौकरी मिल गई. छुट्टी मिलते ही वह तनु को लेने आएगा, तब तक वह अपना पासपोर्ट, वीज़ा आदि बनवा ले, इस आश्वासन के साथ वह तुरंत विदेश रवाना हो गया. नंदिनी इन्हीं काग़ज़ी कार्यवाहियों का हवाला देकर तनु दीदी को अपने संग ले आई थी. वैसे भी मायके के नाम पर तनु के पास इकलौते भैया-भाभी का घर ही बचा था. पासपोर्ट, वीज़ा सब बन भी गया. अब तो बस मयंक के लौटने का इंतज़ार था. हर फोन कॉल के साथ वह जल्दी आने का आश्वासन देता और साथ ही तनु को पाश्चात्य रंग-ढंग के अनुरूप स्वयं को ढाल लेने की हिदायत भी. जिसे सुनकर तनु बेचारी उदास-सी हो जाती.
सुंदर-सलोने नैननक्शवाली सांवली-सी तनु भारतीयता की प्रतिमूर्ति थी. स्कूल से लेकर कॉलेज स्तर तक अपने प्रिय विषय भारतीय सभ्यता और संस्कृति के पक्ष में बोलकर पुरस्कार जीतनेवाली लड़की को व्यावहारिक जीवन में अपनी उसी प्रिय संस्कृति और संस्कारों को तिलांजलि देनी पड़ रही थी. यह देखकर तनु के साथ-साथ नंदिनी का भी मन भर आता था, पर मजबूर थी. पत्नी से बेहद प्यार करनेवाले सुजय जीजाजी एक नंबर के हठधर्मी भी हैं, यह बात वह अच्छी तरह जानती थी. कहीं समझाइश का दांव उल्टा न पड़ जाए, इस भय से उसने चुप्पी साध ली थी. फिर पति मयंक को भी बहन की व्यक्तिगत ज़िंदगी में हस्तक्षेप कर उसकी गृहस्थी को दूभर बनाना पसंद नहीं था.
तनु दीदी से उसे थोड़ी उम्मीद ज़रूर थी, पर उसने भी यह कहकर हाथ झाड़ लिए कि “भाभी, इतने समय बाद तो साथ रहने का सुअवसर आया है. अब छोटी-सी बात के लिए क्यों पंगा करूं? वहां जाकर इनके विचार बदलने का प्रयास करूंगी. अभी तो इन पर नई-नई खुमारी चढ़ी हुई है, क्या पता आप ही थोड़े समय बाद उतर जाए…”
तनु दीदी की बातें नंदिनी को आश्वस्त कर जाती और वह उसके साथ कभी पाश्चात्य पोशाकों की ख़रीद की मुहिम में, तो कभी पास्ता, बर्गर बनाने की मुहिम में जुट जाती. पढ़ी-लिखी तनु की इंग्लिश तो अच्छी थी ही पर पति के आग्रह पर अब वह उसमें अमेरिकन एक्सेंट डालने का प्रयास करने लगी.
भाभी को समझा-बुझाकर शांत करनेवाली तनु का ख़ुद का आत्मबल कभी-कभी दम तोड़ देता.
अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें…
संगीता माथुर
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