Close

कहानी- पीढ़ियों का नज़रिया… 3 (Story Series- Pidhiyon Ka Nazariya… 3)

 

Pidhiyon Ka Nazariya क्यों? मैंने दो दिन पहले ये नहीं कहा था कि जो सोचना हो, पहले सोच लो. फिर लड़की देखने जाया जाए?” “और मैंने नहीं कहा था कि मुझसे उसी समय हां या ना के बारे में नहीं पूछा जाएगा?” अब सैंडी बुरी तरह झुंझला गया. “अरे, एक कपड़ा भी लेने कोई जाता है, तो चार दुकानें देखता है. और अगर दुकानदार सिर पर चढ़ जाए कि या तो ख़रीदो या बताओ कि क्या नापसंद है तो...” सैंडी ने न चाहते हुए भी ताऊजी की दुखती रग पर हाथ रख दिया था.

        “वो विकल्प तुम्हारे सामने कल था, आज नहीं है. चूंकि तुम हां कर चुके हो, इसलिए लड़कीवाले सबको बताना शुरू कर चुके होंगे. अब या तो तुम कहो कि तुम श्योर हो, नहीं तो चूंकि हां मैंने की है, इसलिए मैं जल्द से जल्द उन्हें फोन करके मना करूं, ताकि उन्हें कम से कम ठेस लगे. हालांकि इसमें मेरा आत्मसम्मान कितना आहत होगा, ये तुम नहीं जानते, पर मैं तुम्हारी पीढ़ी की तरह गैरज़िम्मेदार नहीं हूं. मेरी तो ये समझ में नहीं आता कि कल तुमने हां की क्यों, जब तुम श्योर नहीं थे?” “मैंने हां की नहीं, मुझसे करवाई गई.” “करवाई गई? किसने करवाई तुमसे हां, किसने जंजीरों से बांध दिया था तुमको?” “आपने, हां आपने बांधा था मुझे.” उसकी आवाज़ अखाड़े में उतरे अनुभवी पहलवान की तरह स्थिर और सावधान थी. मगर वो जानता नहीं था कि दूसरे पहलवान की तो ज़िंदगी ही अखाड़े में बीती है. “मैंने? और उससे पहले कमरे में अकेले में मैंने तुमसे पूछा नहीं था कि लड़की कैसी लगी. बल्कि तुम्हारे मम्मी-पापा, तुम्हारी ताईजी और बहनों ने भी पूछा था. वो भी पंद्रह-बीस मिनट के अंतर पर. इतना समय पर्याप्त नहीं था अपने निर्णय पर पुनर्विचार के लिए? तब तुमने सबसे कहा नहीं था कि अच्छी है.” “अरे, तो अच्छे इंसान को अच्छा ही कहा जाएगा न? एटीकेट्स भी कोई चीज़ होती है. मुझे क्या पता था कि ये ख़बर हां के रूप में आकाशवाणी पर प्रसारित होनेवाली है. हद हो गई है ताऊजी, ज़िंदगी न हुई कौन बनेगा करोड़पति का गेम हो गया. योअर टाइम स्टार्ट्स नाऊ और घड़ी की टिकटिक शुरू. अरे, मन में इतनी तरह की बातें होती हैं, कितने मुद्दों पर सोचना होता है. आपको क्या-क्या बताता उस समय?”

यह भी पढ़ें: 65+ टिप्स: रिश्ता टूटने की नौबत आने से पहले करें उसे रिफ्रेश… (Love And Romance: 65+ Simple Tips To Refresh Your Relationship)

  “क्यों? मैंने दो दिन पहले ये नहीं कहा था कि जो सोचना हो, पहले सोच लो. फिर लड़की देखने जाया जाए?” “और मैंने नहीं कहा था कि मुझसे उसी समय हां या ना के बारे में नहीं पूछा जाएगा?” अब सैंडी बुरी तरह झुंझला गया. “अरे, एक कपड़ा भी लेने कोई जाता है, तो चार दुकानें देखता है. और अगर दुकानदार सिर पर चढ़ जाए कि या तो ख़रीदो या बताओ कि क्या नापसंद है तो...” सैंडी ने न चाहते हुए भी ताऊजी की दुखती रग पर हाथ रख दिया था. चार बहनों और दो बेटियों की शादी निपटाते हुए वे इतने क्लांत हो चुके थे कि अपने उसूल पसंद सुलझे मन में एक संकल्प ले लिया था उन्होंने. जो लड़केवालों ने उनके साथ किया, वो किसी की लड़की के साथ नहीं करेंगे. न दौड़ाने के मामले में, न दहेज के मामले में. उनकी आक्रामक वाणी में ढेर सारा दर्द भी घुल गया.  

यह भी पढ़ें: ब्रह्म मुहूर्त का क्या महत्व है और संस्कृत को क्यों माना जाता है वैज्ञानिक भाषा… जानें इन मान्यताओं के पीछे का साइंस! (Science Behind Practising Hindu Rituals & Rites)

  “कपड़ा? तुम्हारी भी नज़र में लड़की एक कपड़ा है और लड़का उसका उद्धारक ख़रीदार? जिसे वो हर तरी़के से देखेगा, फिर चार दुकानें देखकर... नहीं मेरे घर के लड़के को ये करने की इजाज़त मैं नहीं दूंगा.”

अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें...

भावना प्रकाश     अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES    

Share this article