अब तो चोर की हालत पतली हो गई. पूरे घर में घुप्प अंधेरा था. उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें. तभी नक्कू मियां की पत्नी की आवाज़ फिर सुनाई पड़ी, "शाबाश, अब तुम तीन भाई जाकर चोर को पकड़ लो. कोशिश कर उसे ज़िंदा ही रस्सी में बांधना. बेकार में गोली चला कर खून-खराबा मत करना.’’
... चोर ने अपने कानों से अलग-अलग कमरों से 7 तरह की छींकें सुनी थीं. अतः वह यही समझा कि इस घर में 7 भाई रहते हैं. उसने वहां से भागने में ही भलाई समझी. इससे पहले कि चोर वहां से भाग पाता, नक्कू मियां की पत्नी की आवाज़ सुनाई पड़ी, "शाबाश, तुम दो भाई अपनी-अपनी बदूंकें लेकर घर के अगले दरवाज़े पर खड़े हो जाओ और तुम दो भाई पिछले दरवाज़े पर. अगर चोर भागने की कोशिश करे, तो बेहिचक गोली मार देना. 2 लाख रुपए तब भी मिलेगें." यह भी पढ़ें: व्यंग्य- कुछ मत लिखो प्रिये… (Vyangy- Kuch Mat Likho Priye…) अब तो चोर की हालत पतली हो गई. पूरे घर में घुप्प अंधेरा था. उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें. तभी नक्कू मियां की पत्नी की आवाज़ फिर सुनाई पड़ी, "शाबाश, अब तुम तीन भाई जाकर चोर को पकड़ लो. कोशिश कर उसे ज़िंदा ही रस्सी में बांधना. बेकार में गोली चला कर खून-खराबा मत करना.’’ एक क्षण रुकने के बाद वह फिर बोली, ‘‘रुक जाओ, तुम तीनों भाई एक साथ चोर के पास मत जाओ. वह हमला कर सकता है. नक्कू मियां आप रस्सी लेकर भीतर जाओ. बाकी दोनों भाई दरवाज़े के पास खड़े रहें. अगर चोर ज़रा-सा भी चूं-चपड़ करे, तो धड़ाक से गोली मार देना. देर मत करना.’’ नक्कू मियां भी अब तक अपनी पत्नी की योजना समझ चुके थे. मन ही मन उसकी बुद्वि की दाद देते हुए वह रस्सी लेकर दूसरे कमरे में पहुंचे. अपनी पूरी शक्ति से इस समय वह अपनी छींक रोंके हुए थे. यह भी पढ़ें: 6 ईज़ी स्टेप्स आपको देंगे पोषण बेस्ट (6 Smart And Easy Ways to Maximize Nutrition) बेचारा चोर इस व्यूह रचना के आगे स्वयं को बेबस पा रहा था. उसने आत्मसर्मपण करने में ही भलाई समझी. नक्कू मियां ने बड़े इत्मिनान के साथ उसके हाथ-पैर बांध दिए.अगला भाग कल इसी समय यानी ३ बजे पढ़ें
संजीव जायसवाल ‘संजय’ अधिक कहानियां/शॉर्ट स्टोरीज़ के लिए यहां क्लिक करें – SHORT STORIES
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